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Written By कीर्ति राजेश चौरसिया
Last Updated : गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016 (17:06 IST)

मजदूर के बेटे पर आया रूसी हसीना का दिल (फोटो)

मजदूर के बेटे पर आया रूसी हसीना का दिल (फोटो) - Love, Russian, Russian officers, Bundelkhand
बुंदेलखंड में एक कहावत है सौ डंडी एक बुंदेलखंडी और इस बार इस कहावत को फिर एक बुंदेलखंडी ने चरितार्थ कर दिखाया है। दरअसल एक बुंदेली युवक रूस की संसद का एक नायाब हीरा ले आया है जिसे उसने अपना बना लिया है। एक रूसी लड़की है जो कि बुंदेली लड़के को अपना दिल दे बैठी है। 
मामला बुंदेलखंड सागर जिले का है जहां के बेरखेरी गुरु गांव के काशीराम उर्फ कस्सी के बेटे नरेंद्र लोधी उर्फ़ नंदू की ससुराल अब (रूस) मास्को बन गई है।  नंदू की दुल्हन कोई साधारण रूसी महिला नहीं बल्कि रूस की संसद में काउंसलर हाई प्रोफाइल लेडी हैं। नाम अनास्तासिया मेरोंनोवा है।
 
रूस के इकोनामिक अफेयर्स में गहरा दखल देने वाली ये महिला रूस में बड़ा नाम है, लेकिन किस्मत कहें या प्यार की दीवानगी इस महिला की जिंदगी में नया मोड़ ले आई।  अनास्तासिया ने कस्सी के बेटे नंदू को अपना जीवनसाथी बनाया और बीते 10 अगस्त 2016 को मास्को में ही शादी रचाई। 
 
अब नंदू इस हाई प्रोफाइल लेडी के साथ रूस में ही बसना चाहता है। लिहाजा इसके लिए उसे मैरिज रजिस्ट्रेशन की दरकार है। इसके लिए नंदू और उसकी पत्नी अनस्तासिया सागर कलेक्टर ऑफिस में हाजिर हुए ताकि मैरिज रजिस्ट्रार उन्हें ये सर्टिफिकेट दे सके। 
 
दरअसल नंदू रूस की नागरिकता लेना चाह रहा है और इसके लिए शादी एक बड़ा आधार भी है।  सागर कलेक्टर ऑफिस में इस जोड़े को लोग देखते है तो पहले सहज लेते हैं, क्योंकि विदेशी महिलाओं से शादी रचाने के सैकड़ों उदाहरण बुंदेलखंड में दर्ज हैं। जहां छतरपुर जिले की विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो में इस तरह की हर साल दर्जनों शादियां होती हैं।  लेकिन जब उन्हें अनास्तासिया के बारे में पता चलता है तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं। 
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नंदू एक खेतिहर किसान परिवार में जन्मा है। वह जीवन-यापन के लिए तीन साल पहले गोआ गया था। यहां वह वेटर का काम करने लगा और फिर वोट चलाना सीखा। यहां वह पर्यटकों को वोटिंग कराता था। 
इसी बीच अनस्तासिया अगस्त के महीने में गोवा घूमने आई और नंदू को अपना दिल दे बैठी। यह सिलसिला बातचीत और सोशल साइट के जरिए बढ़ता रहा और फिर एक दिन रूसी लड़की नंदू को रूस ले उड़ी और वहां रशियन रीति-रिवाज से शादी की। अब यह रूसी हसीना बुंदेली दुल्हन बन गई है। वहीं अब बुंदेलखंडी नंदू को रूसी नागरिकता दिलाने की कवायद चल रही है।
 
अगले पन्ने पर, नंदू के घरवालों को इस बात का है मलाल...
 

नंदू महज मिडिल स्कूल तक पढ़ा है और अंग्रेजी से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। इसके वह रूस में बसने को तैयार है। अनस्तासिया कहती हैं कि हमारे प्यार के बीच भाषा बंधन नहीं बनी। बस दिलों ने दिल की भाषा पढ़ी और प्यार हो गया। वह क्रिश्चियन है और नन्दू हिन्दू लेकिन ना तो वो खुद धर्म बदलेंगी ना ही नंदू को बदलने देगी। 
नंदू अपनी विलायती दुल्हन को लेकर सागर तो आया लेकिन दुल्हन को ससुराल यानी अपने गांव नहीं ले गया। गांव ले जाने की बजाय वह एक होटल में रुका है। जबकि नंदू के पिता ठेके पर ली जमीन की बौनी में लगे हुए हैं। ऐसे में परिवार चाह कर भी विलायती दुल्हनिया से मिल नहीं पा रहा न ही देख पा रहा है। 
 
बहरहाल रूस के सांसदों को एकानामिक अफेयर्स की सलाह देने के साथ रूस की सरकार में अहम अनस्तासिया एक मिडिल क्लास तक पढ़े-लिखे युवक के साथ जिंदगी कब तक बिताएंगी यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन कहीं न कहीं परिवार को मलाल इस बात का जरूर होगा कि बेटे में न सिर्फ घर, गांव, शहर, प्रदेश, छोड़ा बल्कि दुल्हन के लिए देश भी छोड़ दिया।
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