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Last Modified: धार , सोमवार, 30 मार्च 2015 (20:54 IST)

मिनटों में खातों से उड़ा लेता था लाखों रुपए

मिनटों में खातों से उड़ा लेता था लाखों रुपए - Cyber Crime
-चयन राठौड़

धार। मात्र 23 वर्ष की उम्र और 12वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त युवक ने इंटरनेट के ज्ञान का दुरुपयोग करते हुए सायबर ठगी को अंजाम दिया। वह लोगों के ई-बैंकिंग पासवर्ड और अन्य जानकारियां चुराकर उनके बैंक खातों से मिनटों में लाखों रुपए उड़ा लेता था।   
पुलिस अधीक्षक राजेश हिंगणकर ने बताया कि अक्टूबर 2014 में धार के अंकित जैन ने अपने खाते से ई-बैंकिंग के जरिये 52700 रुपए फर्जी तरीके से निकाले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में तफ्तीश करते हुए सीएसपी वीएस द्वि‍वेदी के नेतृत्व में कोतवाली पुलिस की साइबर टीम ने जब फर्जी सिमों का रिकॉर्ड खंगाला तो इंदौर, उज्जैन, देवास, मंदसौर, धार सहित राजस्थान के उदयपुर से भी ई-बैंकिंग के मार्फत रुपए निकालने के मामले सामने आए। इस पर धार पुलिस ने सभी शहरों में अपने मुखबिरों को सक्रिय किया, जिसके चलते 30 मार्च को मंदसौर जिले के बालागुड़ा का युवक दिनेश पिता रामनिवास पाटीदार धार पुलिस की गिरफ्त में आ गया।
 
सॉफ्टवेयर डाउनलोड किया और उड़ाए रुपए : आरोपी ने हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अपने लैपटॉप में एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया। इस सॉफ्टवेयर से ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के दौरान आईपी एड्रेस पकड़ में नहीं आता है, लेकिन पुलिस ने मोबाइल कॉल डिटेल और लोकेशन के आधार पर मामला पकड़ लिया। 
 
थाना प्रभारी की फर्जी सील से निकाली डुप्लीकेट सिम : आरोपी दिनेश डुप्लीकेट सिम निकालने के लिए झूठी रिपोर्ट और थाना प्रभारी की फर्जी सील का इस्तेमाल करता था। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर वह किसी खातेदार की मूल सिम बंद करवाकर तुरंत नई सिम निकलवाता था। नई सिम के माध्यम से पैसों का ट्रांसफर करता था।
 
दरअसल ई-बैंकिंग में मोबाइल से ही अन्य खातों में पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा रहती है। इस सुविधा का उपयोग करने के दौरान बैंक की ओर से ग्राहक के रजिस्टर्ड मोबाइल फोन नंबर पर एक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) दिया जाता है। इसे दर्ज करने पर ही पैसा ट्रांसफर होता है। 
 
फर्जी खाते खुलवाए : ई-बैंकिंग के माध्यम से जिन खातों में आरोपी दिनेश पैसा ट्रांसफर करवाता था, वह सभी खाते फर्जी निकले हैं। फर्जी खाते इसी लिए खोले गए ताकि पैसा ट्रांसफर की जानकारी निकाली जाए तो आरोपी पकड़ में नहीं आए।
 
66 सिम, तीन डोंगल और लैपटॉप मिला :  पुलिस ने आरोपी दिनेश से एक लैपटॉप, तीन इंटरनेट डोंगल, 66 फर्जी सिमों के साथ कुछ आईडी प्रूफ भी जब्त किए हैं। बताया जा रहा है कि ई-बैंकिंग के जरिये फर्जी तरीके से रुपए निकालने का आरोपी पकड़े जाने का यह प्रदेश का पहला मामला है।
 
आधा दर्जन शहरों में की वारदात : गिरफ्तार युवक ने मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, धार सहित करीब आधा दर्जन शहरों में ई-बैंकिंग से फर्जी सिमों के सहारे लाखों रुपए की हेराफेरी की है, लेकिन धार में ई-बैंकिंग से पैसा उड़ाने के बाद पुलिस जांच में हत्थे चढ़ गया।  पिछले पांच महीनों से तफ्तीश कर रही कोतवाली पुलिस ने कड़ी दर कड़ी जांच करते हुए मंदसौर जिले के बालागुड़ा के एक युवक को इंदौर स्टेशन से धरदबोचा। 
 
टीम बनाई और पकड़ा युवक को : इस शातिर अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम पिछले तीन महीनों से प्रयास कर रही थी। विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से युवक का आईपी एड्रेस ट्रेस नहीं हो पा रहा था। इसके बावजूद एसपी राजेश हिंगणकर के मार्गदर्शन में गठित टीम के उपनिरीक्षक अनिल मालवीय, प्रधान आरक्षक भेरूसिंह देवड़ा, आरक्षक तेजप्रकाश, आरक्षक प्रशांत, आरक्षक रूपेश ने मामले का पर्दाफाश करने में अहम भूमिका निभाई। 
 
इनका कहना है-
फरियादी अंकित की शिकायत पर जांच दल गठित किया था। वैज्ञानिक तरीके से अनुसंधान के बाद युवक को पकड़ा गया है। उसने कई वारदातें कबुली है। आगे की कार्रवाई भी की जाएगी। ई-बैंकिंग की धोखाधड़ी रोकने के लिए लोगों को भी सजग रहना होगा। सायबर कैफे का कम से कम उपयोग करें और मोबाइल पर बाहरी नंबर आने पर अपनी गोपनीय जानकारियां उनको न दें। अधिकांश मामले, जानकारियां लीक होने पर घटित हो जाते हैं। -राजेश हिंगणकर, एसपी धार