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Last Updated : बुधवार, 17 दिसंबर 2014 (18:16 IST)

बीसीसीआई में गावस्कर, शास्त्री, श्रीकांत, गांगुली के व्यावसायिक हित

बीसीसीआई में गावस्कर, शास्त्री, श्रीकांत, गांगुली के व्यावसायिक हित - बीसीसीआई में गावस्कर, शास्त्री, श्रीकांत, गांगुली के व्यावसायिक हित
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने व्यावसायिक हित रखने वाले प्रशासकों और संचालकों की सूची बुधवार को उच्चतम न्यायालय में पेश की, जिसमें पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर, टीम इंडिया के निदेशक रवि शास्त्री और चयन समिति में शामिल कृष्णामाचारी श्रीकांत के अलावा सौरव गांगुली और वेंकटेश प्रसाद के नाम शामिल हैं। 
   
  
कई सप्ताह से जारी मैराथन सुनवाई पूरी होने के बाद शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई में वापसी को लेकर इंतजार कर रहे एन. श्रीनिवासन के दोबारा अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने और उनके चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम खरीदने से खड़े हुए हितों के टकराव मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। 
     
विशेष खंडपीठ ने श्रीनिवासन के बोर्ड अध्यक्ष होने और आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स का मालिक होने की उनकी दोहरी भूमिका को लेकर सवाल उठाए थे। 
     
इससे पहले बीसीसीआई ने आईपीएल6 में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की खंडपीठ के निर्देशानुसार उन संचालकों और प्रशासकों की सूची आज पेश की, जिनके आईपीएल और चैंपियंस लीग में व्यावसायिक हित जुड़े हुए हैं। इस सूची में गावस्कर, शास्त्री और श्रीकांत. गांगुली और वेंकटेश के अलावा लालचंद राजपूत भी शामिल हैं। 
    
सूची पर नजर डालने के बाद न्यायालय ने कहा कि श्रीकांत राष्ट्रीय चयनकर्ताओं में शामिल है। साथ-साथ ही वह सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटर भी है और यह कैसे संभव है। गौरतलब है कि आईपीएल भ्रष्टाचार मामले में बीसीसीआई के अस्थाई तौर पर निलंबित किए गए अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के स्थान पर आईपीएल 2014 के संचालन का जिम्मा भी सौंपा गया था।
 
शीर्ष अदालत ने कल यह सूची उस समय मांगी थी, जब बोर्ड ने बीसीसीआई के नियम 6.2.4 में विवादास्पद संशोधन का बचाव शुरू किया। इस नियम के माध्यम से ही खेल प्रशासकों के हितों के टकराव के प्रावधान से छूट देने के साथ ही आईपीएल और चैंपियंस लीग में टीम खरीदने की अनुमति प्रदान की गई थी। 
      
खंडपीठ ने मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए इस सूची का अवलोकन करने का निश्चय करने से पहले कुछ तल्ख टिप्पणियां भी की थीं और कहा था कि आसमान नहीं गिर पड़ेगा यदि बीसीसीआई के अधिकारी टीम के मालिक नहीं होंगे। 
 
न्यायालय ने कहा था कि यदि बीसीसीआई के अध्यक्ष टीम के मालिक नहीं होंगे तो इससे समूची आईपीएल परियोजना ध्वस्त नहीं हो जाएगी और क्या व्यावसायिक हितों के बगैर आईपीएल का आयोजन संभव नहीं है। (वार्ता)