बुधवार, 17 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. नायिका
  4. »
  5. आलेख
Written By WD

जीत लें अकेलापन

जीत लें अकेलापन -
- प्रीता जै

NDND
तमाम रिश्ते-नाते होते हुए भी कई बार मन को नितांत अकेलापन महसूस होने लगता है। कारण कुछ भी मान सकते हैं मसलन- भागमभाग भरी जिंदगी में औरों से मिलने के समय का अभाव होना, मानसिक स्तर पर एक जैसा न रहने से व्यक्ति-दर-व्यक्ति विचारों का अलग होना, आपसी व्यावहारिकता में कमी रहना वगैरह-वगैरह।

वैसे देखा जाए तो आज के समय को देखते हुए भलाई इसी में है कि जब तक अंतर्मन से किसी से स्नेह-अपनापन न हो तब तक ज्यादा मतलब अथवा मेलजोल न रखा जाए।

यूँ तो किसी से दो पल बैठकर हँसना-बोलना दिल को अच्छा लगता है, उबाऊ व नीरसता दूर ही करता है, परंतु जब किसी कारणवश अनायास ही सामने वाले से मनमुटाव हो जाता है तो सिवाय तनाव-परेशानी के कुछ भी हासिल नहीं होता, बेवजह मन को दुःख-तकलीफ ही पहुँचती है। इसलिए जितना जरूरी हो उतना ही परस्पर मेलजोल व आना-जाना बरकरार रखा जाए ताकि बेवजह की चिकचिक से दूर रह दिल को शांति व चैन मिल सके। अब यह समस्या आ सकती है कि अकेले रहकर कैसे जिया जाए, कैसे यह समय बीते?

थोड़ी-सी सूझबूझ व सकारात्मक सोच के साथ यदि इस बारे में विचारें तो इसका समाधान अवश्य ही मिल जाएगा, बल्कि यह कहना ज्यादा सही होगा कि बेफिजूल के क्रियाकलापों में जो वक्त हम बर्बाद कर रहे थे, निरर्थक गँवा रहे थे उससे बच सकेंगे व पहाड़-सी बड़ी जिंदगी कुछ सार्थक कार्य करने की वजह से छोटी लगने लगेगी और एक-एक पल हसीन यादों के साथ गुजरता चला जाएगा। इसके लिए कुछ टिप्स हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है-

  सकारात्मक रवैया अपनाते हुए जिंदगी की महत्ता समझ इसका एक-एक क्षण भरपूर जिएँ, सदैव यही याद रखें कि दुनिया में अकेले आए थे, अकेले ही जाना है, कोई साथ नहीं रहता, संग नहीं जाता। इसलिए यह मलाल तो कभी रखना ही नहीं चाहिए कि हम अकेले रहकर क्या कर सकते हैं।      
व्यवस्थित दिनचर्या के स्वामी बनें :
सुबह से शाम यूँ ही न हो जाने दें। जो भी जॉब या फिर घरेलू कार्य हैं, उन्हें निश्चित समय में पूरा करें। अब जो समय बच रहा है, उसकी एक निश्चित रूपरेखा तैयार कर किस तरह उसका बेहतर सदुपयोग किया जा सकता है, विचारें। जब सब कुछ अनुशासित होगा तभी कुछ करने का मन बनेगा, आंतरिक इच्छा जागृत होगी।

योग्यता पहचानें :
सौ फीसदी सच है, जितना व्यक्ति अपने आपको जानता-पहचानता है, उतना कोई और नहीं। अतः अपनी कमियों व अच्छाइयों दोनों को ही मद्देनजर रखते हुए जो भी थोड़ी-बहुत अच्छाइयाँ हैं, उन्हीं के बलबूते किसी भी क्षेत्र में धैर्य व तल्लीनता के साथ सोच-समझकर कुछ भी अर्थपूर्ण व उपयोगी कार्य करने की पहल करें। समय कैसे निकलता जाएगा, पता भी नहीं चलेगा और सबसे अहम तो यह है कि जो संतुष्टि व खुशी मिलेगी, उसका और कोई विकल्प नहीं होगा।

कशमकश छोड़ क्रियाशील रहें :
इसी सोच में सारा वक्त न निकाल दें कि अब इस उम्र में आकर अकेले ही मैं यह कर रहा हूँ/कर रही हूँ तो लोग क्या कहेंगे? क्या सोचेंगे? या फिर मेरा यह काम करना सही भी रहेगा अथवा नहीं, समझ नहीं आ रहा, क्या करूँ, क्या न करूँ? जबकि यथार्थ में सही यही है कि यदि आप अपनी जिंदगी अपने तरीके से स्वयं की इच्छा से बिताना चाहते हैं तो कुछ भी इधर-उधर की न सोच, जो भी दिल-दिमाग से सही लगे वही करें, जिंदगी में बदलाव ला "दो पल" खुशी-खुशी के बिताएँ और जो कार्य करने का मन से निश्चय कर ठान लिया, उसी पर ताउम्र अटल रहें।

स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें :
व्यक्ति अकेलेपन से तभी घबराता है जब वह स्वस्थ नहीं रहता। उसे हर वक्त यही महसूस होता है कि मुझे कुछ तकलीफ हो गई तो क्या होगा? मेरा किसी ने साथ नहीं दिया तो क्या करूँगा। इसलिए जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण व आवश्यक सेहतमंद रहना ही है। जब ऐसा होगा तभी उम्र को अनदेखा कर व्यक्ति जो चाहे वही कार्य कर सकता है।

अपने लक्ष्य को पा जीवन को बेमतलब गँवाने से बच सकता है अतः स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। इसके लिए थोड़े-थोड़े अंतराल में डॉक्टर से सलाह-मशविरा करते हुए शरीर की आवश्यकतानुसार खाएँ-पिएँ तथा अतीत की कड़वी यादों को भूल भविष्य के मधुर सपनों को हकीकत में देखते हुए उन्हें साकार करते हुए प्रसन्नाचित हो जिएँ।

आत्मविश्वास व आत्मसम्मान बनाए रखें :
सकारात्मक रवैया अपनाते हुए जिंदगी की महत्ता समझ इसका एक-एक क्षण भरपूर जिएँ, सदैव यही याद रखें कि दुनिया में अकेले आए थे, अकेले ही जाना है, कोई साथ नहीं रहता, संग नहीं जाता। इसलिए यह मलाल तो कभी रखना ही नहीं चाहिए कि हम अकेले रहकर क्या कर सकते हैं। क्या पा सकते हैं?

वास्तविकता तो यही है कि जो भी करना है, पाना है, अकेले आत्मनिर्भर हो ही प्राप्त कर सकते हैं, परंतु यह तभी संभव है, जब स्वयं के मन से खुद के प्रति पूर्ण विश्वास व भरोसा होगा व अपनी काबिलियत पर निष्ठा होगी। अतः यदि इस छोटे-से जीवन में कुछ कर दिखाना चाहते हैं तो बिना वजह समय खराब कर बेसिरपैर की बातें करने से लाख गुना अच्छा यही है कि अपने पर भरोसा कायम कर कुछ ऐसा कर गुजरें कि यहाँ से जाने के बाद भी किसी न किसी रूप में इस जहाँ में बने रहें।

इस छोटी-सी जिंदगी में यदि कुछ हासिल करना चाहते हैं और कुछ नाम कमाना चाहते हैं तो अपनी जिम्मेदारियों को भली-भाँति निभाते हुए जो भी समय मिल रहा है, उसका अपनी कार्यकुशलता के आधार पर तन्मयता व एकाग्रतापूर्वक सही मायने में सदुपयोग करें न कि हर समय चार लोगों के बीच रहकर अकारण ही अशांति व दुविधा का आवरण ओढ़ अपनी क्षमताओं का ह्रास कर लें।