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Last Modified: गुरुवार, 27 नवंबर 2014 (21:12 IST)

CSK और श्रीनिवासन पर सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा

CSK और श्रीनिवासन पर सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा - N Srinivasan
नई दिल्ली। एन. श्रीनिवासन के क्रिकेट के प्रशासक पद पर लौटने और आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की स्थिति को लेकिन व्याप्त अनिश्चितता आज उस समय और गहरी हो गई जब उच्चतम न्यायालय ने सुझाव दिया कि क्या बीसीसीआई के चुनावों से उन लोगों को बाहर रखा जा सकता है, जिनके नाम मुद्गल समिति की रिपोर्ट में आए हैं और क्या चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रैन्चाइजी निरस्त की जा सकती है?
 
न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर तीन घंटे से भी अधिक समय तक चली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने जानना चाहा कि यदि श्रीनिवासन की इंडिया सीमेन्ट्स के स्वामित्व वाली चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रैन्साइजी निरस्त कर दी जाए तो क्या होगा और क्या हितों के टकराव का मसला बरकरार रहेगा।
 
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर सट्टेबाजी में कथित संलिप्तता के लिए चेन्नई सुपर किंग्स और राज कुन्द्रा के स्वामित्व वाली राजस्थान रॉयल्स और उनके अधिकारियों के खिलाफ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने पर बीसीसीआई से भी सवाल किए। न्यायाधीशों ने श्रीनिवासन का पक्ष लेने के लिए बीसीसीआई को भी आड़े हाथ लिया।
 
शीर्ष अदालत ने श्रीनिवासन के बीसीसीआई का मुखिया होने और चेन्नई सुपर किंग्स का मालिक होने के कारण हितों के टकराव से जुड़े सवाल भी पूछे।
 
चेन्नई सुपर किंग्स के स्वामित्व की जानकारी प्राप्त करने के इरादे से न्यायालय ने निर्वासित अध्यक्ष से इंडिया सीमेन्ट्स लि की शेयर होल्डिंग और निदेशक मंडल का विवरण भी मंगा है। श्रीनिवासन के अनुसार कंपनी इस टीम की मालिक है। श्रीनिवासन इंडिया सीमेन्ट्स के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।
 
श्रीनिवासन और कंपनी ने न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया था कि आईपीएल-6 के दौरान सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार गुरुनाथ मय्यपन चेन्नई सुपर किंग्स का अधिकारी था। उन्होंने पहले मय्यपन को क्रिकेट प्रेमी बताते हुए कहा था कि टीम प्रबंधन ने कुछ लेना-देना नहीं है।
 
न्यायालय ने सुझाव दिया कि क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड अपने चुनाव कार्यक्रम को जारी रख सकता है लेकिन मुद्गल रिपोर्ट में जिन लोगों के नाम आए हैं, उन्हें इससे दूर रखना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि नया बोर्ड इस रिपोर्ट के निष्कषरे के आधार पर की जाने वाली कार्रवाई के बारे में फैसला कर सकता है। न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम कार्रवाई क्यों करें। आप खुद निर्णय लीजिए। इस मसले पर बचाव की मुद्रा में आने की जरूरत नहीं है। हम आपको मौका देंगे। इस विषय पर गौर कीजिए। बीसीसीआई को सारे विवाद को खत्म करना चाहिए।’ 
 
न्यायाधीशों ने कहा, ‘इस विवाद में शामिल सभी व्यक्तियों को अलग रखकर बोर्ड के चुनाव हो सकते हैं और फिर नया बोर्ड फैसला ले सकता है।’ न्यायालय ने कहा कि दो पहलू हैं जिन पर गौर करना होगा और ये हैं कि चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स तथा श्रीनिवासन, मय्यपन और कुन्द्रा का क्या होगा।
 
न्यायाधीशों ने कहा कि टीम के सदस्यों और कप्तान के चयन की प्रक्रिया हो सकता है कि प्रत्यक्ष तौर पर नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से मय्यपन अपनी पत्नी के जरिए करता हो जो इंडिया सीमेन्ट्स के बोर्ड की सदस्य हैं और कंपनी में उनके शेयर हैं।
 
न्ययाधीशों ने कहा कि हो सकता है कि कंपनी में किसी प्रकार की हिस्सेदारी नहीं होने के बावजूद अंतत: टीम पर उसका नियंत्रण हो। न्यायालय ने कहाकि कंपनी के बोर्ड के सदस्यों और इसमें श्रीनिवासन तथा उनके परिवार की हिस्सेदारी के बारे में जानना चाहते हैं। न्यायालय ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि वे कौन लोग हैं, जिन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स के बारे में कंपनी की ओर से निर्णय लिया। हम चेन्नई सुपर किंग्स के असली मालिक के बारे में जानना चाहते हैं।
 
बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुन्दरम ने श्रीनिवासन का बचाव करते हुए कहा कि मय्यपन की कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है। इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘आप इंडिया सीमेन्ट्स का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं या बीसीसीआई का।’ श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि श्रीनिवासन या चेन्नई सुपर किंग्ल के कप्तार महिन्दर सिंह धोनी ने मुद्गल समिति के समक्ष इस तरह का कोई मौखिक या लिखित बयान नहीं दिया कि मय्यपन सिर्फ क्रिकेट प्रेमी था। 
 
उन्होंने कहा कि समिति की आडियो रिकार्डिंग कार्यवाही से इसका पता लगाया जा सकता है। लेकिन याचिकाकर्ता क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार और इसके अध्यक्ष आदित्य वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने श्रीनिवासन ने टेलीविजन पर एक साक्षात्कार में अपने दामाद को महज क्रिकेट प्रेमी बताया था।
 
न्यायालय ने एक बार फिर बीसीसीआई से जानना चाहा कि यदि उससे इन टीमों और उनके अधिकारियों के खिलाफ फैसला लेने के लिए कहा गया तो उसका निर्णय क्या होगा। सुन्दरम ने कहा कि न्यायालय इन टीमों और व्यक्तियों का पक्ष सुनने के बाद उन्हें सजा देने के लिए अलग से बाहरी लोगों का आयोग गठित कर सकता है।
 
दोनों पक्षों के बीच चल रही नोंक झोंक पर टिप्पणी करते न्यायाधीशों ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा, ‘हम (न्यायाधीश) दो बल्लेबाज हैं और आप हमारे उपर गुगली और बाउंसर फेंक रहे हैं।’ न्यायाधीशों की इस टिप्प्णी पर न्यायालय कक्ष में अनायास ही हंसी फूट पड़ी। न्यायालय ने इस मामले को आगे सुनवाई के लिए सोमवार के लिए स्थगित कर दिया। (भाषा)