शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Written By गायत्री शर्मा

कला-शिल्प का अद्भुत संगम : खजुराहो

कला-शिल्प का अद्भुत संगम : खजुराहो -
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खजुराहो के मंदिर भारतीय कला का एक उत्कृष्ट नमूना है। इन मंदिरों की दीवारों पर उकरी देवी-देवताओं की विभिन्न मुद्राओं की मनोहारी प्रतिमा अपने आप में दुलर्भ है, जिसके समान कोई ओर नहीं है। मध्यप्रदेश में स्थित खजुराहो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

हर साल लाखों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक खजुराहों आते हैं व यहाँ की खूबसूरती को अपनी स्मृति में कैद करके ले जाते हैं। यहाँ शाम के वक्त होने वाले लाइट शो में खजुराहो के मंदिरों की खूबसूरती का चरम देखने को मिलता है, जो एक यादगार व अविस्मरणीय अनुभव होता है।

  भारतीय कला व संस्कृति के संगम स्थल खजुराहों के आसपास भी कई ऐसे स्थान है, जो आपकी खजुराहो यात्रा को पूर्णता प्रदान करते हैं। इनमें खजुराहो से 25 किमी दूर स्थित राजगढ़ पैलेस (हैरिटेज होटल), रंगून झील (पिकनिक स्पॉट), पन्ना राष्ट्रीय उद्यान आदि स्थल है।      
खजुराहो को प्यार का प्रतीक भी कहा जाता है। यहाँ काम मुद्रा में मग्न देवताओं की भी मूर्तियाँ है, जो अश्लीलता नहीं बल्कि सौंदर्य और प्यार की प्रतीक हैं। प्यार के साक्षी इन्हीं मंदिरों में प्रतिवर्ष कई जोड़े परिणय सूत्र में बँधकर अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं।

खजुराहो एक पर्यटक स्थल होने के साथ-साथ मंदिरों के गाँव के रूप में भी विख्यात है। यहाँ के मंदिर लगभग 1000 सालों से भी अधिक पुराने हैं, जिन्हें मध्यभारत के चंदेल राजपूत राजाओं ने बनवाया था।

वर्तमान में प्राचीन 85 मंदिरों में से मात्र 22 मंदिर ही सुरक्षित बचे हैं। शेष मंदिर आज खंडहर के रूप में तब्दील होकर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर पूर्वी, पश्चिमी व दक्षिणी आदि तीन भागों में विभाजित हैं।

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पश्चिमी भाग के मंदिर :-
खजुराहो में पश्चिमी भाग के मंदिरों में प्रमुख मंदिर कंडरिया महादेव मंदिर, चौंसठ योगिनी मंदिर (ग्रेनाइट से बना सुंदर मंदिर), काली माँ का मंदिर, देवी जगदंबा मंदिर आदि प्रमुख हैं। इन मंदिरों के उत्तर में चित्रगुप्त मंदिर (सूर्य देवता का मंदिर), विश्वनाथन मंदिर (तीन मुखी ब्रह्मा की प्रतिमा तथा 6 फीट ऊँची नंदी प्रतिमा), मटंगेश्वर मंदिर (8 फीट ऊँचा शिवलिंग) आदि स्थित है।

मंदिरों में स्थित प्रतिमाओं की जर्जर स्थिति को देखते हुए इनमें से कई मंदिरों में पूजा करना प्रतिबंधित है। इनमें से केवल ममटंगेश्वर मंदिर में ही अब तक पूजा करना जारी है।

पूर्वी भाग के मंदिर :-
इस भाग में हिंदू व जैन दोनों के देवी-देवताओं की दुर्लभ प्रतिमाएँ स्थित हैं। मंदिरों का यह भाग खजुराहो गाँव के समीप स्थित है। पूर्वी भाग का सबसे बड़ा मंदिर जैन तीर्थंकर 'भगवान पार्श्वनाथ जी का मंदिर' है। इसके बाद दूसरा जैन मंदिर 'घाटी मंदिर' है। इस मंदिर के उत्तर में 'आदिनाथ मंदिर' हैं। मंदिरों के इस समूह में ब्रह्मा, वामन आदि हिंदू देवताओं के मंदिर भी शोभायमान है।

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दक्षिणी भाग के मंदिर :-
मंदिरों का यह समूह खजुराहो गाँव से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इनमें सबसे अच्छा मंदिर 'चित्रभुज मंदिर' है। इस भाग के मंदिरों से कुछ दूरी पर सड़क के उस पार जैन मंदिरों का एक समूह है, जिनमें कई जैन तीर्थंकरों के सुंदर व आकर्षक मंदिर है।

खजुराहो के आसपास :-
भारतीय कला व संस्कृति के संगम स्थल खजुराहों के आसपास भी कई ऐसे स्थान है, जो आपकी खजुराहो यात्रा को पूर्णता प्रदान करते हैं। इनमें खजुराहो से 25 किमी दूर स्थित राजगढ़ पैलेस (हैरिटेज होटल), रंगून झील (पिकनिक स्पॉट), पन्ना राष्ट्रीय उद्यान (34 किमी दूर) आदि रमणीय स्थल हैं।

भारत की इस विरासत को देखना मात्र ही अपने आप में भारतीय कला से रूबरू होना है, जो अपने आप में अनूठी है, प्राचीन है व गौरवशाली है। आप भी मंदिरों के इस गाँव की सुंदरता को निहारने एक बार अवश्य खजुराहों जाएँ।