गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By WD

गुरु नानक देव के मूल मंत्र

गुरु नानक देव के मूल मंत्र - गुरु नानक देव के मूल मंत्र
- सतमीत कौर

मूल मंत्र
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बाणी का आरंभ मूल मंत्र से होता है। ये मूल मंत्र हमें उस परमात्मा की परिभाषा बताता है जिसकी सब अलग-अलग रूप में पूजा करते हैं।

एक ओंकार : अकाल पुरख (परमात्मा) एक है। उसके जैसा कोई और नहीं है। वो सब में रस व्यापक है। हर जगह मौजूद है।

सतनाम : अकाल पुरख का नाम सबसे सच्चा है। ये नाम सदा अटल है, हमेशा रहने वाला है।

करता पुरख : वो सब कुछ बनाने वाला है और वो ही सब कुछ करता है। वो सब कुछ बनाके उसमें रस-बस गया है।

निरभऊ : अकाल पुरख को किससे कोई डर नहीं है।

निरवैर : अकाल पुरख का किसी से कोई बैर (दुश्मनी) नहीं है।

अकाल मूरत : प्रभु की शक्ल काल रहित है। उन पर समय का प्रभाव नहीं पड़ता। बचपन, जवानी, बुढ़ापा मौत उसको नहीं आती। उसका कोई आकार कोई मूरत नहीं है।

अजूनी : वो जूनी (योनियों) में नहीं पड़ता। वो ना तो पैदा होता है ना मरता है।

स्वैभं :( स्वयंभू) उसको किसी ने न तो जनम दिया है, न बनाया है वो खुद प्रकाश हुआ है।

गुरप्रसाद : गुरु की कृपा से परमात्मा हृदय में बसता है। गुरु की कृपा से अकाल पुरख की समझ इनसान को होती है।