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Last Modified: बुधवार, 4 फ़रवरी 2015 (15:18 IST)

बच्चों के खाने में बहुत ज्यादा नमक चीनी

बच्चों के खाने में बहुत ज्यादा नमक चीनी - Children health,
बाजार में बच्चों के लिए मिलने वाले खानों में नमक और चीनी की मात्रा चिंताजनक स्तर तक ज्यादा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इन खानों से बच्चों को ऐसी आदतें लग रही है जो भविष्य में मोटापे और दूसरी बीमारियों को बढ़ावा देती है।

स बच्चों में से सात के खाने में नमक की मात्रा ज्यादा थी। अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र के रिसर्चरों द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि शिशुओं और बच्चों के लिए उपलब्ध पेस्ट्री या स्नैक्स में अतिरिक्त चीनी थी। बच्चों के माता पिता को खाने के पैकेटों पर छपी जानकारियां सावधानी से पढ़ने और स्वस्थ आहार खरीदने की सलाह दी गई है।

शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी के लिए शिशुओं और बच्चों के लिए बिकने वाली करीब 1000 खाद्य सामग्रियों के लेबल पढ़े और वहां उपलब्ध जानकारी का विश्लेषण किया। इस स्टडी में कहा गया है कि अमेरिका में 2 से 5 साल की उम्र के 25 फीसदी बच्चे मोटापे का शिकार हैं। इसके अलावा 1 से 3 साल के बच्चे हर दिन नमक के प्रस्तावित स्तर से ज्यादा लेते हैं, जो कि 1500 मिलीग्राम है। स्टडी के नतीजे इस हफ्ते पेड्रियाटिक्स पत्रिका में छपे हैं।

इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन का सुझाव है कि बच्चों के दी जाने वाली एक खुराक में 210 मिलीग्राम से ज्यादा नमक नहीं होना चाहिए, जबकि अध्ययन में यह औसत 361 मिलीग्राम पाया गया। इसी तरह हर खुराक में अधिकतम एक तिहाई कैलोरी चीनी से आनी चाहिए, लेकिन बच्चों के खाने में इसे 47 फीसदी पाया गया और फ्रूट स्नैक में 66 फीसदी।

आवश्यकता से ज्यादा नमक और चीनी का इस्तेमाल बचपन में भी मोटापे और रक्तचाप बढ़ाने में योगदान देता है। सर्वे की मुख्य लेखिका और रोग नियंत्रण केंद्र की रिसर्चर मेरी कॉग्लवेल ने कहा, 'हमें यह भी पता है कि 9 में से एक बच्चे का रक्तचाप उसकी उम्र के हिसाब से अधिक है और नमक बढ़े हुए रक्तचाप का कारण है।'

इस स्टडी के लिए रिसर्चरों ने 2012 में बाजार में उपलब्ध खानों के डाटा का विश्लेषण किया है। उन्होंने उत्पादों के नाम नहीं बताए हैं, जिन खाद्य पदार्थों का अध्ययन किया गया उनमें बेबी फूड और बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मिनी हॉट डॉग, राइस केक, क्रैकर्स, ड्राय फ्रूट और योगर्ट के लोकप्रिय ब्रांड भी शामिल थे।

अपने सामानों की बिक्री पर इस स्टडी के असर से घबराई कंपनियों के संघ ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह स्टडी बाजार में उपलब्ध स्वस्थ विकल्पों को प्रतिबिंबित नहीं करता क्योंकि यह 2012 के डाटा पर आधारित है। ग्रोसरी मैन्यूफैक्चरर्स ऑफ अमेरिका नामके संगठन का कहना है कि स्टडी में कम नमक वाले नए उत्पादों को शामिल नहीं किया गया है। इसके विपरीत रिसर्चरों का कहना है कि बच्चों के लिए बाजार में मिलने वाले खाने पर उनकी स्टडी सबसे ताजा और व्यापक है। कॉग्लवेल ने स्वीकार किया है कि इस बीच कुछ सुधार हुए हैं।

- एमजे/आरआर (एपी)