गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. नायिका
  4. »
  5. आलेख
Written By WD

खुलकर जियो जिंदगी

खुलकर जियो जिंदगी -
- दिव्यज्योति नंदन

ND
ND
मरने का भय, असफलता की दुश्चिंता, विशिष्ट होने व दिखने का दबाव, सफल होने की सामाजिक जरूरत और प्रतिस्पर्धा में हमेशा अव्वल होने की लगातार और लक्ष्यहीन दौड़ के बीच क्या छूट रहा है, हम कभी रुककर नहीं सोचते हैं। इसलिए हम समझ ही नहीं पाते कि इसमें हम क्या खो रहे हैं।

सफलता को एक मूल्य की तरह स्थापित किए जाने वाले दौर में सहजता सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसलिए जीवन में सहजता और सरलता से प्राप्त होने वाली खुशियों को डंप पड़े संदूकों से निकालें। कभी-कभी तेज ठंड में नदी में तैरने का आनंद लें।

भीगते हुए भुट्टा खाने या पतंग लूटकर लाने जैसा बचपना भी कर देखें। अपने बनाए खोल से बाहर जाकर देखें कि 'सामान्य' होकर जीने का क्या मजा है।

क्या कभी आपने महसूस किया है कि आपके भीतर हमेशा एक अज्ञात की आशंका रहती है। जब किसी विशेष बीमारी का संक्रमण फैला हो, जैसे आजकल स्वाइन फ्लू का डर दिल में है। हम सब आजकल डरे रहते हैं कि कहीं स्वाइन फ्लू हमें न हो जाए। अगर हम कहीं रेलगाड़ी से सफर कर रहे हों तो हमें डर रहता कि कहीं गाड़ी में बम विस्फोट न हो जाए या कोई बड़ी दुर्घटना न हो जाए।

हम सभी हर समय डरे रहते हैं आज से ही नहीं हमेशा से। हम मोटे होने से घबराते हैं। चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ने की कल्पना से परेशान हो उठते हैं। नौकरी पर असफल होने का डर हमें सताता है। रिश्ते बिगड़ने का डर, घर से निकलते हैं तो लगता है आज लौट पाएँगे या नहीं। कुल मिलाकर हम कई तरह के डर से घबराते हैं। लेकिन हमें डरकर तो रहना नहीं है।

हम यह क्यों नहीं सोचते कि अगर हमारे घर में फलाँ शेड का इस्तेमाल हुआ है तो क्या हुआ? अगर हमने फैशन से हटकर पुराने फैशन के कपड़े पहने हैं तो क्या हुआ? यदि हमारा वजन 5 किलो ज्यादा बढ़ गया तो क्या हुआ? अगर हमारे बच्चे दूसरों की तुलना में ज्यादा अच्छे नहीं है तो क्या हुआ? अगर हमारे पड़ोसी गोआ घूमने गए और हम जयपुर मुश्किल से जा पाए तो क्या हुआ?

हमें अपने कमतर होने पर अपमानित नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि जीवन में हमें जो कुछ मिला है उसे लेकर हम खुश रहें और जो हमारे पास नहीं है उसका गम न पालें। वर्तमान में जिएँ, भविष्य की चिंता करके अपने को बड़ी परेशानी में न डालें। यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम अपने भीतर की शांति के लिए प्रयास करें। कोई भी व्यक्ति जीवन में पूर्ण नहीं होता। हाँ, इतना जरूर है कि व्यक्ति 'जियो और जीने दो' के मूल मंत्र को समझ ले तो वह निश्चित रूप से खुश रहेगा।

हर समय अपने आपको विशिष्ट बनाने, विशिष्ट समझने की बजाय सामान्य बनने की कोशिश करें। अपनी असफलताओं से सीख लें। उन्हें स्वीकारें, अपनी उन्नाति की भाँति असफलताओं का भी जश्न मनाएँ, दोनों एक-दूसरे से जुड़ी हैं। असफल रहन का डर हमें किसी भी नई चुनौती को स्वीकारने से डराता है, इसलिए असफलता के इस भूत को उतारकर फेंक दें।

हर समय अपनी हेल्थ को लेकर अति कॉन्शस न रहें। अपने रोज लेने वाली कैलोरीज पर निगाह तो रखें। फिट रहने के लिए कुछ हद तक एक्सरसाइज करें, लेकिन अपने फिटनेस शिड्यूल को अपने जीवन पर हावी न होने दें।

छोटी-छोटी चीजें जीवन को कितना सुख देती हैं, उतना सुख हमें जीवन की बड़ी चीजें भी नहीं दे पातीं। घूमते हुए कभी अपने आस-पड़ोस की रेहड़ी पर खड़े होकर गोल-गप्पे और पापड़ी-चाट खाएँ। देखें, कितने स्वादिष्ट लगते हैं। इस तरह की बातें हो सकता है आपने लंबे समय से न की हों और आपको करने में हिचक हो रही हो, लेकिन करके देखें। अपने इर्द-गिर्द छाए भय के आतंक से आप संक्रमण मुक्त हो सकेंगे।