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Last Modified: शुक्रवार, 10 जुलाई 2015 (12:26 IST)

आपसी सहयोग बढ़ाएं ब्रिक्स के देश

आपसी सहयोग बढ़ाएं ब्रिक्स के देश - BRICS countries
संस्था के रूप में ब्रिक्स का उदय उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हितों के प्रतिनिधित्व की ललक का नतीजा था। ब्रिक्स के देश विचारधारा में भले ही बहुत अलग हों, उनके हित एक जैसे हैं। भारत को नेतृत्व की भूमिका में आने की जरूरत है।
ब्रिक्स के पांच देशों में दो सुरक्षा परिषद के वीटोधारी सदस्य हैं तो तीन स्थायी सदस्य बनना चाहते हैं। भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका लोकतांत्रिक देश हैं तो चीन साम्यवादी और रूस में पिछले सालों में अधिनायकवादी ताकतें बढ़ी हैं। पांचों देशों की अर्थव्यवस्था भी विकास के विभिन्न चरणों में है। इन सब अंतरों के बावजूद एक बात समान है कि पांचों देश विकसित राष्ट्रों की कतार में शामिल होना चाहते हैं। उन्हें अपने सभी नागरिकों को वे बुनियादी सुविधाएं जल्द से जल्द उपलब्ध करानी है जो विकसित देशों में उपलब्ध हैं।
 
विकसित देशों ने जी-7 के दायरे में ब्रिक्स देशों के साथ संवाद का सिलसिला शुरू किया था जो 2005 में जी-8 प्लस 5 के रूप में सामने आया था लेकिन उसके बाद फिर कभी इस फॉर्मेट की बैठक नहीं हुई। रूस को भी यूक्रेन संकट के बाद जी-7 के देशों ने अपनी कतार से बाहर कर दिया है। अमेरिकी सेना इस बीच चीन और रूस को सबसे बड़ा रक्षा खतरा मानती है। और ब्रिक्स को नजरअंदाज करने की यह बड़ी वजह हो सकती है।
 
भारत लोकतांत्रिक देश है और इलाके को छोड़कर कभी किसी सैनिक विवाद में शामिल नहीं रहा है। वह विकसित और विकासमान अर्थव्यवस्थाओं के बीच मध्यस्थता कर सकता है। उसे नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी ताकि ब्रिक्स के संस्थान पश्चिमी वर्चस्व वाले संस्थानों को चुनौती देते न लगें। इलाके के अपने विकास के लिए स्थानीय संसाधनों को जुटाने और उनका इस्तेमाल करने की जरूरत है। न्यू डेवलपमेंट बैंक के गठन के साथ ब्रिक्स के देश यही कर रहे हैं, लेकिन और आगे बढ़ना होगा और विकास के साझा हित में आपसी सहयोग को और भी बढ़ाना होगा।
 
गहन आपसी सहयोग के लिए एक जैसे ढांचे मददगार साबित होते हैं। इनके लिए एक दूसरे को, समाज को अर्थव्यवस्था को समझना जरूरी होता है। सरकारी और सामाजिक स्तर पर संबंधों को गहन बनाने के लिए छात्रों के आदान प्रदान से लेकर रिसर्चरों, पत्रकारों, सिविल सोसायटी और अधिकारियों का गहन आदान प्रदान जरूरी है। जो लोग एक दूसरे को जानते हैं, समझते हैं, वे ही एक दूसरे के साथ सहयोग के लिए तैयार होते हैं। इस सहयोग में सबका भला है, इन देशों का भी और दुनिया का भी, क्योंकि ब्रिक्स देशों में दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी रहती है और उनका हिस्सा लगातार बढ़ रहा है।
 
ब्लॉग: महेश झा