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Last Modified: शुक्रवार, 4 सितम्बर 2015 (18:32 IST)

ईशांत अब भी अपनी गेंदबाजी को समझ रहा है : वेंकटेश प्रसाद

ईशांत अब भी अपनी गेंदबाजी को समझ रहा है : वेंकटेश प्रसाद - Ishant Sharma, India Fast bowler
नई दिल्ली। पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद को यह समझ में नहीं आ रहा है कि ईशांत शर्मा अब भी अपनी गेंदबाजी के बारे क्यों सीख रहा है जबकि उसे तेज गेंदबाजी आक्रमण का गैरविवादित मुखिया होना चाहिए था। 
ईशांत ने श्रीलंका के खिलाफ हाल में समाप्त हुई श्रृंखला में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन अपने 65 टेस्ट  मैच के करियर में उन्हें उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा।
 
भारत की राष्ट्रीय टीम के गेंदबाजी कोच भी रह चुके प्रसाद ने कहा कि यह मेरी समझ से बाहर है। वह  लंबे समय से खेल रहा है और अब भी अपनी गेंदबाजी को समझ रहा है। उसे नि:संदेह भारतीय तेज  गेंदबाजी आक्रमण का अगुआ होना चाहिए। उसे न सिर्फ लगातार गेंदबाजी की अगुवाई करनी चाहिए  बल्कि टीम के अन्य तेज गेंदबाजों में भी आत्मविश्वास भरना चाहिए।
 
ईशांत भले ही 200 टेस्ट विकेट पूरे करने के लिए भारत के चौथे तेज गेंदबाज बन गए हैं लेकिन उनका  औसत 36.51 है। वनडे में उनका प्रदर्शन इससे बेहतर है जिसमें उन्होंने 76 मैचों में 31.51 की  औसत से 106 विकेट लिए हैं।
 
भारत की तरफ से 33 टेस्ट और 161 वनडे खेलने वाले प्रसाद ने कहा कि ईशांत लंबे समय से टीम के  साथ है। अनुभव को देखते हुए उसे बेपरवाह गेंदबाजी करनी चाहिए। उसे अपनी योग्यता पर बहुत अधिक  विश्वास होना चाहिए लेकिन मुझे लगातार ऐसा नहीं दिखता है।

यदि आप लंबे समय से खेलते तो आपको  यह आत्मविश्वास दिखाने की जरूरत होती है। दूसरी बात है कि आपको अन्य गेंदबाजों में यह  आत्मविश्वास भरना होता है। यह उसकी भूमिका होनी चाहिए। 
 
ईशांत ने श्रीलंका में प्रभावशाली गेंदबाजी की लेकिन 3 मैचों की श्रृंखला में वह अपने खराब व्यवहार के  कारण अधिक चर्चा में रहे। प्रसाद को खुशी है कि ईशांत ने फिर से अच्छी गेंदबाजी करनी शुरू कर दी है,  लेकिन उन्हें अब भी निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है।
 
उन्होंने कहा कि उनका मजबूत पक्ष बल्लेबाज को बैकफुट पर खेलने के लिए मजबूर कना है। लेकिन एक  दो फुललेंथ गेंद डालकर उन्हें मिक्स अप करने की जरूरत है। उन्हें बल्लेबाज को फ्रंट फुट पर भी लाना  होगा। इससे वे अधिक प्रभावी बनेंगे।
 
ईशांत के व्यवहार के बारे में प्रसाद ने कहा कि आप आक्रामकता की सीमा नहीं लांघ सकते। आपको खेल  भावना से ही खेलना होगा। आपको आचार संहिता का पालन करने की जरूरत है, क्योंकि बहुत से बच्चे  आपको देख रहे होते हैं। नियंत्रित आक्रामकता की जरूरत है।

उसे अधिक आक्रामक होने के बजाय अपने  कौशल और बल्लेबाज को आउट करने पर ध्यान देना चाहिए। उसने 60 से अधिक टेस्ट मैच खेले हैं  और उसे उस तरह से व्यवहार करने की जरूरत है। (भाषा)