शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By Author डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

पठानकोट एयरबेस पर हमले से फूटा आक्रोश

पठानकोट एयरबेस पर हमले से फूटा आक्रोश - Pathankot attack social media
नए साल के पहले दिन पठानकोट एयरबेस पर पाकिस्तानी आतंकी हमले से सोशल मीडिया में लोगों का आक्रोश फूट पड़ा है। यह आक्रोश कई तरह से था। तीखी प्रतिक्रियाओं और कार्टूनों के अलावा लोगों ने अपने-अपने हैशटैग भी शुरू किए है। टीवी चैनलों पर दिखाई जाने वाली बहसों पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली और कुछ खास पत्रकार लोगों के निशाने पर भी रहे।
पठानकोट आतंकी हमले के बाद टीवी चैनलों में जिस तरह से बहस दिखाई गई उस पर व्यंग्य करते हुए किसी ने ट्विटर पर लिखा- ‘भारत सरकार ने इतनी सारी जांच एजेंसियां क्यों बना रखी हैं? टीवी चैनल वालों को ही इसका ठेका क्यों नहीं दे देते?’ तथाकथित सेक्युलर लोगों पर भी बहुत ही तीखे व्यंग किए गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी लोगों के गुस्से के शिकार हुए। 
 
आपके एक कार्यकर्ता ने ट्विटर पर लिखा कि मोदी सरकार बिलकुल उन औरतों की तरह हैं, जो चूड़ियां ज्यादा खनकाती है और रोटियां कम बेलती हैं। लोगों ने कहा कि मोदी लाहौर टेस्ट मे फेल हो गए है, लेकिन अब तक सोए हुए हैं। राहुल गांधी के बारे में भी लोगों ने तीखे-तीखे व्यंग कसे। लिखा गया राहुल गांधी तुम देश में नहीं हो और इतना ब़ड़ा हमला हो गया, अब तो मोदी को गालियां देने के लिए गर्लफ्रेंड को छोड़कर आ जाओ। 
 
पाकिस्तान में किसका शासन है इस पर भी लोगों ने प्रश्नावली पोस्ट की। पाकिस्तान में किसका शासन है? (अ) पाकिस्तान के पीएम का (ब) पाकिस्तानी आर्मी का (स) पाकिस्तान के आतंकवादियों का। मोदी की पिछली पाकिस्तान यात्रा का भी लोगों ने हवाला दिया और लिखा कि उन्हें शर्म आनी चाहिए। पठानकोट में सेना मुठभेड़ कर रही है और जनाब चुटकुले सुना रहे हैं। 
 
एक टीवी चैनल के संपादक ने पठानकोट आतंकी हमले के समय बार-बार ट्वीट किए। इन ट्वीट में पठानकोट का लाइव अपडेट था। हमारी सेना के कितने जवान आतंकियों से निपट रहे हैं, कितने हेलीकॉप्टर मदद के लिए पहुंचे, सुरक्षा बलों की रणनीति क्या है आदि विषयों पर लगातार ट्वीट किए जाते रहे। इन ट्वीट्स को सुरक्षा बलों के साथ ही प्रधानमंत्री के सलाहकारों ने गंभीरता से लिया। ऐसा आरोप भी लगाया गया कि ये ट्वीट भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। क्योंकि इनसे दुश्मनों को भारतीय रणनीति के बारे में जानकारी मिल सकती है। ऐसी ही गलती मुंबई पर हुए आतंकी हमले के वक्त भी की गई थी। 
 
पठानकोट में जवानों की शहादत पर लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन ऐसे दिलजले भी थे, जिन्होंने बेशर्मी से लिखा कि पठानकोट में सेना कोई मानवता की रक्षा नहीं कर रही थी, बल्कि एयरबेस और हथियारों के जखीरे की रक्षा कर रही थी। बीबीसी की वेबसाइट ने कथित सुरक्षा विशेषज्ञों के हवाले से आरोप लगाया कि भारतीय सुरक्षा सलाहकार की भूमिका पठानकोट में बहुत अच्छी नहीं रही। इससे उलट स्थिति यह भी थी कि भारतीय सुरक्षा सलाहकार की भूमिका पर कई लोग खुश थे। उनका कहना था कि आतंकी चूहे भारतीय चूहेदानी में फंस गए थे। ऐसे में हमारी प्राथमिकता कम से कम केज्युअल्टी और भारतीय असलहे की सुरक्षा ही प्रमुख थी। 
 
बहादुर सैनिकों की शहादत को सलाम करते हुए लोगों ने लिखा कि उनके परिवारों के दुखभरे चेहरे प्रचारित नहीं करने चाहिए। क्योंकि यह एक स्वभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इससे आतंकियों का मनोबल बढ़ सकता है। गुरदासपुर के एसपी पर भी कई आरोप लोगों ने लगाए हैं और ड्रग माफिया और आतंकवाद के गठजोड़ पर भी टिप्पणियां की गई।