गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By गायत्री शर्मा

कॉलेज में प्यार के किस्से

कॉलेज में प्यार के किस्से -
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युवाओं का प्यार कभी परवान चढ़ता है तो वो कॉलेज के दिनों में। दोपहर में कैंटीन में बैठकर एक-दूसरे को ताकना, घंटों तक मोबाइल पर बातें करना, क्लास के बहाने बाहर घूमने जाना। आखिर ये प्यार नहीं तो और क्या है? हम सभी को अपने कॉलेज के दिन भुलाए नहीं भूलते।

आखिर वो वक्त भी क्या वक्त था, जब हम बेखौफ होकर अपने साथी की बाँहों में बाँहें डाले घूमते थे, उस पर कोई नजर उठाकर तो देख ले, उसका नक्शा बदल देते थे। यह जोश तो केवल कॉलेज के दिनों में ही होता था, सच है ना?

उन दिनों के जोश के क्या कहने। कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ जहाँ हम उम्र से युवा हो जाते हैं, वहीं विचारों से जोशीले व ऊर्जावान भी होते हैं तभी-तभी तो जोश-जोश में सबके सामने अपने प्यार को प्रपोज करने से भी नहीं डरते हैं।

  युवाओं का प्यार कभी परवान चढ़ता है तो वो कॉलेज के दिनों में। दोपहर में कैंटीन में बैठकर एक-दूसरे को ताकना, घंटों तक मोबाइल पर बातें करना, क्लास के बहाने बाहर घूमने जाना। आखिर ये प्यार नहीं तो और क्या है? हम सभी को अपने कॉलेज के दिन भुलाए नहीं भूलते।      
आजादी से पनपता प्यार :-
स्कूल से अचानक कॉलेज में दाखिला लेना जहाँ आजादी का परिचायक होता है, वहीं उन्मुक्तता का संकेत भी होता है। कॉलेज के दिनों में प्यार होना एक प्रकार से स्वभाविक भी है क्योंकि यही वह स्थान होता है जहाँ नए-नए दोस्त और नए-नए संबंध बनते हैं।

कई बार तो सालों से चली आ रही दोस्ती भी इस दौर के आकर्षण व प्यार के आगे ‍फीकी पड़ जाती है। कॉलेज कैंपस में सभी दोस्तों के साथ मिल बैठकर मौज-मस्ती करने का व नए दोस्तों के संपर्क में आने का बहाना जो मिल जाता है।

स्कूल की बजाय कॉलेज में युवाओं को आजादी अधिक मिलती है क्योंकि स्कूल में तो टाइमिंग के मामले में समझौता मतलब बात घर तक गई समझो और कॉलेज में तो 'जो होगा निपट लेंगे।' कॉलेज में क्लासेस का रेग्यूलर नहीं लगना युवाओं के दिलों में हिलोरे भरते प्यार को अभिव्यक्ति का एक मौका प्रदान करता है।

प्यार कम आकर्षण अधिक :-
कुछ लोग प्यार को आकर्षण का नाम देते हैं। युवाओं में तो अक्सर प्यार की नींवही आकर्षण पर टिकी है। उनके लिए पहले आकर्षण होता है फिर प्यार होता है परंतु यह सही नहीं है। प्यार तो दिल से होता है फिर चाहे आपका प्रेमी काला-गोरा या अमीर-गरीब ही क्यों न हो।

यदि आप प्यार को आकर्षण मात्र ही मानते हैं तो माफ कीजिएगा आपका वह प्यार, प्यार नहीं बल्कि धोखा है, जो किसी शर्त पर किया जा रहा है। कॉलेज में बन-सँवरकर आना, अपने नोटों की चमक दिखाकर किसी को अपना बनाना वास्तव में प्यार नहीं है।