शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. सेहत
  4. »
  5. आहार
Written By WD

फूड पॉइजनिंग : एक आम बीमारी

फूड पॉइजनिंग : एक आम बीमारी -
खाना खाकर कुछ समय सुस्ता लेने के बाद जब पेट में मरोड़ उठने लगे, नाभि के आसपास तेज दर्द होने लगे, सिर चकराने लगे साथ ही उल्टियाँ भी होने लगें तो मेडिकल की भाषा में इसे 'फूड पॉइजनिंग' कहते हैं।

फूड पॉइजनिंग के कारण

WDWD
वेजीटेरियन या नॉन वेजीटेरियन खाना बनाते समय या सलाद बनाते समय हाथ साफ न रखने से स्टफाइलोकोक्कस बैक्टीरिया भोजन में चला जाता है। नॉनवेज में चिकन या मछली में सलमोनेला नामक हानिकारक बैक्टीरिया होता है जो मांस को ठीक तरह न धोने व ठीक तरह न पकाने से नष्ट नहीं होता और पेट में जाकर सक्रिय हो जाता है।

श्रीखंड या क्रीम को खुला रखने से उसमें मैजूद नुकसानदेह बैक्टीरिया धूप के कारण 'मेल्टीप्लाइंग मेथड' से कई गुना बढ़ जाता है। वजह जो भी रहे, हानिकारक विषाणु शरीर में दाखिल होते ही सबसे पहले आंतों पर धावा बोलकर उन्हें बीमार बना डालते हैं। ऐसे में शरीर कमजोर हो जाता है और इन विषाणुओं से लड़ नहीं पाता।

फूड पॉइजनिंग में डायरिया की स्थिति में दूषित भोजन के माध्यम से शरीर में घुसने वाले बैक्टीरिया सबसे पहले आंतों को उत्तेजित करते हुए शरीर में पानी की कमी पैदा करते हैं, उस कमी को पूरा करने के लिए भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

पानी की कमी को पूरा करने के लिए 'जीवन रक्षक घोल' सेब आदि फलों का रस, सूप वगैरह पी सकते हैं। इन्हें बगैर किसी मिलावट के ही पीना चाहिए। पेय पदार्थो का भरपूर सेवन नहीं करने से शरीर में कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे आमाशय उत्तेजित हो जाता है।

जो भी पेय पदार्थ पिएँ, उसे एक ही साँस में न पीते हुए घूँट-घूँट पिएँ, ऐसा न करने से फिर उल्टी होना चालू हो सकता है। इस स्थिति में बगैर बुलबुलों का सोडा पीना भी फायदेमंद होता है।

  फ्रिज में मटन-चिकन रखने के बावजूद उनमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों के अन्दरूनी हिस्सों और बाहरी हिस्सों का तापमान एक समान नहीं होता। इनके सतही हिस्से पर बैक्टीरिया आसानी से बढ़ सकते हैं।      
उल्टी-दस्त यानी डायरिया होने से शरीर में मौजूद सारे आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे पोटेशियम, सोडियम व ग्लूकोज) बाहर निकल जाते हैं और शरीर कमजोर हो जाता है। इसकी पूर्ति हेतु बाजार में उपलब्ध इलेक्ट्रॉल पावडर वगैरह का इस्तेमाल किया जा सकता है।

या फिर आधा चम्मच शहद या ग्लूकोज सीरप को फ्रूट ज्यूस (पोटेशियम के लिए) में मिलाकर उसमें चुटकीभर नमक मिक्स कर लें। इसे दिनभर पीते रहने से शरीर में पोटेशियम, ग्लूकोज और सोडियम क्लोराइड की आपूर्ति हो जाती है।

एंटासिड्स गोलियाँ न लें
भले ही सीने की जलन रोकने में एंटासिड्स, एसिडिटी को दूर करने वाले गोली-कैप्सूल आदि रामबाण औषधि साबित होते हों, मगर फूड पॉइजनिंग या डायरिया के केस में ये घातक होते हैं। एंटासिड्स आमाशय के प्राकृतिक एसिड्स की मात्रा को घटा देते हैं, जिससे शरीर की बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत कम हो जाती है। अगर कोई खास एहतियात बरतने की जरूरत हो तो डॉक्टर से सलाह-मशविरा करना न भूलें।

सावधानियाँ
* खाना बनाने से पहले अच्छी तरह हाथों को साबुन से धो लें। इस सावधानी से स्टफिलोकोक्कस और शिगेला बैक्टीरिया भोजन में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। विशेषकर चिकन-मटन-मछली और अंडों को कई बार साफ पानी से धोएं।

* प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों को कच्चा न खाएँ।

* गर्म या फिर ज्यादा ठंडी चीजें ही खाने की आदत डालें। इससे बैक्टीरिया 150 डिग्री से ज्यादा या 40 डिग्री से कम तापमान में मल्टीप्लाई मेथड अपनाकर पनप नहीं सकते।

* मांस को पूरा पकाकर ही खाएँ, इससे उसके नुकसानदायक बैक्टीरिया पूरी तरह खात्म हो जाएँगे।

* कच्चे मीट के सूप को दूसरे खाद्य पदार्थों में न मिलाएँ।

* किसी खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल करते वक्त अगर आपको उसके बासी होने का अंदेशा हो, तो बिल्कुल न खाएँ।

* फ्रिज में मटन-चिकन रखने के बावजूद उनमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों के अन्दरूनी हिस्सों और बाहरी हिस्सों का तापमान एक समान नहीं होता। इनके सतही हिस्से पर बैक्टीरिया आसानी से बढ़ सकते हैं।

* बीच-बीच में फ्रिज में रखे मीट वगैरह को चम्मच से हिलाते रहें, ताकि उसके सभी हिस्सों में बराबर का तापमान बना रहे अर बैक्टीरिया पनप न सके।

* जंगली मशरूम का सेवन न करें। इनकी कुछ प्रजातियों में विषैले तत्व होते हैं, जो हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं।

* घरेलू डिब्बाबंद पदार्थों को खाने के पूर्व गर्म करें।