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प्यार, इश्क और मोहब्बत
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धर्मेन्द्र जैन 'विरक्त' हमारे मजनूँ भाइयों एवं लैला देवियों के लिए प्रस्तुत हैं प्रेम में पगी कुछ मीठी-मीठी शेर-शायरीः हर इक मोड़ पर किसी ने पुकारा मुझको इक आवाज तेरी जब से मेरे साथ हुई। ** हम लबों से कह न पाए तुमसे हाले दिल कभी और तुम समझे नहीं ये खामोशी क्या चीज है। ** निगाहों से जान लीजिए मेरी ख्वाहिशें हर बात लबों से कही नहीं जाती। ** दिल है किसका जिसमें अरमाँ आपका रहता नहीं फर्क इतना है कि सब कहते हैं मैं कहता नहीं। ** थक गया मैं करते-करते याद तुझको अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ। ** मैंने तो यूँ ही फेरी थी रेत पर अँगुलियाँ गौर से देखा तो बन गई थी तेरी तस्वीर। ** कौन कहता है मुहब्बत की जुबाँ होती है ये हकीकत तो निगाहों से बयाँ होती है। ** तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं। ** अपनी यादों के उजाले मेरे साथ रहने दो न जाने जिंदगी की किस गली में शाम हो जाए। ** तुमने किया न याद कभी भूलकर हमें हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया। ** जिसके खयाल में हूँ गुम उसको भी कुछ खयाल है मेरे लिए यही सवाल सबसे बड़ा सवाल है।