मंगलवार, 19 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. रोमांस
  3. प्रेम गुरु
  4. लव-मंत्र : कभी प्यार-कभी तकरार लेकिन....
Written By WD

लव-मंत्र : कभी प्यार-कभी तकरार लेकिन....

लव-मंत्र : कभी प्यार-कभी तकरार लेकिन.... - लव-मंत्र : कभी प्यार-कभी तकरार लेकिन....
कहते हैं कि जहां बहुत प्यार होता है वहीं बहुत ज्यादा तकरार भी होती है लेकिन कभी-कभी ये छोटी सी तकरार बहुत बड़ा रूप ले लेती है और इसके गंभीर परिणाम सामने आ जाते हैं। अगर बाद में विचार किया जाए तो बात कुछ नहीं रहती बस बात-बात में झगड़ा बढ़ जाता है। 


 
वैसे तो हमेशा से ही पति-पत्नी में छोटे-मोटे झग़ड़े होते आए हैं लेकिन आज कल इनका स्वरूप बड़ा होने में जरा भी समय नहीं लगता। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि छोटी सी बातें बड़ी न हो पाएं इससे पहले ही उन्हें संभाल लिया जाए।
 
इसमें भी अपना अलग मजा है 
 
वह रिश्ता ही क्या जिसमें तकरार न हो, झगड़े न हो लेकिन इस बात को समझना चाहिए कि ये तकरार बस तकरार ही रहे विवाद का रूप न ले ले। पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ा होता ही है, अगर दो लोग साथ में रहेंगे तो कभी किसी को कुछ पसंद नहीं आएगा तो किसी को कुछ लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि तकरार को विवाद बना दिया जाए।
 
बढ़ रही है सामंजस्य की कमी 
 
आजकल देखने में आता है कि लोगों को अपने ही परिवार वालों की जरा सी बात बर्दाश्त नहीं होती। घर में माता-पिता बच्चों को नहीं कुछ नहीं कह सकते। पति-पत्नी में नहीं बनती। इस तरह के बातों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। इसका सबसे प्रमुख कारण है लोगों में अपनेपन और सामंजस्य की कमी होती जा रही है। जिंदगी इतनी तेज भाग रही है कि किसी के पास किसी के लिए समय नहीं है। 
 
घर में किसको क्या परेशानी है कौन किस समस्या में है इन बातों को जानने का भी समय नहीं रहता किसी के पास। परिणामस्वरूप छोटी-छोटी बाते बड़े झग़ड़ों का रूप ले लेती हैं। इस समस्या से निबटने के लिए कम से कम परिवार में जितने भी लोग हैं उन्हें एक-दूसरे को समय देना चाहिए। आपस में बात न करना भी इन परेशानियों को बढ़ाता है। 
 
एकल परिवार भी हैं कारण 
 
पहले ये होता था कि हर घर में संयुक्त परिवार रहता था। सभी को आदत हुआ करती थी बातें सुनने की,डांट खाने की। लेकिन अब एकल परिवारों का चलन बढ़ा है। देखने में आता है कि बच्चों को भी जरूरत से ज्यादा लाड़ प्यार दिया जा रहा है। ऐसे में बचपन से ही बच्चों को कुछ भी सुनने की आदत नहीं रहती। जो बड़े होकर परिवारों को तोड़ने की वजह बन जाती है। 
 
तकरार को विवादों का रूप देने में एकल परिवार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एकल परिवार से निकले बच्चों में न तो बड़ों के लिए वो सम्मान होता है और किसी के लिए अपनापन। क्योंकि उनके लिए उनके माता-पिता ही बस रहते हैं। बाकी किसी को वो कुछ समझते ही नहीं है। जिससे झगड़े बढ़ते हैं। ऐसे परिवारों के बच्चे तो अपने माता-पिता को भी आजकल कुछ नहीं समझते।
 
दिल पर न लें 
 
यदि घर में किसी बड़े ने छोटों को कुछ कहा है या फिर किसी बराबरी वाले ने कोई बात की है तो समझना चाहिए कि आखिर वो बात क्यों कही गई हैं न कि उसे दिल पर लेकर बात का बतंगड़ बना देना चाहिए। समझदारी इसी में है कि इन छोटी-छोटी बातों को भुला दिया जाए।