अमरनाथ यात्रा अवधि पर विवाद बढ़ा
श्रीनगर। अमरनाथ यात्रा की अवधि पर अब विवाद गहराता जा रहा है। अलगाववादी पर्यावरण को पहुंचने वाली कथित क्षति का सहारा लेकर एक बार फिर इसे मात्र 15 दिनों तक चलाने की बात कहने लगे हैं तो हिन्दू संगठन चाहते हैं कि परंपरा के मुताबिक इसकी शुरुआत ज्येष्ठ पूर्णिमा से होनी चाहिए न कि अधिकारियों की सुविधानुसार इसकी तिथियां निर्धारित हों।
इस बार 2 जुलाई से इसे आरंभ करने की घोषणा की गई है। 19 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के दिन तक यह चलेगी। यह तारीखें हिन्दू संगठनों को मंजूर नहीं है। कई हिन्दू संगठनों ने इसे लेकर आंदोलन छेड़ने की बात भी कही है, जिसमें हिन्दू न्यास भी शामिल है और उनका साथ विश्व हिन्दू परिषद की जम्मू कश्मीर की शाखा भी दे रही है।
न्यास के पदाधिकारी कहते हैं कि अधिकारियों द्वारा मनमर्जी से यात्रा की तारीखें घोषित कर हिन्दू रीति-रिवाजों और परंपराओं का उल्लंघन किया जा रहा है। विहिप के अधिकरी भी अमरनाथ यात्रा की अवधि के साथ राज्य सरकार की छेड़खानी से नाराज थे।
साधु-संत समाज भी कहता है कि पुराणों और शास्त्रों के मुताबिक अमरनाथ यात्रा हमेशा ज्येष्ठ पूर्णिमा से शुरू होती आई है और यह श्रावण पूर्णिमा तक चलनी चाहिए। इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा 2 जून को। श्राइन बोर्ड ने 2 जुलाई से यात्रा की शुरुआत की घोषणा की है। बोर्ड के आंतरिक सूत्र कहते हैं कि बोर्ड इसे बढ़ाकर 3 माह करने का इच्छुक था मगर राज्य सरकार ने सुरक्षा तथा व्यवस्थाओं का रोना रोया था जिस कारण यात्रा की अवधि घटाकर इस बार 55 दिन कर दी गई।
सच्चाई यह है कि पिछले कुछ सालों से अमरनाथ यात्रा पहले आतंकियों के निशाने पर थी तो अब अलगाववादी नेताओं के निशाने पर। आतंकी हमले कर इसे रोकने का प्रयास करते रहे हैं और अलगाववादी इसकी अवधि को कम करवाने की कोशिश में जुटे हैं।
कट्टरपंथी नेता सईद अली शाह गिलानी चेतावनी दे रहे हैं कि यात्रा अवधि को कम करके 15 दिन कर दिया जाए। ऐसा न होने की स्थिति में वे आंदोलन की शुरुआत की बात कहते हैं। इतना जरूर है कि कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत से पूर्व यात्रा 15 दिन ही चला करती थी।