मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Indian daughters
Written By
Last Modified: बुधवार, 21 फ़रवरी 2018 (14:55 IST)

मां बाप के भेदभाव से मरती भारत की बेटियां

मां बाप के भेदभाव से मरती भारत की बेटियां - Indian daughters
भारत में मां बाप बीमारी के समय लड़कों की तुलना में लड़कियों के इलाज की चिंता कम करते हैं। इसीलिए जन्म के बाद पहले महीने में मरने वाले शिशुओं में लड़कियों की तादाद ज्यादा है। यूएन की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
 
दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना करें तो भारत में सबसे ज्यादा नवजात बच्चों की मौत होती है। हर साल यहां 6 लाख से ज्यादा नवजात मर जाते हैं और पूरी दुनिया में मरने वाले शिशुओं का यह करीब एक चौथाई है। संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ की एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
 
यूनीसेफ का कहना है कि नवजात शिशुओं की मृत्यु दर लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए ज्यादा है। यहां तक कि पांच साल से कम उम्र में होने वाली बच्चों की मौत में भी लड़कियां ज्यादा है। हालांकि 1990 से 2015 के बीच इस उम्र के बच्चों की मौत की संख्या में 65 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
 
यूनीसेफ की भारत प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने ईमेल के जरिए भेजे एक बयान में कहा, "लड़कियों के पास जैविक रूप से मजबूत होने की श्रेष्ठता है लेकिन यह दुखद है कि वे सामाजिक रूप से बेहद असुरक्षित हैं। उनके साथ यह भेदभाव उनके पैदा होने से पहले ही शुरू हो जाता है।"
 
भारत में नवजात बच्चों को मुफ्त इलाज दिया जाता है और इसके लिए देश भर में 700 से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं। इनमें सिर्फ बच्चों का ही इलाज होता है। हालांकि 2017 में यूनिसेफ के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक यहां भर्ती कराए जाने वाले 60 फीसदी से ज्यादा नवजात लड़के होते हैं।
 
यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ गगन गुप्ता ने कहा, "इससे पता चलता है कि लड़कियां किन सामाजिक बेड़ियों का सामना कर रही हैं। समाज में उनकी कम अहमियत है।" गगन गुप्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि मां बाप अपनी बेटियों को इलाज के लिए नहीं ले जाते क्योंकि वे अपना काम नहीं छोड़ना चाहते या फिर अस्पताल तक जाने के लिए यात्रा पर खर्च नहीं करना चाहते। हालांकि इस तरह का भेदभाव गैरकानूनी है।
 
भारत में बहुत से लोग लड़कियों को एक बोझ के रूप में भी देखते हैं क्योंकि परिवारों को उनकी शादी के लिए दहेज जुटाना पड़ता है।
 
लड़कों की चाहत में लिंग निर्धारण के बाद गर्भपात की संख्या भी बहुत है जिसकी वजह से देश में लिंगानुपात बिगड़ गया है। भारत सरकार ने लड़कियों की सुरक्षा और उन्हें पढ़ाने के लिए अभियान चलाया है और उनके कल्याण के लिए लड़कियों के मां बाप को आर्थिक मदद भी दी जा रही है।
 
बावजूद इसके स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं है। नवजात लड़कियों की मौत सबसे ज्यादा राजस्थान में होती है। राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ नरेंद्र गुप्ता कहते हैं, "हमने कुपोषण केंद्रों में भी देखा है कि लड़कियों की तुलना में लड़के ही ज्यादा लाए जाते हैं।"
 
एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)
ये भी पढ़ें
क्या है दुनिया का सबसे सेहतमंद खाना?