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Last Modified: रविवार, 5 फ़रवरी 2017 (17:57 IST)

नोटबंदी से घरेलू हिंसा के मामले बढ़े

नोटबंदी से घरेलू हिंसा के मामले बढ़े - Notbandi, domestic violence
भोपाल। नोटबंदी से केवल आम लोग एवं किसान परेशान नहीं हुए, बल्कि इसने मियां-बीवी के बीच पैसे को लेकर तकरार भी पैदा की और इसके चलते मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की घटनाओं में भी वृद्धि हुई। पति-पत्नी के झगड़ों को सुलझाने के लिए बने परामर्श केंद्रों में इस दौरान दर्ज होने वाले मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
 
गौरवी अध्यक्ष सारिका सिन्हा ने बताया कि नोटबंदी के बाद मध्यप्रदेश में घरेलू हिंसा के आंकड़े बहुत बढ़े हैं। गौरवी-वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर है जिसे मध्यप्रदेश शासन का लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और एक्शनएड द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता है।
 
सारिका ने कहा कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद कई ऐसे मामले गौरवी में आए जिनमें महिलाओं ने अपने छुपाए हुए 500 रुपए एवं 1,000 रुपए के अमान्य नोटों को बैंकों से बदलने के लिए अपने पतियों को दिया, लेकिन बाद में उनके पतियों ने ये पैसे उन्हें वापस नहीं किए। इसके कारण मियां-बीवी के बीच तकरार होने के कारण उनके संबंधों में खटास आई।
 
सारिका ने कहा कि कुछ ऐसे भी मामले आए जिनमें पत्नियों द्वारा छुपाए गए 500 रुपए एवं 1,000 रुपए के पुराने नोट 30 दिसंबर के बाद भी मिले। इनको लेकर भी पति-पत्नी के बीच झगड़े एवं मारपीट हुई जिसके चलते घरेलू हिंसा के मामले दर्ज किए गए। परामर्श केंद्रों में दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर इन झगड़ों को खत्म कराया जा रहा है।
 
इसी बीच गौरवी की संचालिका शिवानी सैनी ने बताया कि नवंबर से जनवरी तक उनके भोपाल स्थित गौरवी केंद्र में घरेलू हिंसा के लगभग 200 मामले रजिस्टर हुए हैं, जबकि इससे पहले लगभग 50 से 67 मामले प्रतिमाह आते थे।
 
उन्होंने कहा कि जो 200 मामले महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के आए, उनमें से अधिकतर मियां-बीवी के बीच नोटबंदी से हुई पैसे की कमी को लेकर हुए झगड़े एवं मारपीट की शिकायतें थीं। शिवानी ने कहा कि घरेलू हिंसा पहले भी होती थी, लेकिन नोटबंदी के बाद घरेलू हिंसा के मामले बहुत बढ़े हैं।
 
शिवानी ने कहा कि अब पैसे के मामले के घरेलू हिंसा के मामले कम होने लगे हैं तथा नोटबंदी से लगभग 3 महीने बड़ी दिक्कतें रही, अब थोड़ी राहत मिलने लगी है तथा नोटबंदी के बाद कई महिलाओं ने शिकायत की कि उनके पति ने उन्हें पैसे की दिक्कत और पैसा बचा-बचाकर छुपाकर रखने के लिए न केवल मारा-पीटा, बल्कि घर से बाहर भी निकाल दिया।
 
मध्यप्रदेश महिला आयोग से मिले आंकड़ों के अनुसार भी अक्टूबर में महिलाओं पर हुई घरेलू हिंसा के 59 मामले उसके सामने आए, जबकि नवंबर में ये बढ़कर 68 हो गए और दिसंबर में 86 हो गए। इस प्रकार घरेलू हिंसा के मामलों में महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में 15 प्रतिशत इजाफा और दिसंबर में 45 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि महिला आयोग की एक सदस्य ने बताया कि घरेलू हिंसा के मामलों में किसी महीने में वृद्धि तो किसी महीने में कमी यूं भी आती रहती है। 
 
अखिल भारतीय महिला परिषद की वरिष्ठ परामर्शदाता रीता तुली ने बताया कि भोपाल स्थित महिला थाना जहांगीराबाद में उनकी निगरानी में चल रहे महिला परामर्श केंद्र में घरेलू हिंसा के 10 से 15 मामले रोज सुने जाते हैं और इनमें से कुछ नोटबंदी के चलते भी आए हैं।

रीता ने भी कहा कि कई महिलाओं ने परामर्श के दौरान शिकायत की कि अपने पति से छिपाकर जो पैसे उन्होंने जमाकर रखे थे, उन्हें नोटबंदी के बाद अपने पति को बदलवाने के लिए देना पड़ा, क्योंकि कई महिलाओं के बैंक में खाते ही नहीं थे। (भाषा)
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