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Last Modified: मंगलवार, 11 नवंबर 2014 (12:44 IST)

खुशी का 'उम्र और जगह से रिश्ता'

खुशी का 'उम्र और जगह से रिश्ता' - Midlife_happiness
लांसेट जर्नल में छपे एक शोध में कहा गया है कि अधेड़ उम्र में आकर इंसान की खुशी थोड़ी कम हो जाती है। कितनी कम हो जाती है ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप दुनिया के किस हिस्से में रहते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में रहने वाले लोग अधेड़ उम्र में काफी दुखी हो जाते हैं वैसे उम्र का ये दौर गुजरने के साथ ही उनका दुख कम होता जाता है।

शोध में कहा गया है कि अफ्रीका में रहने वाले लोग कभी भी खुश नहीं रह पाते हैं जबकि पूर्वी यूरोप, पूर्व सोवियत यूनियन और लातिन अमेरिकी देशों में बढ़ती उम्र के साथ खुशी का स्तर कम होता जाता है।

क्या है वजह?
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में प्रोफेसर एंड्र्यू स्टेप्टो का कहना है कि उम्र और खुशी संबंधी इस रुझान के पीछे कई वजहें हैं जो जटिल भी हैं। शोध में चेतावनी दी गई है कि बीमारियों की वजह से बढ़ती उम्र में जीवन के स्तर पर असर पड़ रहा है।

इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने 160 से अधिक देशों से चार वर्ष तक आंकड़े जुटाए। शोध में शामिल अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एंगस डीटन कहते हैं कि वित्तीय स्थिति इस अवस्था को समझने में मदद कर सकती है।

उनका कहना है, 'ये वो उम्र होती है जब वेतन आमतौर पर अच्छा होता है। लोग भविष्य में बेहतर वेतन और जीवन की आस में वर्तमान को भी दांव पर लगा देते हैं। वे सोचते हैं कि अभी धन कमा लिया जाए तो भविष्य में जीवन बेहतर हो ही जाएगा।'

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में प्रोफेसर एंड्र्यू स्टेप्टो का कहना है कि खुशी को हमेशा आर्थिक स्थिति से नहीं जोड़ा जा सकता लेकिन इससे खुशी कुछ हद तक जरूर बढ़ती है।