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Written By कीर्ति राजेश चौरसिया
Last Updated : बुधवार, 7 दिसंबर 2016 (19:34 IST)

सुहागरात के दिन भागी दुल्हन अब जेल में...

सुहागरात के दिन भागी दुल्हन अब जेल में... - Honeymoon, women
छतरपुर जिले में एक महिला की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया है। इंदौर से खरीदकर लाई गई दुल्हन ने जब  पिछले दिनों भागने का प्रयास किया था तो लोगों ने पकड़कर उसे पुलिस के हवाले कर दिया था। अब इस महिला को  जेल भेज दिया गया है। 
मामला जिले के बिजावर विधानसभा क्षेत्र के सटई थाना क्षेत्र के ग्राम संग्रामपुरा का है, जहां बाबूलाल शुक्ला के बेटे  छन्नू लाल शुक्ला की शादी नहीं हो पा रही थी। जिसके चलते दलालों के माध्यम से 1 लाख 60 हजार रुपए में दुल्हन  खरीदी थी, जो कि गांव में आने के 2 दिन बाद ही बाजार जाने का कहने लगी और बिजावर में आकर भागने लगी।  जानकारी लगने पर छन्नू ने लोगों से सहयोग मांगा और दुल्हन को पकड़ लिया गया। बाद में मामला थाने में पहुंच गया। 
 
दुल्हन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उसका नाम संगीता मालवीय है और वह भाग्यश्री कालोनी, विजय नगर  इंदौर की रहने वाली है। घरों में चौका-बर्तन, झाड़ू-पौंछा का काम कर अपना और अपनी बेटी का गुजारा कर रही थी।  इसी बीच, मेरे परिचित ममता यादव (आंटी), हलके यादव और मिश्रा (खंडवा) मेरे पास आए और कहा कि तुम कब तक  बिना पति के इस तरह से जीवन गुजारोगी, अब बेटी भी बड़ी हो रही है। हम तुम्हारी अच्छी जगह शादी करवा देते हैं,  जहां तुम्हें और तुम्हारी बेटी को आसरा मिल जाएगा और काम भी नहीं करना पड़ेगा। मैं उनकी बातों में आ गई।
महिला ने बताया कि कुछ दिनों बाद उन्होंने एक युवक की फोटो मुझे दिखाई तो मैंने शादी के लिए हां कह दी और मैं अपनी बेटी को मायके छोड़कर उनके साथ इंदौर से छतरपुर आ गई, जहां से मुझे 24 नवंबर को बिजावर के गांव संग्रामपुरा लाया गया। जहां 25 तारीख को कुछ कागजों पर लिखा-पढ़ी की और कहा कि अब दो दिन बाद विधिवत शादी हो जाएगी तो तुम अपनी बेटी को भी ले आना। 25 तारीख की रात को ममता यादव, हलके यादव, और मिश्रा मुझे छोड़कर चले गए। जब रात को मेरे सामने दूल्हे को लाया गया तो वह मुझसे उम्र में काफी बड़ा (लगभग दोगुना) और लंगड़ा था।
 
उसने कहा कि मैं यह सब देखकर दंग रह गई। मैंने उससे पूछा कि तुम कौन हो तो उसने कहा कि तुम्हारी  लिखन-पढ़न मुझसे हुई है और तुम अब मेरी हो। मैंने कहा कि मुझे फोटो तो किसी और की दिखाई थी, तुम तो वो  नहीं हो। तो दूल्हे ने कहा कि जो भी हूं मैं ही हूं। मैंने तुम्हें एक लाख साठ हजार रुपए में खरीदा है। मैंने कहा ये गलत  है मेरे साथ धोखा हुआ है। मैं लंगड़े आदमी से शादी नहीं करना चाहती। तो उसने कहा कि मैं भी कहां तुम्हें जिंदगी  भर रखना चाहता हूं। कुछ दिनों बाद मैं भी इसी तरह तुम्हारा सौदा करके तुम्हारी शादी कहीं और करवा दूंगा और तुम्हें  बेच दूंगा। 
 
महिला ने कहा कि मैंने किसी तरह इस व्यक्ति के चंगुल से निकलने की योजना बनाई। योजना के तहत दूल्हे को  समझाया कि देखो अब हम तुम्हारे यहां आ ही गए हैं तो सब राजी-मर्जी से ही करते हैं। कल हम बाजार चलते हैं और  शादी का जोड़ा और शादी का सामान ले आते हैं फिर हम पति-पत्नी हो जाएंगे और कल ही सुहागरात भी मनाएंगे। मेरी  इन बातों से वह झांसे में आ गया और अगली सुबह 26 नवंबर को हम बिजावर के बाजार आए जहां मैंने बाथरूम जाने  का बहाना बनाया और एक गाड़ी में जाकर बैठ गई। तभी छन्नू ने देख लिया और वह गाड़ी के आगे आ गया। मैं डर  गई और भागने लगी। इसके बाद मैं पास ही खड़ी पुलिस की जीप में सवार हो गई। मैंने आपबीती बताई। हम दोनों को  थाने ले जाया गया मगर मुझे दोषी मानकर एकतरफा कार्रवाई की गई। 
 
महिला ने आरोप लगाया कि यह मानव तस्करी का मामला है। मेरे साथ धोखा हुआ है और सजा भी मुझे ही दी जा  रही है। मेरा कसूर सिर्फ इतना है कि मैंने अपनी बेटी की खातिर शादी करनी चाही और लोगों ने मिलकर मेरे साथ ही  धोखा किया है। अब मेरी बेटी का क्या होगा?
 
वहीं दूल्हे छन्नूलाल का कहना है कि 1 लाख 60 हजार में दुल्हन का सौदा तय हुआ था। 25 नवंबर को हमारी  लिखा-पढ़ी, कोर्ट मैरिज कराई और ये पैसा लेकर चले गए। मेरे साथ भी शादी के नाम पर ठगी की गई है। पुलिस ने  महिला को एकतरफा दोषी मानते हुए विभिन्न धाराओं (420, 120 बी, 34 IPC) के तहत कार्रवाई करते हुए न्यायालय   में पेश किया, जहां से न्यायालय ने उसे जेल भेज दिया है। खबर लिखे जाने तक महिला छतरपुर जेल में है और  खरीदने वाला दूल्हा खुला घूम रहा है।
 
समाजसेवी और महिला आश्रय गृह चलाने वाली गायत्री देवी परमार की मानें तो बुंदेलखंड में इस तरह के रैकेट आम हो  चले हैं। इस तरह के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं, जहां शादी के नाम पर महिलाओं की खरीद-फरोख्त की जाती है। रैकेट चलाने वाले लोग उड़ीसा, बिहार, रांची, झारखंड, और अन्य प्रदेशों से महिलाओं को खरीदकर लाते हैं और यहां  बेचकर चले जाते हैं। वहीं एनजीओ में में काम करने वाली कौशल्या शर्मा का कहना है कि पुलिस हमारे यहां महिला  आश्रय गृह में छोड़कर गई थी। महिला से हमने भी बात की वह अपने आप को निर्दोष बता रही है। एकतरफा कार्रवाई  उचित नहीं है।
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