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Written By सीमान्त सुवीर
Last Updated :मैनचेस्टर , बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (18:20 IST)

चौथे टेस्ट के लिए टीम इंडिया के सामने चयन की दुविधा

चौथे टेस्ट के लिए टीम इंडिया के सामने चयन की दुविधा -
मैनचेस्टर। जेम्स एंडरसन मामले में अनुकूल फैसला नहीं आने से निराश भारत कल से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रहे चौथे टेस्ट में चयन की दुविधा से जूझ रहा है कि खराब फार्म में चल रहे खिलाड़ियों को बाहर किया जाएया एक आखिरी मौका दिया जाए।

तीसरे टेस्ट में 266 रन से हारने के बाद भारत को दोहरा झटका लगा, जब आईसीसी द्वारा नियुक्त जांच आयुक्त ने एंडरसन को दोषी करार नहीं दिया। इन दोहरे झटकों से उबरकर महेंद्र सिंह धोनी की टीम को अब जीत की राह पर लौटना होगा।

टीम प्रबंधन कुछ बदलाव कर सकता है, जिसके तहत सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर और ऑफ स्पिनर आर अश्विन को अंतिम एकादश में जगह दी जा सकती है। चूंकि शिखर धवन फार्म में नहीं है और रोहित शर्मा गैर जिम्मेदाराना शॉट्स खेलकर विकेट गंवा रहे हैं।

श्रृंखला फिलहाल 1-1 से बराबर है लेकिन मैदान पर खराब प्रदर्शन और मैदान के बाहर एक लड़ाई हारने के कारण टीम की स्थिति खराब है। भारत को 2007-08 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से प्रेरणा लेनी होगी जब आखिरी बार कोई भारतीय क्रिकेटर लेवल तीन के अपराध के मामले में शामिल था।

धोनी पूर्व कप्तान अनिल कुंबले का अनुसरण करना चाहेंगे जिन्होंने न सिर्फ मैदान से बाहर मजबूती से अपना पक्ष रखा बल्कि मैदान पर भी टीम को पर्थ टेस्ट में 72 रन से जीत दिलाई। बीसीसीआई और ईसीबी के तमाम प्रयासों के बावजूद धोनी ने जडेजा का समर्थन किया। अब उन्हें मैदान के भीतर भी मोर्चे से अगुवाई करनी होगी ।


सात साल बाद भी एंड्रयू साइमंड्स और हरभजन सिंह का विवाद सभी को याद है। ऑस्ट्रेलिया ने उस सीरीज में भारत को 2-1 से हराया था। इसी तरह की हार से विदेश में धोनी का टेस्ट क्रिकेट में रिपोर्ट कार्ड और खराब हो जाएगा, जिसका आगाज 2011 से हो गया था। धोनी की परेशानियों का हल भी उसी श्रृंखला में है। ट्रेंटब्रिज और लॉर्ड्‍स में भारत ने पांच गेंदबाजों को उतारा था और यह रणनीति आखिरी बार उसी श्रृंखला में एडीलेड में आजमाई गई थी।

ट्रेंटब्रिज में ड्रॉ और लॉर्ड्‍स पर टेस्ट जीतने के बाद कहा जा सकता है कि भारत के लिए यह रणनीति कारगर रही। साउथम्पटन के सपाट विकेट पर भारत के सात प्रमुख बल्लेबाज दो पारियों में सिर्फ 330 और 178 रन ही बना सके।

श्रृंखला अब बराबरी पर होने के कारण भारत को अपनी रणनीति पर विचार करना होगा। रोहित लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं। उनके शॉट्स के चयन से साबित हो गया है कि सातवां बल्लेबाज वह कतई नहीं कर सकता जो पहले छह बल्लेबाज नहीं कर पाए।

यह कहा जा सकता है कि पांचवां गेंदबाज अगर स्पिनर हो तो बड़ा फर्क पैदा कर सकता है। अश्विन को श्रृंखला में पहली बार उतारा जा सकता है जो टेस्ट क्रिकेट में दो शतक भी बना चुके हैं। दूसरे स्पिनर के तौर पर धोनी उन्हें हर हालत में स्टुअर्ट बिन्नी पर तरजीह देंगे।

अश्विन दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट श्रृंखला तक पहली स्लिप में फील्डिंग करते रहे हैं। कैचिंग के पहलू को अनदेखा नहीं किया जा सकता क्योकि तीसरे टेस्ट में भारतीयों ने कई कैच टपकाए। गौतम गंभीर भले ही सात पारियों से अर्धशतक नहीं बना सके हो लेकिन अनुभव के आधार पर उन्हें उतारा जा सकता है।


तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार फिट हो रहे हैं लेकिन उनके बारे में अंतिम फैसला कल ही लिया जा सकेगा। वरुण आरोन टेस्ट में पदार्पण को बेताब है लेकिन भुवनेश्वर के फिट नहीं होने पर अगर उन्हें मौका दिया जाता है तो पंकज सिंह के साथ ज्यादती होगी। उसे पहले टेस्ट में औसत प्रदर्शन के आधार पर बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

दो और पोजिशन भारत के लिए चिंता का सबब है जिनके लिये कोई विकल्प भी नहीं है। चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली को भारतीय क्रिकेट का भविष्य कहा जा रहा है लेकिन दोनों प्रभावित नहीं कर सके हैं। कोहली ने अभी तक तीन टेस्ट में 16.83 की औसत से रन बना हैं जबकि पुजारा 31.66 की औसत से ही रन बना सके हैं जो उनके स्तर से काफी कम है। (भाषा)