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Last Modified: गुरुवार, 1 दिसंबर 2016 (11:41 IST)

चीन को सताने लगा है इस्लामी कट्टरपंथ का डर

चीन को सताने लगा है इस्लामी कट्टरपंथ का डर - Islamic radicalism in China
चीन में पश्चिमी प्रांत शिनचियांग से धार्मिक चरमपंथ देश के दूसरे हिस्सों में फैल रहा है। चीन के अधिकारियों को कहना है कि देश को इस्लामी कट्टरपंथियों से खतरा बढ़ रहा है।
चीन के शिनचियांग प्रांत की सीमाएं पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लगती हैं। यह इलाका चीन में रहने वाले उइगुर मुसलमानों का है। हाल के समय में वहां हमले बढ़े हैं जिनमें सैकड़ों लोग मरे गए हैं। चीन की सरकार इसके लिए धार्मिक कट्टरपंथियों को जिम्मेदार मानती है। कट्टरपंथ को रोकने और स्थिरता बनाने के नाम पर सरकार ने धार्मिक गतिविधियों पर कई तरह की बंदिशें लगाई हैं।

धार्मिक मामलों से संबंधित सरकारी प्रशासन के प्रमुख वांग चुओआन कहते हैं कि कट्टरपंथी विचारधारा अब चीन के दूसरे हिस्सों में भी फैल रही है। चीनी अखबार चाइना डेली की खबर के अनुसार उन्होंने चीनी इस्लामिक एसोसिएशन की कांग्रेस में ये बात कही। अखबार ने कट्टरपंथ के फैलने के बारे में स्पष्ट ब्यौरा तो नहीं दिया है और न ही यह बताया है कि किन प्रांतों में खासतौर से यह समस्या देखने को मिल रही है। लेकिन रिपोर्ट में वांग के हवाले से कहा है कि चीन के सरकारी इस्लामी मौलवियों को कट्टरपंथ से निपटने में सबसे अहम भूमिका अदा करनी चाहिए।
 
वांग ने कहा, "हमें मुसलमानों को बताना होगा कि कानूनी और गैरकानूनी धार्मिक गतिविधियों की सीमाएं क्या हैं, ताकि वो गैर कानूनी गतिविधियों को ना कह सकें।" वांग ने कहा कि चीन की सरकार को इस्लाम के मजबूत होते मैनहुआन पंथ की समस्या से भी ठीक से निपटना होगा। धार्मिक मामलों से जुड़े प्रशासन की वेबसाइट पर मैनहुआन को चीनी तर्ज का एक सूफीज्म बताया गया है।

चीन में मुसलमानों की आबादी 2।1 करोड़ है, उनमें से एक वर्ग उइगुर मुसलमानों का है। हुई समेत अन्य मुसलमान समूह देश के दूसरे हिस्सों में रहते हैं। पश्चिमी क्षेत्र निंगशिया और दक्षिण पश्चिमी युन्नान प्रांत में कई मुसलमान समूह रहते हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश के मुसलमानों से कहा है कि वे गैर कानूनी धार्मिक "घुसपैठ" से दूर रहें।
 
अब कट्टरपंथी हमले शिनचियांग के अलावा दूसरे प्रांतों में भी देखने को मिल रहे हैं। मार्च 2014 में युन्नान हुए चाकू हमले में 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि शिनचियांग में अशांति स्थानीय कारणों से होती है। इनमें जातीय हिंसा और तुर्क जुबान बोलने वाले उइगुर लोगों के धार्मिक और आर्थिक उत्पीड़न भी शामिल है।
 
दूसरी तरफ, चीन की सरकार इन आरोपों से बराबर इनकार करती है कि वह शिनचियांग या देश के अन्य किसी हिस्से में अल्पसंख्यकों के साथ किसी तरह का भेदभाव करती है। चीन आधिकारिक रूप से एक नास्तिक देश है। लेकिन हाल के दिनों में वहां कई धार्मिक समूह उभरे हैं। ऐसे में, चीनी लोग सिर्फ उन्हीं धार्मिक समूहों का हिस्सा बन सकते हैं, जिनकी बराबर निगरानी सरकार करती है।
एके/वीके (रॉयटर्स)
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