बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मेरा ब्लॉग
  4. Bhopal Somwara Mata Mandir

उपासना के लिए किसी को जेल भेजा जा सकता है?

उपासना के लिए किसी को जेल भेजा जा सकता है? - Bhopal Somwara Mata Mandir
आजन्म मां भगवती की उपासना करने वाले एक संत के बेटे ने जब पिता द्वारा स्थापित मंदिर के जबरदस्ती बंद किए गए पट को खुलवाने की कोशिश की, तो उसे जेल भेज दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस की कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ न होकर, जिन्होंने मंदिर में पूजा रोकने की कोशिश की, के बजाए उस शख्स पर की, जिसने हजारों लोगों की आस्था को अपने साथ लेकर मंदिर में पूजा करवाई। भोपाल में बीजेपी के नेता रवींद्र अवस्थी से उनकी अपनी ही पार्टी के कुछ लोग खार खाए बैठे हैं और यही वजह है कि पुलिस और प्रशासन दोनों ने इस नाइंसाफी को अंजाम दिया है। हद तो तब हो गई जब जमानत की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद सरकारी अधिकारी यह कह रहे हैं कि ऊपर से दबाव है इसलिए उन्हें जेल से बाहर नहीं आने दिया जा सकता। अब पूरा हिंदू समाज और पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं और बीजेपी नेता की रिहाई की मांग कर रहे हैं।
 
मामला भोपाल के सोमवारा माता मंदिर का है। कुछ सांप्रदायिक लोगों द्वारा मंदिर के पट बंद करवा दिए गए थे। अपने पिता द्वारा स्थापित इस मंदिर के पट इस तरह बंद होने के बाद किसी भी बेटे का गुस्सा लाजिमी है। रवींद्र अवस्थी ने इलाके के हजारों हिंदू भाईयों को साथ लेकर मंदिर के पट खुलवाए और भव्य आरती की। इसके अगले ही दिन उन्हें पुलिस ने घर से उठा लिया और तब से जेल में ही रख रखा है। यह गैरकानूनी इसलिए भी हैं क्योंकि कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद सरकारी अधिकारी कह रहे हैं कि ऊपर से दबाव है इसलिए उन्हें नहीं छोड़ा जा रहा है। क्या यह दबाव सीधे मुख्यमंत्री का है? या फिर स्थानीय राजनीति में उनके धुर विरोधी रहे और वर्तमान में भोपाल के महापौर आलोक शर्मा का है? यह तो खैर जांच का विषय है लेकिन यह एक ऐसा वक्त है जब सभी को एक होकर एक माता भक्त को बचाने की कोशिश होनी चाहिए। इस बात का विरोध सिर्फ उनके समर्थक ही नहीं वैचारिक रूप से उनके धुर विरोधी ही कर रहे हैं। वामपंथी विचारक और लेखक श्रीराम तिवारी जो आमतौर पर बीजेपी के खिलाफ जमकर लिखते हैं उन्होंने भी इस घटना के बाद अपनी एक निष्पक्ष राय फेसबुक पर लिखी जिसे जस का तस आपके सामने रख रहा हूं -  
 
भोपाल रियासत के मुस्लिम नबाबों ने आजादी की लड़ाई में या तो अंग्रेजों का साथ दिया या वे जि‍न्ना की मुस्लिम लीग का साथ देते रहे। नबाब घोर हिन्दू विरोधी हुआ करते थे! उन्होंने और उनसे भी पहले खिलजियों, तुर्कों ने भोज परमार कालीन मंदि‍रों को ध्वस्त कर अनेक मस्जिदें बनवाई। उनके आतंक के कारण आजादी से पहले के पुराने भोपाल रियासत में हिन्दू खत्म कर दिए गए। जो बचे उनका जबरन धर्मांतरण करा दिया जाता रहा। भोपाल के भारत में विलय से पूर्व नवाबों ने देश का बेशकीमती धन पाकिस्तान भेज दिया था। 
 
आजादी के बाद पुराने भोपाल के कुछ बचे-खूचे हिन्दू किसी एक मंदि‍र की तलाश में थे, क्योंकि मंदि‍र के अभाव में यदि वे घरों में आरती या पूजा पाठ करते थे, तो नवाब की नाजायज औलादें उन्हें घसीटकर तालाब में फेंक देती थीं। यह सिलसिला आजादी के कुछ साल बाद भी चलता रहा। पुराने भोपाल के अधिकांश हिस्सों में सिर्फ मस्जिदें ही आबाद थीं। किंतु लगभग 70 साल पहले चंदेरा ग्राम (जतारा) बुंदेलखंड से काम की तलाश में भोपाल आए एक सत्यनिष्ठ गरीब ब्राम्हण पंडित श्रवण अवस्थी ने सोमवारे में एक खंडहर के पास नवरात्रि के अवसर पर माता जी की प्रतिमा रखकर जवारे बो दिए, उसके बाद का सारा इतिहास पूरे भोपाल को भी मालूम है, कि कैसे कर्फ्यू वाली देवी के मंदिर का निर्माण हुआ। तब अर्जुन सिंह की भ्रष्ट सरकार ने उन सीधे सच्चे सरल पंडित श्री श्रवणकुमार अवस्थी को जेल में डाल दिया। भाजपा व संघ वालों ने भी इन सभी सांप्रदायिक घटनाओं का खूब राजनैतिक फायदा उठाया। अवस्थी परिवार ने खूब कूर्बानियां दीं और भाजपा के अच्छे दिन आये। शिवराज सरकार मस्त है।
 
पंडित श्रवन कुमार अवस्थी देवलोक प्रस्थान कर गए,  अब उनके बेटे पंडित रवींद्र अवस्थी कुर्बानियां दे रहे हैं। पंडि‍त श्रवणकुमार अवस्थी का बेटा रवींद्र अवस्थी भी उसी हिन्दू अस्मिता और वास्तविक धर्मनिरपेक्षता की खातिर इन पंक्तियों के लिखे जाने तक जेल में बंद है! जबकि कुछ फोकटिये भाजपा नेता और उनके अंधभक्त सत्ता के मजे लूटने में व्यस्त है। शायद इसी को कहते हैं कि 'अंधे पीसें कुत्ते खाएं '!
 
यह निष्पक्ष राय इसलिए कही जाएगी क्योंकि विचारधारा का विरोध होने के बावजूद लेखक ने माता के मंदिर के पट खुलवाए जाने के लिए जेल यात्रा की भी परवाह नहीं की। अब देखना है कि क्या हिंदू अस्मिता की रक्षा हो पाती है या नहीं?