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Last Modified: शनिवार, 18 जुलाई 2015 (13:56 IST)

अदृश्यता पैदा करने के करीब पहुंचे अमेरिकी वैज्ञानिक

अदृश्यता पैदा करने के करीब पहुंचे अमेरिकी वैज्ञानिक - Invisible technology
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक अदृश्य तकनीक की मदद लेते हुए एक जबरदस्त संचार सिस्टम बनाने में जुटे हैं। इसके 'टाइम क्लोक' यानी समय का आवरण कहा जा रहा है। सब कुछ आंखों के सामने होगा लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगेगी।
 
बनाई गई मशीन प्रकाश के बहाव को ऐसे परिवर्तित कर रही है कि इंसानी आंखें इस परिवर्तन को पकड़ ही नहीं पा रही है। विज्ञान मामलों की पत्रिका नेचर में इस बारे में एक रिपोर्ट छपी है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रकाश की कुछ खास रंग की किरणों में बदलाव करने पर इंसान की आंख को बेवकूफ बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों को लगता है कि इस तकनीक की मदद से इंसान के सामने बिना किसी नजर में आए काफी कुछ किया जा सकेगा।
 
न्यूयॉर्क की कोरनेल यूनिवर्सिटी की मोटी फ्रीडमन कहती हैं, "हमारे नतीजे दिखाते हैं कि हम अदृश्यता पैदा करने वाला उपकरण बनाने के काफी करीब पहुंच रहे हैं।" प्रयोग के तहत अलग अलग आवृत्ति वाली प्रकाश की किरणों को भिन्न भिन्न रफ्तार से आगे बढ़ाया जाता है। प्रयोग के लिए कई लैंसों का इस्तेमाल किया गया। सबसे पहले हरे रंग के प्रकाश को फाइबर ऑप्टिक केबल से गुजारा गया।
 
फिर प्रकाश अलग अलग लेंसों से टकराया। लेंसों से टकराते ही प्रकाश किरणें दो रंगों में बदल गई। प्रकाश नीले और हरे रंग में टूर गई। नीले रंग की किरण लाल रंग से ज्यादा तेज रफ्तार से आगे बढ़ी। प्रकाश की दो किरणें बनने के दौरान अदृश्यता की स्थिति पैदा हो गई। प्रयोग के अगले चरण में टूटे हुई किरणों को फिर से एक कर दिया गया और फिर से सामान्य प्रकाश बन गया और अदृश्यता गायब हो गई।
 
यह सब कुछ 50 पीकोसेकेंड के भीतर हुआ। यह एक सेकेंड के 10 लाखवें हिस्से का भी पांच करोड़वां हिस्सा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तकनीक का इस्तेमाल संचार में किया जा सकता है। इस तकनीक के जरिए होने वाला संचार ऑप्टिकल सिग्नल तोड़ता है। किरणें टूटती हैं और अदृश्य हो जाती हैं। बाद में किरणों को फिर से एक किया जा सकता है और सब कुछ देखा जा सकता है। यानी डाटा को अदृश्य बनाकर भेजा जा सकता है और फिर एकत्रित किया जा सकता है।
 
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह 
संपादन: एम गोपालकृष्णन