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Written By Author उमेश चतुर्वेदी
Last Updated : गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016 (18:52 IST)

फोटो के जरिए गांधी की जीवन यात्रा पुस्तक का विमोचन

फोटो के जरिए गांधी की जीवन यात्रा पुस्तक का विमोचन - Mahatma Gandhi, photo exhibition
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जिंदगी पर आधारित फोटो पुस्तक महात्मा – गांधीज लाइफ इन कलर का विमोचन केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्यमंत्री महेश शर्मा ने किया। इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और जाने-माने गांधीवादी डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक भी मौजूद रहे।
इस पुस्तक को लोकार्पित करते हुए महेश शर्मा ने कहा कि गांधी को जितनी बार पढ़ा जाय, हर बार उनकी जिंदगी में कुछ न कुछ नया ही मिल जाता है। इस मौके पर अनटचेबिलिटी नो मोर नामक पुस्तक का भी लोकार्पण किया गया। इस दौरान सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की पहल पर अलवर और टोंक में अछूत रही सैकड़ों महिलाओं को ब्राह्मण का दर्जा दिया गया।
 
गौरतलब है कि सिर पर मैला ढोने वाली इन महिलाओं को 2003 से सुलभ के सहयोग से ना सिर्फ लगातार पुनर्वासित किया जा रहा है, बल्कि उन्हें सिर पर मैला ढोने के काम से मुक्त कराकर सिलाई, कढ़ाई-बुनाई, आदि कामों में जोड़ा गया है। जिसके जरिए ये सम्मानपूर्वक जीवन यापन करती हैं। ये महिलाएं पहले नीली साड़ी और कपड़े पहनती थीं, नए दौर में अब वे पीली साड़ी और कपड़े पहनेंगी। इस मौके पर महेश शर्मा और बिंदेश्वर पाठक ने अपने हाथों से इन महिलाओं को लड्डू भी खिलाया।
 
यह पुस्तक गांधी जी के बेटे देवदास गांधी का सपना थी, जो अब जाकर पूरा हुआ है। इस पुस्तक में गांधी जी की जिंदगी से जुड़े 1281 फोटो को शामिल किया गया है। इसके जरिए गांधी की जीवन यात्रा को दिखाने की कोशिश की गई है। पुस्तक में शामिल ज्यादातर फोटो श्वेत श्याम यानी ब्लैक एंड व्हाइट हैं, लेकिन उन्हें रंगीन बनाकर पुस्तक में शामिल किया गया है।
 
हर फोटो को रंगीन बनाने में तत्कालीन इतिहास के जानकारों, ग्राफिक्स डिजाइनरों और कलर विशेषज्ञों की मदद ली गई है। देवदास गांधी ने अपनी जिंदगी में गांधी जी से जुड़े फोटो को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। लेकिन उनका काम अधूरा रह गया। इसके बाद गांधी सर्व इंडिया नामक संस्था ने गांधी जी से जुड़े इन फोटो को इकट्ठा करना शुरू किया। इस संस्था ने करीब पांच हजार फोटो इकट्ठा किए हैं, जिनमें से 1281 को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है। 
 
मूलत: यह काफी टेबल बुक है। इसकी पहली प्रति 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक भेंट कर चुके हैं। इस किताब में दुर्लभ फोटो के साथ ही गांधी जी के 37 विषयों पर उद्धरण और विचार भी दिए गए हैं। इसके साथ ही गांधी जी पर डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक ने महत्वपूर्ण लेख भी लिखा है।
 
पुस्तक विमोचन के मौके पर डॉक्टर पाठक ने कहा कि नई पीढ़ी को गांधी के दर्शन और विचार के साथ ही उनके संघर्ष को समझाने में यह किताब अहम कड़ी साबित होगी। इस किताब में गांधी जी के कई दुर्लभ फोटो शामिल हैं। जिनमें वे नहाते हुए दिख रहे हैं। इस संग्रह में नदी की धारा में तैरते और नहाते हुए भी गांधी जी एक फोटो प्रकाशित किया गया है। जिसमें उनकी सादगी पूरी तरह नजर आ रही है। गांधी जी की ख्याति सादगी के प्रतीक के तौर पर रही है। लेकिन इस पुस्तक में एक फोटो ऐसा भी है, जिसमें वे चांदी की कुर्सी पर बैठे दिखाई दे रहे हैं।
 
इस किताब में एक फोटो ऐसा भी है, जिसमें गांधी जी ट्रेन से गुजर रहे हैं, बाहर हरिजन लोग रेल डिब्बे की खिड़की पर भीड़ लगाए हैं। गांधी जी का ऑपरेशन थियेटर का भी एक फोटो इस संकलन में शामिल किया गया है। एक कुष्ठ रोगी से बात करते हुए भी उनका फोटो इस किताब में है। इस किताब में शामिल कई फोटो ऐसे हैं, जिन्हें ज्यादातर लोगों ने इसके पहले कहीं नहीं देखा होगा। 692 पेज की इस भारीभरकम किताब में गांधी से जुड़े कार्टून, उनसे जुड़ी समाचार पत्रों की कतरनें, चुने हुए पत्र और नक्शे तक शामिल किए गए हैं। इस लिहाज से इतिहास को जीवंत करने वाली यह महत्वपूर्ण पुस्तक बन गई है।
 
इस किताब में मुंबई के जुहू चौपाटी का 1944 का वह मार्मिक फोटो भी है, जिसमें गांधी जी को एक बच्चा छड़ी पकड़कर ले जा रहा है। वह बच्चा उनके पौत्र कनु गांधी थे। सीमांत गांधी के नाम से विख्यात खान अब्दुल गफ्फार खान ने खुदाई खिदमतगार नाम से एक लाख लोगों की अहिंसक सेना बनाई थी। उसी के एक कार्यकर्ता से गफ्फार खान के सामने गांधी के मिलते हुए का भी एक फोटो शामिल है। खुदाई खिदमतगार के कार्यकर्ता लाल रंग के कपड़े पहनते थे। इस फोटो को भी उन दिनों का ही स्वाभाविक रंग देने की कोशिश की गई है। इसमें एक फोटो 1939 का राजकोट का भी है, जिसमें उनकी बहन रलित बेन अपने भाई को संदेश दे रही हैं। 
 
खास बात यह है कि इस किताब में शामिल फोटो को इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, इटली और वेटिकन सिटी के फोटोग्राफरों ने खींचा था। इस संग्रह में 1944 का वह फोटो भी है, जब कस्तूरबा गांधी का निधन हो गया है, गांधी जी उनकी निर्जीव देह के पास बैठे हैं। इसमें 1947 में बिहार में लिया गया एक और मार्मिक फोटो भी शामिल है, जिसमें गांधी जी से बिहार रिलीफ फंड के लिए दान देने के लिए एक अंधा व्यक्ति अर्ज कर रहा है।
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