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Last Modified: मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015 (14:24 IST)

ईमेल के जरिए पेड़ों से बातचीत

ईमेल के जरिए पेड़ों से बातचीत - Talking to trees via email
ऑस्ट्रेलिया के शहर मेलबॉर्न में इन दिनों पेड़ लोगों के साथ ईमेल के जरिए बातें कर रहे हैं। इनमें से कई पेड़ अपनी आखिरी सांस ले रहे हैं।

लोगों का ध्यान पेड़ों की समस्या की ओर खींचने के लिए मेलबर्न में अधिकारियों ने एक अनोखा प्लान बनाया। इंटरएक्टिव नक्शे के जरिए लोग शहर के हर 77 हजार पेड़ों पर नजर रख सकते हैं। उन्हें उस पेड़ से कोई शिकायत हो, तो ईमेल कर उसे बता भी सकते हैं। ईमेल का यह सिलसिला जब शुरू हुआ तो अधिकारी देख कर हैरान रह गए कि लोग पेड़ों को कितने प्रेम भरे संदेश भेज रहे हैं। एक व्यक्ति ने लिखा, 'प्यारे पेड़, तुम इतने विशालकाय, गोल और खूबसूरत हो कि मुझे लगता है कि तुम मेरे सबसे पसंदीदा पेड़ हो। तुम एक अच्छा काम कर रहे हो, यूं ही लगे रहो।' एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, 'मैं जब भी मेलबॉर्न आता हूं, तुम्हारे पास से गुजरता हूं। तुम शानदार हो। और मुझे यह सोच कर बहुत दुख होता है कि तुम मुझसे पहले गुजर जाओगे। लव यू।'

जलवायु परिवर्तन का असर ऑस्ट्रेलिया में साफ साफ देखा जा सकता है। तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ने लगे हैं और इसका खामियाजा पेड़ों को उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस दशक के अंत तक कई पेड़ मर चुके होंगे। हालांकि नगर पालिका ने जब पेड़ों के ईमेल वाला प्रोजेक्ट शुरू किया तो उसके पीछे मकसद था लोगों को पेड़ों से होने वाली दिक्कतों से छुटकारा दिलवाना। मिसाल के तौर पर अगर किसी पेड़ की तनें बहुत नीचे तक लटक रही हैं और किसी के रास्ते में बाधा बन रही हैं, तो वह व्यक्ति उस पेड़ को ईमेल कर बता सकता है। ईमेल नगरपालिका तक पहुंचती है और अधिकारी पेड़ की ओर से ईमेल का जवाब देते हैं और जरूरी कदम उठाते हैं। इसी तरह अगर किसी को लगे कि उसके मोहल्ले में पेड़ों को सही रूप से पानी नहीं दिया जा रहा है, तो वह ईमेल के जरिए शिकायत दर्ज करा सकता है।

लेकिन यह सिलसिला कहीं और ही निकल पड़ा। लोग ईमेल कर बताने लगे कि उनका मनपसंद पेड़ कौन सा है और उन्हें किस पेड़ से कितना लगाव है। अब इसके जरिए सरकार जागरूकता फैला रही है कि इस दशक के अंत तक मेलबॉर्न में एक चौथाई पेड़ मर चुके होंगे। 2030 तक यह संख्या चालीस फीसदी हो जाएगी। इसी के मद्देनजर हर साल तीन हजार नए पेड़ लगाने की योजना है। सरकार को उम्मीद है कि इससे बढ़ते तापमान को भी रोका जा सकेगा।

- आईबी/एमजे (रॉयटर्स)