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Written By Author डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

भारतीय बेहद संवेदनशील हैं और संतोषी भी

भारतीय बेहद संवेदनशील हैं और संतोषी भी - Indian, PV Sindhu, Rio Olympi 2016, Social media, Indian citizen
#माय हैशटैग
 
पुसरला वेंकट (पीवी) सिंधु, साक्षी मालिक और दीपा कर्माकर ने भारतीयों के मन से यह बात निकाल दी होगी कि घर में एक बेटा तो होना ही चाहिए! अगर बेटियों को समान अवसर दिए जाएं तो वे भी चमत्कार दिखा सकती हैं। सिंधु के इस मैच के पहले भारत के लोग केवल क्रिकेट ही देखने के आदी थे। यह पहला मौका था, जब हर कोई बैडमिंटन का मैच देख रहा था। सिंधु के मैच के प्रसारण को करोड़ों लोगों ने लाइव देखा और क्षण-प्रतिक्षण अपनी बेबाक राय सोशल मीडिया पर देते रहे। सोशल मीडिया पर तो हर आम-ओ-खास बैडमिंटन का एक्सपर्ट हो गया। 125 करोड़ लोगों का देश पीवी सिंधु का रजत पदक पाकर ही झूम उठा। सिंधु, तुमने देश का मान रख लिया! सिंधु, तुमने राखी की लाज रख ली! सिंधु, तुमने हमें अब तक का सबसे बड़ा तोहफा दिया है! 
पीवी सिंधु के मैच के दौरान और उसके बाद भी सोशल मीडिया पर केवल वे ही छाई हुई थीं। लोग न केवल सिंधु को बधाई दे रहे थे, बल्कि सिंधु की प्रतिस्पर्धी स्पेन की कैरोलिना मारिन के बारे में भी लिख रहे थे कि एक तरफ जहां सिंधु बेहद शांतचित्त होकर खेल रहीं थीं, वहीं कैरोलिना तनाव के क्षणों में चिढ़चिढ़ी और बदमिजाज प्रतीत हो रही थीं। ऐसे बहुत कम लोग थे जिन्होंने कैरोलिना के व्यवहार और बेचैनी की चर्चा नहीं की हो। 
 
देश का शायद ही कोई ऐसा खिलाड़ी, नेता, अभिनेता, उद्योगपति, कलाकार होगा जिसने पीवी सिंधु को बधाई नहीं दी हो। लाखों लोगों ने जिस तरह से उन्हें बधाइयां दीं और उनकी प्रशंसा की, वह बिरला अवसर है। मैच के पहले लेखिका शोभा डे ने जब सिंधु को 'सिल्वर गर्ल' कहकर सिल्वर मैडल लाने का अंदेशे वाला ट्वीट किया, तब हजारों लोगों ने शोभा डे की खबर ले ली। कई लोगों ने तो शोभा डे को पनौती भी लिख डाली। हारकर शोभा डे को अपना स्टाइल बदलना पड़ा और सिंधु को शुभकामनाएं देनी ही पड़ीं। 
 
जितनी सराहना सिंधु की हुई, उससे कम सराहना उनके कोच पी. गोपीचंद की भी हुई। पूरा बॉलीवुड गोपीचंद और सिंधु की प्रशंसा के संदेशों में डूब गया लगा। गोपीचंद ने सिंधु की तारीफ तो की ही, उनके संघर्ष और खेल कौशल को भी सराहा। इस सबके बीच एक ऐसा वर्ग भी था, जो गूगल पर यह जानना चाहता था कि सिंधु पंजाबी हैं या दक्षिण भारतीय? ब्राह्मण हैं या दलित?
 
यह दिलचस्प प्रतिक्रिया भी देखने को मिली कि हम भारतीय लोग बेहद संवेदनशील हैं। संतोषी तो हैं ही! 'सिंधु, तुम्हारा रजत पदक भी सोने के पदक से कम नहीं!' क्यों भाई? रजत और सोने में कोई फर्क नहीं है क्या? क्या आप अपने सोने के जेवर देकर चांदी के लेने को तैयार हों? सोना, सोना है और चांदी, चांदी!
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