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Last Updated :भोपाल , शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017 (08:45 IST)

मध्यप्रदेश में इस बीमारी से परेशान हैं 60 लाख लोग

मध्यप्रदेश में इस बीमारी से परेशान हैं 60 लाख लोग - Madhya Pradesh
भोपाल। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण ने दावा किया गया है कि प्रदेश में तकरीबन 60 लाख लोग मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं जिनमें से लगभग 91 प्रतिशत लोगों ने जागरूकता की कमी, सुविधाओं की पहुंच से दूर तथा इससे जुड़ी भ्रांतियों के कारण उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठाया।
 
इसके अलावा इसमें यह भी दावा कहा गया है कि प्रदेश में अवसाद से लगभग 6.1 लाख लोग पीड़ित हैं तथा मानसिक रोगियों के लिए अस्पतालों की कमी के साथ-साथ मानसिक रोग विशेषज्ञों एवं मानसिक स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी कमी है।
 
'राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण- मध्यप्रदेश 2015-16' को गुरुवार को यहां मीडिया को जारी करते हुए एम्स भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर एवं इस सर्वे के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. अरुण कोकने ने बताया कि पिछले साल किए गए इस सर्वेक्षण में ज्ञात हुआ है कि मानसिक रोगों से ग्रस्त लोगों का फैलाव मध्यप्रदेश में 13.9 प्रतिशत था। 
 
अगर इसे संख्या में परिवर्तित करें तो प्रदेश में करीब 60 लाख वयस्क व्यक्ति मानसिक बीमारियों से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि जो 13.9 प्रतिशत व्यक्ति किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त पाए गए, उनमें से 13.5 प्रतिशत लोग सामान्य मानसिक बीमारियों से तथा 0.39 प्रतिशत गंभीर मानसिक बीमारियों से ग्रस्त थे।
 
कोकने ने बताया कि यह फैलाव राष्ट्रीय स्तर के फैलाव से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सहित 12 राज्यों में यह सर्वेक्षण 'राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण' के तहत मल्टीस्टेज, स्ट्रेटिफाइट, रैन्डम सैम्पलिंग तकनीक के साथ-साथ फोकस ग्रुप डिस्कशन द्वारा किया गया।
 
कोकने ने बताया कि इसके अलावा सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि प्रदेश में अवसाद का प्रसार 1.4 प्रतिशत है और यदि इसे संख्या में परिवर्तित करें तो यह लगभग 6.1 लाख होती है। यह चौंका देने वाला आंकड़ा है।
 
कोकने ने बताया कि अवसाद का प्रसार 40 वर्ष से अधिक के व्यक्तियों में महिलाओं में तथा बड़े शहर के निवासियों में सर्वाधिक पाया गया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले मानसिक रोगों का फैलाव 36.6 प्रतिशत पाया गया, जो राष्ट्रीय स्तर के फैलाव से 3 गुना अधिक है।
 
कोकने ने बताया कि शराब का सेवन 30 से 40 वर्ष के व्यक्तियों, पुरुषों तथा छोटे शहरों के लोगों में अधिक पाया गया। आश्चर्यजनक रूप से बड़े शहरों के लोगों में यह ग्रामीण तथा छोटे शहरों के तुलना में कम पाया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर 1 लाख की जनसंख्या के लिए अस्पताल आधारित मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं केवल 0.03 प्रतिशत लोगों के लिए उपलब्ध हैं।
 
उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में प्रदेश के केवल 99 स्वास्थ्य कर्मियों का ही मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रशिक्षण हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर 1 लाख की जनसंख्या के लिए 0.2 मानसिक स्वास्थ्य कर्मचारी तथा 0.05 मानसिक रोग विशेषज्ञ उपलब्ध हैं।
 
कोकने ने बताया कि समूचे प्रदेश में पुनर्वास संबंधित कार्यों के लिए विशेषज्ञ कर्मचारियों तथा इन रोगों के संबंधित विशेषज्ञ शिक्षकों का पूर्णत: अभाव है। उन्होंने दावा किया कि यह रिपोर्ट प्रदेश की मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी तथा प्रदेश में व्याप्त मानसिक रोग की विकराल समस्या को समझने तथा स्वीकार करने में मदद करेगा।
 
कोकने ने बताया कि प्रदेश सरकार ने इस स्थिति को समझते हुए हाल ही में प्रदेश के हर जिला अस्पताल में 'मन-कक्ष' की शुरुआत की है। (भाषा)
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