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Written By भाषा

कानपुर में टेस्ट नहीं होने से क्रिकेट प्रेमी निराश

कानपुर में टेस्ट नहीं होने से क्रिकेट प्रेमी निराश -
प्रदेश सरकार और उत्तरप्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के बीच आपसी तालमेल न बन पाने और ग्रीनपार्क स्टेडियम के मैच की मेजबानी के लिए तैयार नहीं होने के कारण भारत और न्यूजीलैंड के बीच नवंबर माह में दूसरा टेस्ट कानपुर में नहीं होगा जिससे क्रिकेट प्रेमी निराश हैं।

वैसे यूपीसीए के अधिकारी कह रहे हैं कि इस बाबत अभी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने कुछ लिखकर नही भेजा है। बीसीसीआई ने मैच की मेजबानी कानपुर को सौंपी थी, लेकिन यूपीसीए के असमर्थता जताने के बाद बंगाल क्रिकेट संघ को ईडन गार्डन पर मैच कराने की पेशकश दी गई जो उसने भी ठुकरा दी।

भारत और न्यूजीलैंड के बीच 12 से 16 नवंबर के बीच होने वाला दूसरा टेस्ट उत्तर प्रदेश के इकलौते अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम ग्रीन पार्क में होना था, लेकिन स्टेडियम उत्तर प्रदेश सरकार के अन्तर्गत आता है इसलिए यूपीसीए को हर मैच से पहले इस स्टेडियम को किराए पर लेना पड़ता है। इसके लिए उसे प्रदेश सरकार को एक करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि चुकानी पड़ती है।

यूपीसीए के संयुक्त सचिव प्रेम धर पाठक ने कहा कि ऐसी खबरें मिली हैं कि उत्तर प्रदेश में नवंबर में होने वाला टेस्ट मैच अब नही होगा, क्योंकि ग्रीन पार्क स्टेडियम की स्थिति मैच कराने लायक नही है।

पाठक ने यह भी कहा कि अभी हम इस खबर की पूरी तरह से पुष्टि नही करते हैं क्योंकि अभी बीसीसीआई से हमें इस बात की कोई लिखित सूचना नही आई है कि नवंबर में होने वाला टेस्ट मैच रद्द हो गया है। यूपीसीए के एक आला अधिकारी के मुताबिक हाल ही में बीसीसीआई के आला अधिकारी कानपुर के ग्रीन पार्क का जायजा लेने आए थे तो वे यहाँ की तैयारियाँ देख कर स्तब्ध रह गए थे। स्टेडियम में मार्च 2010 में पुर्ननिर्माण के लिए तोड़ी गई स्टूडेंट गैलरी पूरी तरह से टूटी हुई थी। इसके अलावा कई अन्य दर्शक गैलरियों की भी हालत काफी जर्जर थी। इस बारे में जब ग्रीन पार्क के अधिकारियों से बीसीसीआई के अधिकारियों ने पूछा कि क्या स्टूडेंट गैलरी का निर्माण मैच तक हो पाएगा तो उनका जवाब था कि इतनी जल्दी निर्माण तो नही हो पाएगा लेकिन हम यहाँ पर पर्दे डाल देंगे ताकि लोगो को यह टूटा हुआ स्टेडियम का हिस्सा न दिख सके।

उन्होंने बताया कि ग्रीन पार्क अधिकारियों का कहना था कि स्टूडेंट गैलरी में बैठने वाले छात्रों को हम आम जनता वाली गैलरी में बैठा देंगे। इसके अलावा अन्य तैयारियाँ भी काफी ढीली-ढाली थी और जिस गति से स्टेडियम में काम हो रहा था उससे लगता नही था कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मैच को कराने में रूचि रखती है या नवंबर माह तक वह काम पूरा कर पाएगी।

पाठक ने कहा चूँकि यह एक अंतरराष्ट्रीय मैच था इस लिए इसे कवर करने अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी आता और अगर हम इस टूटी स्टूडेंट गैलरी के साथ मैच करवाते तो वह मैच कम और स्टेडियम की दुर्दशा ज्यादा दिखाता। इससे हमारे शहर के साथ-साथ यूपीसीए की भी भारी बदनामी होती।

असल में यूपीसीए के पास अपना अंतरराष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट स्टेडियम न होने का खामियाजा उसे अक्सर उठाना पड़ता है। इससे पहले भी भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच 24 फरवरी 2010 को होने वाला एकदिवसीय क्रिकेट मैच भी उसे एलाट होने के बाद भी छीनकर अंतिम मौके पर ग्वालियर को दे दिया गया था। अब कुछ ऐसा ही हाल नवंबर माह में होने वाले भारत और न्यूजीलैंड के बीच के टेस्ट मैच का हुआ। असल में शुरू से ही यूपीसीए और उत्तर प्रदेश सरकार में बनी नही। चूँकि स्टेडियम उत्तर प्रदेश सरकार का है इसलिए यूपीसीए को हमेशा सरकार के नखरे सहने पड़ते है और भारी भरकम किराया जो कि एक करोड़ रुपए है, देना पड़ता है इसके अलावा तमाम सरकारी अधिकारियों की खातिरदारी और फ्री पास अलग से देने पड़ते हैं।

यूपीसीए के अधिकारी ने कहा कि पहले भारत दक्षिण अफ्रीका का एकदिवसीय मैच हमें गँवाना पड़ा और अब लगता है कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच नवंबर में होने वाला टेस्ट मैच भी गँवाना पड़ेगा। उनसे पूछा गया कि यूपीसीए अपना स्टेडियम क्यों नही बना लेता है तो उन्होंने कहा कि प्रयास तो कर रहे है लेकिन अभी कोई जमीन ही नही मिल पा रही है और जमीन देने में भी तो सौ तरह के अडंगे लग रहे हैं।

वहीं कानपुर से एक बार फिर मैच जाने से यहाँ के क्रिकेट प्रेमियों में काफी निराशा है। एक क्रिकेट प्रेमी रोहित कोहली कहते हैं कि हम एक बार फिर अपने शहर में क्रिकेट मैच देखने से महरूम हो गए। (भाषा)