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Last Modified: शुक्रवार, 24 जून 2016 (20:31 IST)

नदी से निकला 4 फुट का प्राचीन शिवलिंग

नदी से निकला 4 फुट का प्राचीन शिवलिंग - Shivling, River, Bramlhra, stone l
-कीर्ति राजेश चौरसिया 

छतरपुर। बड़ामलहरा के सलैया और बर्मा के बीच बहने वाली काठन नदी में विशालकाय पाषाण शिवलिंग मिलने के बाद वहां दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी। हालांकि इस पूरे मामले में प्रशासन की ओर से कोई सहयोग नहीं किया। स्थानीय लोगों ने जेसीबी और क्रेन की मदद से तीन दिन की मेहनत के बाद इस शिवलिंग को नदी से निकाला। 
जैन तीर्थ स्थल सिद्धायतन के पीछे काठन नदी स्थित सिद्धन घाट पर गत मंगलवार को दोपहर में सेंदपा निवासी रामस्वरूप व बड़ामलहरा के मछुआरे मछली पकड़ने के लिए नदी में जाल डाले हुए थे। जैसे ही उन लोगों ने नदी में मछली पकड़ने के लिए डुबकी लगाई तो नदी के पांच फुट गहरे पानी में पाषाण रूपी शिवलिंग दिखा़ जिसकी सूचना उन्होंने उन्होंने तत्काल सलैया गांव के लोगों को दी। गांव वालों ने जेसीबी और क्रेन मशीन की मदद से दो दिन की कड़ी मेहनत के बाद उक्त चार फुट के विशालकाय पाषाण शिवलिंग को निकालकर ट्रेक्टर से गांव स्तिथि हनुमानजी मन्दिर के पास ले गए।
 
वर्षों पुराना है शिवलिंग का इतिहास :  गांव के 90 वर्षीय बुजुर्ग मंजू पिता सुके लोधी व अस्सी वर्षीय बटे लोधी ने जानकारी देते हुए बताया उनके पिताजी बताया करते थे। उनके पिता को उनके पुरखों ने बताया था हम सभी लोग एरोरा गांव के निवासी थे। एक बार बहुत विकराल बाढ़ नदी में आई थी जिससे पूरा गांव व सिद्धन घाट स्थित भगवान शंकर का मंदिर जिसमें विशाल शिवलिंग हुआ करता था तथा मंदिर के दरवाजे सोने के थे वो भी उसी में बह गए। 
 
उन्होंने बताया कि उनके पुरखे नदी के पत्थरों में हाथी, घोड़े, हिरण व सिद्ध बाबा के पैरों के निशान के बारे में बताते थे जो आज भी मौजूद हैं। बाढ़ के बाद लोग नदी के किनारे ऊंचाई वाली जगह सिद्धन घाट के पास आकर बस गए। गांव का नाम सलैया रखा गया।
 
उन्होंने बताया उक्त पाषाण का शिवलिंग चंदेलकालीन है। सिद्धन घाट सिद्ध बाबा के नाम पर है। आज भी वर्षों पुराना मंदिर नदी के बीचोंबीच बना हुआ है। गांव वालों की मान्यता है कि उक्त स्थान पर  सभी की मनोकामना पूर्ण होती हैं। लोगों की यह भी मान्यता है कि उक्त मन्दिर व घाट के आसपास सफेद लिबास में एक बुजुर्ग सफेद दाढ़ी वाले सिद्ध पुरुष कभी-कभी दिखाई दे जाते हैं। 
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