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Last Modified: मंगलवार, 5 मई 2015 (11:55 IST)

कपि और इंसान में कितना फर्क?

कपि और इंसान में कितना फर्क? - chimpanzee_ monkey species
क्या मानव केवल कपि का थोड़ा और विकसित रूप है? बर्लिन की एक प्रदर्शनी में इस सवाल का उत्तर बड़े ही कलात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
 
मानव-कपि : कला में कपियों का खास स्थान रहा है खासकर मानव दर्शन के विषयों पर। ईटीए हॉफमन, विल्हेल्म हॉफ और फ्रांत्स काफ्का जैसे कई लेखकों ने इन प्राइमेट्स को अपनी साहित्यिक रचनाओं में चित्रित किया है। 1970 के दशक में बोलने वाली मादा गोरिल्ला कोको खूब प्रसिद्ध हुई।
 
ब्यूटी एंड द बीस्ट : 1986 में आई कॉमेडी फिल्म में मैक्स नामका कपि तस्वीर में दिख रही खूबसूरत महिला का प्रेमी बना था। जापानी निदेशक नागिसा ओशीमा ने इसे महिलाओं के सामाजिक रुतबे में आए बदलावों को मजाकिया रूप में दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया। कहानी में पेरिस के उच्चकुलीन परिवारों में व्यापक रूप से फैले विवाहेतर संबंधों पर तंज कसा गया था।
 
विचारक? : कलाकार क्लाउस वेबर ने कपियों के बारे में बदलती धारणाओं को लेकर एक खास स्टडी की थी। उन्होंने अपने फोटो कोलाज 'बॉएलेन' (2008) में एक प्लास्टिक के प्राइमेट को विचारक के रूप में दिखाया। इसके शरीर से जहग जगह पर कई मशहूर लोगों के सिर टंगे से दिखाए गए।
 
सच की पुनर्व्याख्या : फिलिप फान डिंगेनेन ने अपने प्रोजेक्ट 'फ्लोटा न्फूमू' (2009) को स्पेन के एल्बीनो गोरिल्ला स्नेफ्लेक से प्रभावित होकर रचा। 1966 से 2003 के बीच स्नोफ्लेक बार्सिलोना जू का सबसे प्रसिद्ध जानवर था। उसके चेहरे पर दिखने वाले इंसानों जैसे हाव-भाव ने उसे पॉप कल्चर का स्टार बना दिया।
 
बंदर और शक्ति : भारतीय और जावा सभ्यता में कपि के मुख वाले भगवान हनुमान की बड़ी मान्यता है। 2014 में आई फिल्म 'द मास्क्ड मंकीज' को आनिया डॉर्नीडेन और युआन डेविड गोंजालेस ने बनाया है। इसमें जावा के बंदरों और उनके पालकों के बीच के संबंधों को करीबी से दिखाया गया है।
 
इंसानी मुखौटा : फ्रेंच कलाकार पियरे हाइगे को अपनी लघुफिल्म के लिए प्रेरणा एक यूट्यूब वीडियो को देख कर मिली। इस क्लिप में फूकू-चैन बंदर विग, मास्क पहने एक छोटी सी लड़की का वेष धारण किए हुए टोक्यो के एक रेस्त्रां में काम करता दिखाया गया था। हाइगे ने इसी बंदक को ढूंढ कर अपनी 19 मिनट की फिल्म बनाई और उसे नाम दिया 'ह्यूमन मास्क।'
 
चिम्पैंजी की झलक : हॉलीवुड फिल्म 'प्लैनेट ऑफ एप्स' की श्रृंखला 1968 में आनी शुरू हुई। तबसे अब तक चिंम्पैंजियों के बारे में इसके आधार पर तमाम परिकल्पनाओं गढ़ी गईं और चिम्पैंजी अमेरिकी पॉप कल्चर का हिस्सा बन गए।
 
मुझमें छिपा कपि : एरिक श्टाइनब्रेषर ने कई तरह के माध्यमों का इस्तेमाल कर अपनी इंस्टॉलेशन 'आफे' बनाई है। 'एप कल्चर' को समझने में प्रदर्शनी में रखे गए कला के कई दूसरे नमूनों की तरह यह भी देखने वाले को इसकी व्याख्या की खुली संभावनाएं देती है।