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Last Updated :इंदौर , गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014 (19:00 IST)

मैदान में 68 बरस की उम्र तक बल्ला थामकर डटे रहे नायडू

मैदान में 68 बरस की उम्र तक बल्ला थामकर डटे रहे नायडू - Former cricketer CK Naidu
इंदौर। क्रिकेट इतिहास में सीके नायडू हालांकि भारत के पहले टेस्ट कप्तान के रूप में दर्ज हैं, लेकिन  उन्हें अपने समय के सबसे फिट खिलाड़ी के रूप में भी याद रखा जा सकता है, क्योंकि उम्र उनके  लिए महज आंकड़ा थी और वे करामाती तौर पर 68 बरस की उम्र तक मैच खेलते रहे थे।
सेहत और जिंदगी में सख्त अनुशासन अपनाने वाले नायडू का 72 वर्ष की उम्र में निधन हुआ था  यानी दुनिया से कूच करने के 4 साल पहले तक वे मैदान में डटे रहे थे।
 
‘भारतीय क्रिकेट के लौहपुरुष’ कहलाने वाले नायडू ने ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर जब वर्ष 1932  में पहली बार टेस्ट मैच खेलने वाली भारतीय टीम की इंग्लैंड के खिलाफ अगुआई की, तब उनकी  उम्र 37 साल थी। आजकल के ज्यादातर क्रिकेटरों को फिटनेस की समस्या के चलते इस उम्र में  खेल को अलविदा कहना पड़ता है।
 
क्रिकेट इतिहास के जानकार सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने गुरुवार को बताया कि नायडू ने इंदौर के यशवंत  क्लब में एक मैच के दौरान होलकर टीम की ओर से खेलते हुए बड़ौदा के खिलाफ जब दोहरा शतक  जड़ा, तब उनकी उम्र 50 के पार हो चुकी थी। उस वक्त वे अपने से आधी उम्र के क्रिकेटरों के साथ  मैदान पर थे।
 
भारतीय क्रिकेट में नायडू का अहम योगदान यह भी है कि उन्होंने देश के खिलाड़ियों को आक्रामक  देहभाषा का ककहरा सिखाया जिससे विरोधी खेमे के हौसले पस्त हो जाते थे। यह और बात है कि  ‘भद्रजनों के खेल’ में नायडू के समय देहभाषा से जुड़े मनोवैज्ञानिक पैंतरों पर ज्यादा चर्चा नहीं होती  थी।
 
चतुर्वेदी बताते हैं कि नायडू टेस्ट मैचों में बिजली की तेजी से रन जड़ते थे। मैच के दौरान एक  कप्तान के रूप में उनकी चाल-ढाल, हाव-भाव और बात करने का तरीका एकदम आक्रामक था  जिसका विरोधी टीम पर तगड़ा असर पड़ता था।
 
31 अक्टूबर 1895 को नागपुर में जन्मे नायडू ने भारत की ओर से कुल 7 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने इन मैचों में 2 अर्धशतकों की मदद से 350 रन बनाए और 9 विकेट भी लिए।
 
भारतीय क्रिकेट के इस महान ऑलराउंडर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 207 मैचों में 35.94 के औसत से 11,825 रन जड़े, जबकि 411 विकेट चटकाए। नायडू ने अपनी कर्मभूमि इंदौर में 14 नवंबर 1967 को आखिरी सांस ली थी। (भाषा)