बरसात की बूंदें
- अक्षय नेमा मेख
बरसात की बूंदेंबादलों से धरती केबीच की दूरी को मापती हुई बूंदें,हरियाली की प्रचुरतादेती है धरती को। एक-एक बूंदगुब्बारे को जन्म देती है,वो पानी का गुब्बारा जिसकी क्षण भर भीजिंदगी नहीं रहती,जिसका अस्तित्व जन्म के साथ नष्ट होता है।न बातें होती हैं न यादें शेष रहती हैंवो गुब्बारा फिर भी काम कर जाता है,बारिश में अपना नाम कर जाता है। उसे जिंदगी की चिंताही कहां रहती है अनंत से उत्पन्न क्षणिक जीकर अनंत में फिर खो जाता है। जिन्दा रह जाती है यादों में बस जाती हैं तो बस बरसात की बूंदें।