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Last Updated : सोमवार, 26 नवंबर 2018 (12:10 IST)

26/11 मुंबई हमला : 5 रियल हीरो, देशवासियों की रक्षा के लिए कर दी जान कुर्बान, पढ़िए बहादुरी की कहानी...

26/11 मुंबई हमला : 5 रियल हीरो, देशवासियों की रक्षा के लिए कर दी जान कुर्बान, पढ़िए बहादुरी की कहानी... - 26/11 mumbai attack
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को 10 साल पूरे हो गए हैं। पाकिस्तान के आतंकियों ने कायराना तरीके से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अचानक हमला कर निर्दोष लोगों की जानें ली थीं। इस हमले के बाद पाकिस्तान का वीभत्स चेहरा दुनिया के सामने आया था। पाकिस्तानी आतंकियों ने ताज और ट्राइडेंट होटल के साथ-साथ छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला किया था। देश के कुछ बहादुर पुलिसकर्मियों और एनएसजी के जवानों ने बहादुरी से इन आतंकियों का मुकाबला कर देशवासियों की रक्षा की थी। पढ़िए ऐसे ही 5 रीयल हीरो की बहादुरी की कहानी :


खाना छोड़कर चल पड़े देशवासियों की रक्षा के लिए : मुंबई हमले में हेमंत करकरे ने बहादुरी से मुकाबला कर लोगों की जान बचाई थी। 12 दिसंबर 1954 को जन्मे करकरे 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। वे महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख थे। हेमंत करकरे रात में अपने घर पर उस वक्त खाना खा रहे थे जब उनके पास आतंकी हमले को लेकर क्राइम ब्रांच ऑफिस से फोन आया। हेमंत करकरे तुरंत घर से निकले और एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा संभाला। कामा हॉस्पिटल के बाहर चली मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान की अंधाधुंध गोलियों से हेमंत करकरे शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

आतंकियों से किया डटकर सामना : मेजर संदीप उन्नीकृष्णन नेशनल सिक्‍योरिटी गार्ड्स के कमांडो थे। वे 26/11 एनकाउंटर के दौरान मिशन ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे और 51 एसएजी के कमांडर थे। जब वे ताज महल पैलेस और टावर्स होटल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी आतंकियों से लड़ रहे थे तो एक आतंकी ने पीछे से उन पर हमला किया, जिससे घटनास्थल पर ही वे शहीद हो गए। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।

बिना हथियार कसाब को दबोचा था : मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ही वे जांबाज थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब का बिना किसी हथियार के सामना किया और अंत में उसे दबोच लिया। इस दौरान उन्हें कसाब की बंदूक से कई गोलियां लगीं और वे शहीद हो गए। शहीद तुकाराम ओंबले को उनकी जांबाजी के लिए शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

घायल होने के बाद भी किया आतंकियों का सफाया : अशोक काम्टे मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात थे। जिस समय मुंबई पर आतंकी हमला हुआ उस समय अशोक काम्टे एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल खान ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। एक गोली उनके सिर में आ लगी। लेकिन घायल होने के बाद भी उन्‍होंने दुश्मन को मार गिराया।

आतंकियों का डटकर किया सामना : मुंबई अंडरवर्ल्ड के सफाए में शामिल रहे सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई फायरिंग में हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ आतंकियों की गोली लगने से शहीद हो गए थे। शहीद विजय सालस्कर को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

इनके अलावा हवलदार गजेंद्र सिंह, नागप्पा आर. महाले, किशोर के. शिंदे, संजय गोविलकर, सुनील कुमार यादव और कई जांबाजों ने देशवासियों की रक्षा के लिए आतंकियों से लोहा लिया।