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Last Updated : मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015 (16:18 IST)

इंदौर वन-डे बना टीम इंडिया की ‘साख का सवाल’

इंदौर वन-डे बना टीम इंडिया की ‘साख का सवाल’ - ODI Indore
इंदौर। भारतीय क्रिकेट टीम के सफल कप्तान महेंद्रसिंह धोनी फिलहाल करियर के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, जहां वे सबसे अधिक सवालों के घेरे में हैं और ऐसे में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज का बुधवार को यहां खेले जाने वाला दूसरा वन-डे मेजबान टीम और कप्तान दोनों के लिये साख का सवाल बन गया है।
कानपुर वनडे में नजदीकी मुकाबले में पांच रन से शिकस्त झेलने के बाद से ही टीम इंडिया दबाव में है और सबसे अधिक सवाल कप्तान धोनी पर उठ रहे हैं जो बेहतरीन फिनिशर माने जाते हैं लेकिन पिछले मैच में टीम को जीत की मंजिल तक नहीं ले जा सके। पिछला मैच हारने से भारत सीरीज में 0-1 से पिछड़ चुका है और इंदौर में उसके पास वापसी का बेहतरीन मौका होगा।
निजी तौर पर धोनी के लिए इस मैच में जीत अब साख का सवाल बन गई है क्योंकि उनके आलोचकों का मानना है कि धोनी में अब पहले जैसी बात नहीं रही है। यहां तक कि अब उनकी कप्तानी और व्यक्तिगत प्रदर्शन पर भी सभी की निगाहें हैं। हालांकि अकेले धोनी ही नहीं टीम के धुरंधर खिलाड़ियों ने भी पिछले मैच में निराश किया है।
 
विराट कोहली उपकप्तान हैं और स्टार बल्लेबाज भी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि धोनी के नेतृत्व में वे खेलने के ही मूड में नहीं हैं, विराट ने पिछले वन-डे मैच में जहां केवल 11 रन ही बनाए तो ट्‍वेंटी 20 सीरीज में उन्होंने कुल 44 रन बनाए थे। वर्ष 2008 में अपना वन-डे करियर शुरू करने वाले विराट ने इस साल आश्चर्यजनक रूप से वन-डे मैचों में निराशाजनक प्रदर्शन किया है।
 
विराट वर्ष 2015 में 16 मैचों में 29.92 के बेहद खराब औसत से केवल 389 रन बना पाए हैं जिसमें एक शतक शामिल है। यह शतक उन्होंने विश्वकप में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के पहले मुकाबले में एडिलेड में बनाया था। एडिलेड के उस 107 रन से पहले के चार मैचों और उसके बाद के 12 मैचों में विराट ने एक भी अर्धशतक नहीं बनाया है और ऐसे में उनकी यह खराब फार्म भी टीम के लिये बोझ की तरह है।
 
विराट के अलावा पिछले मैच में ओपनिंग बल्लेबाज शिखर धवन 23 और स्टार ऑलराउंडर सुरेश रैना तीन रन बनाकर वापस लौट गए। रैना ने उस समय निराश किया जब थोड़ा-सा संघर्ष भारत को जीत दिला सकता था। कप्तान धोनी की बात करें तो उन्होंने भी बल्ले से संघर्ष किया और 30 गेंदों में एक ही चौका लगा सके। 
 
धोनी रनों के लिए विकेट पर संघर्ष करते दिखे जिसने आलोचकों को उनके खिलाफ और भी मुखर होने का मौका दे दिया है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सीमित ओवर प्रारूप में उनका निजी प्रदर्शन भी बेहद खराब है। ट्वेंटी-20 सीरीज के तो दो मैचों में धोनी केवल 25 रन ही जोड़ सके थे। ऐसे में बतौर खिलाड़ी खुद धोनी को अपने प्रदर्शन की समीक्षा की जरूरत है।
 
फिलहाल जिन खिलाड़ियों पर जीत की उम्मीद टिकी हैं उनमें ओपनर रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाज हैं जो विषम परिस्थितियों में भी मजबूती से खड़े हैं। रोहित ने कानपुर में शानदार 150 रन की पारी खेली थी जबकि इससे पहले ट्वंटी 20 सीरीज में भी वे ही भारत के अकेले शतकधारी रहे थे। वे इस समय अच्छी फार्म में चल रहे हैं और उनकी निरंतरता इस समय इसलिये और भी अहम हो जाती है क्योंकि बाकी बल्लेबाज लगातार निराश कर रहे हैं।
 
अजिंक्य रहाणे भी भरोसेमंद खिलाड़ी हैं और टिककर खेलते हैं और अहम मौकों पर बल्ले से योगदान देते हैं। रहाणे के अर्धशतक और रोहित के शतक की ही बदौलत भारत लक्ष्य के करीब पहुंच पाया था। हालांकि पुछल्ले बल्लेबाज अपनी जिम्मेदारी निभा नहीं सके। ऑलराउंडर स्टुअर्ट बिन्नी, रैना और भुवनेश्वर कुमार निचले क्रम पर अच्छा स्कोर बना सकते हैं लेकिन इनका प्रदर्शन अप्रत्याशित हैं और इस दिशा में सुधार की व्यापक जरूरत है।
 
इसके अलावा भारत की गेंदबाजी भी चिंता का विषय है। धोनी ने काफी दबाव के बाद आखिर पिछले वन-डे में लेग स्पिनर अमित मिश्रा को अंतिम एकादश में मौका दिया था। मिश्रा ने भी इस मैच में प्रभावित किया और अच्छी गेंदबाजी करते हुए दो विकेट लिए थे, लेकिन बिन्नी ने आठ ओवर में 7.87 के खराब इकोनॉमी रेट से 63 रन लुटाए तो तेज गेंदबाज भुवनेश्वर ने भी 10 ओवर में 67 रन लुटाकर कोई विकेट नहीं लिया।