शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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बसंती, यह 'स्पीड' खतरनाक है....

बसंती, यह 'स्पीड' खतरनाक है.... - webdunia blog
अभिनेत्री-सांसद हेमा मालिनी एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गई हैं। उनका इलाज चल रहा है। इस दुर्घटना में एक बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई है। इस बीच मीडिया तरह-तरह की खबरें दे रहा है कोई कह रहा है हेमा एक्सीडेंट के बाद रूकी नहीं किसी के अनुसार बच्ची को बचाया जा सकता था अगर समय रहते उपचार मिल जाता। कुछ के अनुसार हेमा की कार की गति बहुत तेज थीं। 

हमारी समस्त सद्भावनाएं सांसद और स्वप्न सुंदरी हेमा मालिनी के साथ है लेकिन कुछ सवाल सतह पर तैर रहे हैं कि अगर कार की गति अपेक्षा से अधिक थी तो आखिर इतनी जल्दी क्यों और किसलिए? कम से कम विशेष कार्य क्षेत्र के विशेष सितारों से तो यही उम्मीद की जाती है कि उनका आचरण ऐसा हो जो आम जनता के लिए प्रेरणा बने। उनसे जिम्मेदाराना व्यवहार की उम्मीद इसलिए भी है उन्हें दो तरह से जनता की मोहब्बत हासिल है। एक महानतम अभिनेत्री के बतौर उन्होंने खासी कामयाबी लूटी है और दूसरे सांसद के रूप में जनता ने उन्हें अपना प्रति‍निधि चुना है। 
 
हेमा के लिए दो बात पर आपत्ति दर्ज की जा रही है। एक कार की अंधगति और दूसरे घायलों की और से बेपरवाह होकर सिर्फ अपने लिए फिक्रमंद होना...। सामान्य रूप से पहली बात के लिए वे दोषी है। उन्हें चाहिए था कि वह ड्रायवर को संतुलित और नियंत्रित गाड़ी चलाने का आदेश देती। दूसरी बात यह सच है कि दुर्घटना में व्यक्ति घबरा जाता है, हैरान-परेशान-बदहवास हो जाता है ऐसे में उनसे सामान्य व्यवहार की उम्मीद बेमानी है। लेकिन अगर आप जिम्मेदार पदों पर है तो यही वक्त होता है जब आपको संपूर्ण संतुलन के साथ अपने आपको व्यक्त करना होता है। यहां आप स्वार्थी कतई नहीं हो सकते कि मुझे स्वयं मदद की जरूरत है, मैं क्या किसी की मदद करूं? 
 
विशेषकर जब आपकी चोट से अधिक एक नन्ही सी जान का नुकसान आंखों के सामने हो गया हो। आपको चोट आई हो तब भी आप यह जानते हैं कि आपकी 'गाड़ी की गति' इस दुर्घटना का सबब है तो ऐसे में उन निर्दोष लोगों के लिए कोई एक शब्द, कोई एक संवेदना, कोई एक मदद, कोई एक पहल भी कारगर हो सकती थी। हालांकि अभी दोनों पक्षों की बात पूरी तरह से सामने नहीं आई है पर प्रथमदृष्टया तो यही लग रहा है कि हेमा ने घबराहट के मारे संवेदनशीलता के मुकाबले स्वयं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी।  
 
व्यवहार की यह जल्दबाजी वीआईपी कल्चर की देन है। यही वजह है कि कभी माधवराव सिंधिया, तो कभी राजेश पायलेट, कभी गोपीनाथ मुंडे की दुखद सूचना आती है तो कभी सलमान और दूसरे अभिनेताओं का हिट एंड रन मामला... सूची अंतहीन है...कभी किसी नेता को भगवान के वीआईपी दर्शन चाहिए तो कभी किसी को हवाई जहाज में वीआईपी सफर, कभी किसी के लिए वीआईपी गेट होते हैं तो कहीं पर वीआईपी रोड़.... वीआईपी अस्पताल से लेकर वीआईपी विद्यालयों तक इस संस्कृति ने देश का नुकसान ही किया है। 
 
फिलहाल हेमा शीघ्र स्वस्थ हों और पहली गलती मानें-स्वीकारें और दूसरी को सुधारें-घायलों और मृत बच्ची के परिवार से मिलकर... तो यह देशहित में अच्छा संकेत होगा जबकि स्वयं प्रधानमंत्री खुद को देश का चौकीदार निरूपित करते हैं तब यह उम्मीद कहीं से उधार नहीं लेनी होती है... वह होती है अपने पूरे वजूद के साथ .... स्वाभाविक रूप से... अपने नेताओं से, अभिनेताओं से और हर ''वीआईपी'' से...  सवाल हेमा से ही है कि बसंती, क्या तुम नहीं जानती यह 'स्पीड' खतरनाक है.... जीवन में भी, करियर में भी, व्यवहार में भी, व्यक्तित्व में भी और हां सड़क पर भी...