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Written By DW
Last Modified: शनिवार, 27 सितम्बर 2014 (12:29 IST)

नकली मिठास से डायबिटीज का खतरा

नकली मिठास से डायबिटीज का खतरा - diabetes
चीनी की जगह इस्तेमाल की जाने वाली मीठी गोलियों का प्रचार कंपनियां बेहतर स्वास्थ्य का वास्ता देकर करती हैं। लेकिन रिसर्चरों का दावा है कि यही मिठास आपको डायबिटीज दे सकती है।
 
इन गोलियों को नॉन कैलोरिक आर्टिफीशियल स्वीटनर एनएएस भी कहते हैं। इनका इस्तेमाल उन पेय पदार्थों में भी किया जाता है जो डायट सोडा के नाम पर बाजार में उपलब्ध हैं। यहां तक खानपान की कई मीठी चीजें भी बाजार में शुगर रहित कहकर बेची जा रही हैं। इनमें भी मिठास इन्हीं एनएएस स्वीटनर से डाली जाती है। वजन के लिए चिंतित लोग इन दिनों बड़े स्तर पर इन गोलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
 
जुबान पर मिठास छोड़ने के बाद इसके अणु आंतों में सोखे नहीं जाते। साफ है कि चीनी के अणुओं के मुकाबले इन्हें कैलोरी मुक्त क्यों माना जाता है। साइंस की नेचर पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्चरों का कहना है कि जब उन्होंने प्रयोगशाला में चूहे पर और कुछ इंसानों पर जांच की तो इसके नुकसान पाए। उनके मुताबिक एनएएस आंतों में रहने वाले बैक्टीरिया की क्रियाशीलता को प्रभावित करती है। रिसर्च पेपर में लिखा है, 'हमारी रिपोर्ट में साफ जाहिर है कि एनएएस उसी बीमारी को बढ़ावा देती है जिससे लड़ना उसका मकसद था।'
 
वैज्ञानिकों ने बताया कि कृत्रिम मिठास यानि एनएएस तीन तरह की होती हैं- एसपारटेम, सूक्रालोज और सैकरीन। प्रयोगशाला में जब चूहों को एनएएस दी गई तो उनके शरीर में ग्लूकोस के लिए इंटॉलरेंस पाई गई। जबकि जिन चूहों को सामान्य पानी या पानी में चीनी घोलकर पिलाया गया तो उनपर कोई फर्क नहीं पड़ा। अब इन दोनों ही तरह के चूहों के मल को उन रोडेंट्स को खिलाया गया जिनकी खुद की आंतों में गट बैक्टीरिया नहीं होते। उन्होंने पाया कि कृत्रिम मिठास की गोलियां खाने वाले चूहों के मल को लेने वाले जीवों में ब्लड ग्लूकोस का स्तर तेजी से बढ़ गया।
 
इसी टेस्ट को रिसर्चरों ने मनुष्य पर भी आजमाया। उन्होंने सात ऐसे लोगों को, जो कृत्रिम मिठास का सेवन नहीं करते, सात दिनों तक एनएएस का इस्तेमाल कराया। उन्होंने पाया कि चार से सात दिन के अंदर उनके ब्लड शुगर के स्तर में वृद्दि हो गई और आंतों के बैक्टीरिया भी प्रभावित हुए।
- एसएफ/आईबी (एएफपी)