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Last Modified: शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015 (12:22 IST)

सचमुच हैं हवा से चलने वाले जहाज

सचमुच हैं हवा से चलने वाले जहाज - Norway carrier
दुनिया भर में बेचे जाने वाले उत्पादों का परिवहन करने वाले पानी के जहाजों में से करीब 90 फीसदी फॉसिल फ्यूल से चलते हैं। नॉर्वे के एक इंजीनियर ने इसके बेहतर विकल्प के तौर पर हवा से चलने वाला एक मालवाही जहाज बनाया है।

कुल विश्व व्यापार का करीब 90 फीसदी हिस्सा शिपिंग के माध्यम से ही होता है। उत्पादों को ढोने वाले विशाल समुद्री मालवाहक जहाज ज्यादातर डीजल जैसे फॉसिल फ्यूल से चलते हैं। अपनी यात्रा के दौरान इनसे समुद्र में कई तरह के प्रदूषण फैलते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए नॉर्वे के एक नेवल इंजीनियर ने एक खास उपाय ढूंढ़ निकाला है- हवा से चलने वाला जहाज।

नॉर्वेजियन इंजीनियर तेर्ये लाडे का ड्रीमलाइनर जहाज 46 मीटर ऊंचा होगा। उनका ये मालवाही जहाज हवा और गैस से चलने वाला अपनी तरह का पहला ट्रांसपोर्ट जहाज होगा। लाडे बताते हैं, 'मेरे जहाज को 60 फीसदी कम ईंधन चाहिए और वह करीब 80 प्रतिशत कम उत्सर्जन करता है।'

दुनिया भर में कई वैज्ञानिक और इंजीनियर बेहतर विकल्पों की तलाश में लगे हैं। साल 2020 से केवल 0.1 फीसदी सल्फर वाले शिपिंग फ्यूल के इस्तेमाल की अनुमति होगी। असल में सल्फर को समुद्री जीवन के लिए बहुत खराब माना जाता है क्योंकि इससे केकड़े और झींगों की आबादी पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

फ्यूल में सल्फर की मात्रा कम करने से वह काफी महंगा हो जाएगा जो कि शिपिंग कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। वे कीमतों पर नियंत्रण भी रखना चाहती हैं और उत्सर्जन की गाइडलाइन को मानना भी चाहती हैं। लाडे को उम्मीद है कि उनका प्रोजेक्ट इसका उपाय है। वे इसे 'विंडस्किप' कहते हैं जिसका अर्थ है हवा-जहाज।

लाडे और हैम्बर्ग शहर में स्थित फ्राउनहोफर सेंटर फॉर मैरीटाइम लॉजिस्टिक्स एंड सर्विसेज (सीएमएल) के रिसर्चरों को पूरा विश्वास है कि विंडस्किप ही भविष्य की समुद्री सवारी है। लाडे बताते हैं, 'हवा ही ईंधन में बदल जाता है...बिल्कुल किसी हवाईजहाज की तरह। फर्क बस इतना है कि शिप ऊपर की ओर नहीं बल्कि आगे की ओर धकेली जाती है।'

विंडस्किप 18 से 19 नॉट्स की गति से चल सकती है, बिल्कुल किसी परंपरागत फ्रेटर की तरह। अगर हवा का प्रवाह कम हो जाए तो यह जहाज एलएनजी या लिक्विफाइड नैचुरल गैस से चलेगी।

सीएमएल के शोधकर्ता जहाज के लिए एक 'वेदर रूटिंग मॉड्यूल' विकसित करने में लगे हैं। इसी से जहाज हवा की दिशा और शक्ति के अनुरूप अपना रास्ता तय करेगा जिससे वह अपनी रफ्तार बरकरार रख पाए। इससे तूफानों के बारे में भी पूर्व सूचना मिल सकेगी।

लाडे कहते हैं, 'हम अपनी यात्रा 2019 में शुरू करेंगे।' कई लोग इसे आशंकाओं से भरा प्रोजेक्ट मान रहे हैं और उन्हें लगता है कि यह सच्चाई से काफी दूर है। हवा की दिशा के हिसाब से समुद्री रास्ते चुनना पुराने जमाने की बात लग सकती है लेकिन इससे साफ सुथरे भविष्य का एक रास्ता खुलता जरूर नजर आता है।