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Last Modified: गुरुवार, 16 जुलाई 2015 (13:52 IST)

ताकि सफर आखिरी न हो

ताकि सफर आखिरी न हो - Road accident in india
भारत में हर मिनट एक इंसान सड़क हादसे में अपनी जान गंवाता है, चार घायल होते हैं। जरा सी सावधानी से अपनी और दूसरों की जान बचाई जा सकती है, आईये जानें सड़क सुरक्षा की 14 अहम बातें।
ध्यान भटकना : दुनिया भर में हर साल सबसे ज्यादा सड़क हादसे ध्यान भटकने की वजह से होते हैं। बेख्याली में लोगों का ध्यान सड़क से बाहर चला जाता है। मोबाइल फोन, खाना-पीना या फिर बाहर का नजारा देखना इसके मुख्य कारण हैं।
 
तेज रफ्तार : आबादी के बीच से गुजरता हाईवे और उस पर लिखी स्पीड लिमिट, कई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करते हैं। और यही तेज रफ्तार हादसे का कारण बनती है। कम लोग जानते हैं कि 80 कि।मी। प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती कार की ब्रेकिंग दूरी भी कम से कम 64 से 90 मीटर होती है।
 
शराब : निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब पीने के बाद ड्राइवर को अचानक से फैसना लेने में परेशानी होती है। जांचकर्ताओं के मुताबिक अल्कोहल सड़क हादसों के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार है। शाम को शराब पीने के बाद रात में अचानक इमरजेंसी में गाड़ी चलाना, ऐसे हालात खतरा और बढ़ा देते हैं।
 
संयम खोना : तेज रफ्तार, अचानक कट मारना, दूसरे को परेशान करते हुए आगे बढ़ना, ये ऐसी लापरवाहियां हैं जो हादसे को न्योता देती है। सड़क पर संयम रखना भी एक चुनौती है। ड्राइविंग करते वक्त खुद को शांत रखना बेहद जरूरी है।
 
रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना : कई बार लोग दूसरी दिशा में जाने के लिए यू टर्न का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि गलत दिशा में गाड़ी डाल देते हैं। ऐसा करके अपनी और दूसरे की सुरक्षा कभी खतरे में न डालें।
 
किशोरों से सावधान : दुपहिया या कार पर सवार किशोरों से विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। अनुभव की कमी, बेध्यानी, होड़ लगाने का शौक और लापरवाही की वजह से किशोर सड़कों को खतरनाक बनाते हैं।
 
बारिश : बरसात में गाड़ी चलाते वक्त विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। गीली सड़क पर घर्षण कम हो जाता है, जिसके चलते ब्रेक लगाने पर वाहन के फिसलने का खतरा बना रहता है। बरसात के दौरान सामने का नजारा भी बहुत साफ नहीं होता है।
 
रात में ड्राइविंग : रात में वाहन चलाना आसान नहीं, इस दौरान दुर्घटना होने की संभावना भी दोगुनी होती है। शाम के वक्त इंसान पर थकान भी हावी होती है। इसके अलावा कई चालक हर वक्त हेडलाइट को हाई बीम पर रखते हैं। लिहाजा रात में ड्राइविंग करते वक्त सामने के शीशे या हेल्मेट के शीशे को बिल्कुल साफ रखें और बेहद संभलकर आगे बढ़ें।
 
हेलमेट या सीट बेल्ट न पहनना : गाड़ी की गति अगर पैदल चाल से ज्यादा तेज हो तो सील्ट बेल्ट जरूर पहनें। हादसे की स्थिति में यह सिर, पेट और छाती की गंभीर चोटों से काफी हद तक बचाती है। दुपहिया में हेलमेट जरूर लगाएं।
 
ओवरटेकिंग का जुनून : हर कोई चाहता है कि उसे खाली सड़क मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जोखिम लेकर हर वाहन को ओवरटेक किया जाए। ओवरटेक करते समय हर वाहन से सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
 
रेड लाइट जम्प करना : रेड लाइट को नजरअंदाज करने वाले ड्राइवर, दूसरी दिशा से आ रहे तेज रफ्तार ट्रैफिक की चपेट में आ सकते हैं। इस दौरान होने वाले हादसे गंभीर चोट पहुंचा सकते हैं। लिहाजा बेहतर है कि ट्रैफिक सिग्नल के आस पास जल्दबाजी न करें।
 
वाहन में डिफेक्ट : दुनिया में हर चीज 100 फीसदी परफेक्ट नहीं है। इस बात को ड्राइविंग के वक्त भी ध्यान में रखें। वाहन में आने वाली दिक्कतों को नजरअंदाज न करें। हर गाड़ी में खास किस्म के फायदे और खामियां होती हैं, ड्राइविंग के वक्त इन चीजों को भी ध्यान में रखें।
 
वाहन को लहराकर चलाना : मुड़ते वक्त इंडिकेटर न देना, व्यस्त सड़क पर रास्ता पूछने के लिए अचानक रुकना, ज्यादा ट्रैफिक होने पर बार बार लेन बदलना, ऐसा कर बेवजह दुर्घटना को न्योता न दें।
 
तालमेल की कमी : ज्यादातर हादसे इस वजह से भी होते हैं कि एक चालक की हरकत दूसरों को समझ में नहीं आती। ऐसा न करें, सड़क पर ऐसी कोई भी हरकत न करें, जिसके चलते दूसरे भ्रमित हों।