विज्ञान खोलता है जूते के फीते
चलते या दौड़ते हुए अचानक जूते के फीते खुल क्यों जाते हैं? क्या आपको इस बेहद मामूली से लगने वाले सवाल का सही जवाब पता है?
बेहद आसानी से बांधे जाने वाले फीतों के पीछे विज्ञान के कुछ जटिल समीकरण छुपे हैं। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के 17 पेज की शोध रिपोर्ट में इनका विस्तार से जिक्र है। क्रिस्टॉफर डेली-डायमंड, क्रिस्टीन ग्रेग और ऑलिवर ओरैली ने इन्हीं समीकरण का हवाला देते हुए फीतों के बार बार खुलने की प्रक्रिया समझाई है। असल में जूते का फीता सेकेंडों के भीतर खुल जाता है।
क्रिस्टीन ग्रेग कहती हैं, "आपके फीते बहुत लंबे समय तक बिल्कुल ठीक बंधे रहेंगे, लेकिन जैसे ही उन्हें ढीला करने वाली एक शारीरिक हरकत होगी, वे हिमस्खलन जैसा असर करेगी और गांठ खुल जाएगी।"
असल में दौड़ते समय हमारा पैर जमीन पर सात गुना ज्यादा गुरुत्व बल के साथ संपर्क में आता है। क्रिया प्रतिक्रिया के नियम के मुताबिक जमीन से भी उतना ही तेज बल वापस लौटता है। पैर की मांसपेशियां इसे बर्दाश्त कर लेती हैं, लेकिन फीते की गांठ ऐसे झटकों से ढीली पड़ने लगती है। जमीन पर पैर पड़ते ही गांठ पर जोर पड़ता है और फिर पैर के हवा में लौटने पर गांठ फिर से ढीली हो जाती है। बार बार ऐसा होते रहने पर फीता आखिरकार खुल जाता है।
ऐसे में फीतों में न खुलने वाली गांठ कैसे बांधी जाए। रिसर्चरों के मुताबिक वो इस पर शोध नहीं कर रहे हैं। वे तो बस इतना समझना चाहते थे कि डीएनए की संरचना की तरह बांधे जाने वाले फीते भी गतिज ऊर्जा के सामने हार जाते हैं। वैज्ञानिक गांठ और डीएनए जैसी अतिसूक्ष्म संरचना के व्यवहार के राज सुलझाना चाहते हैं।
वैसे मजबूत फीते बांधना सैन्य बूटों में ज्यादा आसान होता है। बूट में फीते को छोटे छोटे हुक भी सहारा देते हैं। असल में ये हुक झटकों के दौरान रिलीज होने वाली गतिज और क्षितिज ऊर्जा को सोखते हैं और फीतों को मजबूती से बंधा रहने देते हैं।
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी