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बाहुबली-2 फिल्म नहीं, मार्केटिंग का कार्निवाल है

बाहुबली-2 फिल्म नहीं, मार्केटिंग का कार्निवाल है - Bahubali 2, Movie Bahubali-2 release
# माय हैशटैग
 
बाहुबली-2 फिल्म को फिल्म कहना उपयुक्त नहीं, यह मार्केटिंग का कार्निवाल है। बाबा रामदेव के पतंजलि के बाद बाहुबली-2 एक ऐसा प्रोडक्ट है, जिसने अपने आसपास मार्केटिंग का व्यापक जाल बुना और कामयाब हुआ। इसकी शुरुआत फिल्म के निर्माता ने फिल्म बनने के पहले ही कर दी थी, जब उसने पहली फिल्म का नाम ‘बाहुबली-द बिगनिंग’ रखा था। ‘बाहुबली-2 द कन्क्लूजन’ फिल्म के बाद यह तय है कि इसका तीसरा भाग नहीं आएगा। यह बात तय है कि भारतीय फिल्म इतिहास में कोई भी फिल्म इतने सुविचारित तरीके से प्रचारित नहीं की गई। इसी के साथ फिल्म का डिस्ट्रिब्यूशन भी इस चतुराई से किया गया कि फिल्म को ब्लॉकबस्टर तो होना ही था। 
फिल्म बाहुबली-2 के निर्माण की शुरुआत से ही सोशल मीडिया पर लगातार अभियान चलाए जाते रहे। फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब का जमकर उपयोग किया गया। इसी के साथ फिल्म की अपनी वेबसाइट लांच की गई। फिल्म के निर्माता निर्देशक और कलाकारों ने सोशल मीडिया पर फिल्म के बारे में जमकर प्रचार किया। फिल्म के लोगो लगे कपड़े, खिलौने, पोस्टर आदि बाजार में बेचे जाने लगे। कई बड़े-बड़े कार्पोरेट घराने बाहुबली-2 सीरिज लेकर आए। एयरटेल ने अपने डाटा पैक का नाम बाहुबली पैक रखा, तो बिग बाजार ने अपने पांच दिवसीय सेल का नाम बाहुबली सेल रखा। 
 
बाहुबली-2 को हिन्दी में पेश करने वाले धर्मा प्रोडक्शन ने इस फिल्म का प्रचार प्रिंट और टेलीविजन मीडिया में सिलसिलेवार किया। इस तरह माहौल बनाया गया कि यह फिल्म भारतीय और ग्लोबल बॉक्स ऑफिस पर सबसे बड़ी हिट होने वाली है। इस बात की पूरी तैयारी की गई कि फिल्म की ओपनिंग बहुत धमाकेदार और शानदार हो और अधिक से अधिक पैसा पहले सप्ताह में ही कमा लिया जाए। लगभग सभी प्रमुख सिनेमाघरों में इस फिल्म को दिखाने की व्यवस्था कर ली गई और सिनेमा के टिकट का दाम दो गुना तक बढ़ा दिया गया। बंबई और दिल्ली में शनिवार, रविवार के लेटनाइट शो के टिकट गोल्ड क्लास में 2400 रुपए तक पहुंच गए। फिल्म की ऑनलाइन बुकिंग धमाकेदार तरीके से की गई। साथ ही ऑनलाइन बुकिंग इस तरह की गई कि लोग टिकट के साथ-साथ पॉपकॉर्न और कोल्डड्रिंक भी खरीदें। कहीं-कहीं पॉपकॉर्न और कोल्डड्रिंक की कीमत फिल्म के टिकट से भी ज्यादा थी।  
 
फिल्म के प्रचार का ही नतीजा था कि रिलीज होने के पहले ही भारत में पांच दिन के टिकटों की एडवांस बुकिंग से होने वाली आय 215 करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी। अमेरिका में यह फिल्म 236 स्क्रीन पर रिलीज हुई, जिससे 36 लाख डॉलर की कमाई पहले हफ्ते में अपेक्षित थी। भारत मूल की कोई फिल्म अमेरिका में एक हफ्ते में इतना बिजनेस नहीं कर पाई। अमेरिका की इस सप्ताह की दस प्रमुख फिल्मों में इसे कारोबार की दृष्टि से गिना गया। दिलचस्प बात यह है कि राजामौली के पिता को यह आइडिया 2005 में आया था कि सत्ता की लड़ाई में लोगों की रुचि हो सकती है और कहानी से ज्यादा चरित्रों का महत्व होता है। उन्हीं ने सबसे पहले महिष्मती की कल्पना की और वहां के राजमहल में होने वाली राजनीति को रेखांकित किया। उस विचार को फिल्म बनाने में दस साल लग गए। राजामौली को अपने पुराने अनुभव इस फिल्म में काम आए। इसके पहले उनकी एक फिल्म आई थी ईगा (उड़ान)। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखाया था। उन्हें लगता है कि ईगा का प्रचार ठीक से नहीं किया गया था। 
 
2013 में बाहुबली- द बिगनिंग के निर्माण की शुरुआत हुई थी, तभी से राजामौली सोशल मीडिया पर इसका प्रचार करने लगे थे। पहले उन्होंने इस फिल्म का प्रचार डिजिटल मार्केटिंग अभियान के तहत किया था और बाद में सोशल मीडिया पर छोटे-छोटे वीडियो क्लीप लेकर आए। 
 
राजामौली जानते हैं कि भारत में चार भाषाओं की फिल्में अच्छा कारोबार करती हैं, इसीलिए उन्होंने इस फिल्म को तेलुगु के अलावा तमिल, हिन्दी और मलयालम में भी बनाने का फैसला किया था। राजामौली खुद तेलुगु में फिल्में बनाते हैं। उन्होंने अपने साथ अन्य भाषाओं के मार्केट लीडर को जोड़ा, जैसे हिन्दी में धर्मा प्रोडक्शन, तमिल के लिए स्टूडियो ग्रीन और मलयालम के लिए यूनाइटेड मीडिया। फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन का भी उन्होंने ध्यान रखा और अमेरिका में फिल्म के प्रदर्शन के लिए अमेरिकी कंपनी ब्लूस्काई सिनेमास को चुना। इस तरह अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली बड़ी कंपनियां एक साथ मैदान में आईं और बाहुबली की शुरुआत हुई। 
 
'बाहुबली द बिगनिंग' 10 जुलाई 2015 को रिलीज हुई थी। यह भी चार भाषाओं में थी और करीब चार हजार स्क्रीन्‍स पर एक साथ प्रदर्शित की गई थी। इस फिल्म ने पहले दिन ही विश्व स्तर पर 55 करोड़ से अधिक का कारोबार किया था। अकेले अमेरिका में इस फिल्म ने 22 लाख डॉलर यानि करीब 13.5 करोड़ रुपए कमाए थे।
 
फिल्म का प्रचार बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से किया गया। फिल्म का लोगो, पोस्टर, गाने, ट्रेलर आदि धीरे-धीरे लांच किए गए। मैडम तुसाद के स्टूडियो में फिल्म के हीरो प्रभाष का मोम का पुतला नियोजित ढंग से स्थापित करवाया गया। प्रमुख फिल्म समीक्षकों को फिल्म के सेट पर ले जाया गया और ब्लॉग लिखने वालों से पैड आर्टिकल लिखवाए गए। 
 
राजामौली को पता था कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन उनके सामने चुनौती यह थी कि वह कैसे इस फिल्म को मील का पत्थर साबित करें। प्रचार के लिए प्री-लांच आयोजनों की अच्छी रूपरेखा बनाई गई। फिल्म के तेलुगु ट्रेलर को यू-ट्यूब पर प्रमोट किया गया, जिसे सवा चार करोड़ वीडियो व्यू मिले। हिन्दी के ट्रेलर को उससे भी अधिक करीब साढ़े चार करोड़ लोगों ने देखा। फिल्म के भारत में रिलीज होने के पहले संयुक्त अरब अमीरात में विशेष प्रदर्शन किए गए और ऐसी फिल्म समीक्षकों की समीक्षा को प्रमोट किया गया, जिन्होंने फिल्म को पांच में से पांच स्टार दिए थे। 
 
इसके अलावा बाहुबली के विज्ञापन के लिए अनूठे रास्ते अपनाए गए। जैसे ब्रिटानिया मिल्क बिस्किट के करीब डेढ़ करोड़ पैकेट पर बाहुबली की ब्रांडिंग की गई। चॉकलेट के साथ बाहुबली के टैटू गिफ्ट किए गए। मैकडोनाल्ड जैसी कंपनी ने बाहुबली-2 से जुड़कर प्रचार में योगदान दिया। मैकडोनाल्ड ने बाहुबली के साथ मिलकर मैक मील और मैक जूनियर जैसे पैकेज लांच किए।
 
इन्हीं सब प्रयासों का नतीजा था कि बाहुबली फिल्म के नाम पर इतना ज्यादा हल्ला मचा और फिल्म ने ऐतिहासिक बिजनेस किया। अब इस रिकॉर्ड को तोड़ पाना दूसरी फिल्म के लिए आसान नहीं होगा।
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