गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By WD

महात्मा गांधी : 5 महापुरुषों की नजर में

महात्मा गांधी : 5 महापुरुषों की नजर में - Mahatma Gandhi
विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं है वह शान्ति और अहिंसा का प्रतीक हैं। जिस प्रकार सत्याग्रह,शान्ति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया,उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता।

 


'राम', 'कृष्ण', और'बुद्ध' के अवतार के बाद सारे मानवीय गुणों से परिपूर्ण अगर कोई व्यक्तित्व उभरकर जेहन में आता है तो वह महात्मा गांधी का ही है। तभी तो आजादी के दिनों में कई ऐसे नेता थे जिनसे बापू के विचार कभी नहीं मिले बावजूद इसके उनके विरोधियों ने भी बापू के सम्मान में बहुत कुछ कहा है। आइए जानते हैं कि किसने क्या कहा-

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की विचारधारा महात्मा गांधी से पूरी तरह अलग थी,परंतु वह महात्मा गांधी का दिल से सम्मान करते थे।

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सुभाषचन्द्र बोस का कहना था - महात्मा गांधी और मेरी विचारधारा अलग-अलग हो सकती है,परंतु भारत को आजादी दिलाने का हम दोनों का मकसद एक है। इसलिए बापू का नाम सामने आते ही मैं नतमस्तक हो जाता हूं।



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बाल गंगाधर तिलक के शब्दों में-बहुत-सी बातों में लोगों का गांधी जी से मतभेद हो सकता है और बहुत से लोग उनसे अधिक विद्वान हो सकते हैं,परन्तु उनमें चरित्र की जो महत्ता है,उसके कारण वह सब लोगों के आदर्श हो गए।




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गोपालकृष्ण गोखले कहा करते थे - गांधी जी निस्संदेह उस धातु के बने हुए हैं,जिससे बलिदानी लोगों का निर्माण होता है। आत्मिक शक्ति के बल पर ही महात्मा गांधी विश्वभर में छाए रहे।



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खान अब्दुल गफ्फार खान ने महात्मा गांधी को गुलामी के अंधेरे में सहायता के लिए प्रकाश की एक मात्र किरण बताया था।



इसी तरह पंडित जवाहरलाल नेहरू उन्हें एक उच्च सिद्धान्तवादी और सत्य का अनुयायी संत मानते थे।

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उनकी नजर में गांधी जनता की नब्ज को खूब पहचानते थे। वास्तव में,यदि कोई सार रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के योग्य थे तो वह सिर्फ महात्मा गांधी थे।