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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 21 दिसंबर 2014 (13:01 IST)

डीआरएस स्वीकार करो या भुगतो...

डीआरएस स्वीकार करो या भुगतो... - DRS
नई दिल्ली। वर्तमान टेस्ट श्रृंखला में कुछ फैसले भारत के खिलाफ जाने के बाद वर्तमान और पूर्व क्रिकेटरों को लगता है कि अब समय आ गया है जबकि बीसीसीआई को विवादास्पद निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) को मंजूरी दे देनी चाहिए, क्योंकि इस तकनीक को स्वीकार नहीं करने का टीम को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
 
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले 2 टेस्ट मैचों के दौरान कम से कम 5 अवसरों पर अंपायरों के फैसले भारत के खिलाफ गए जिसके कारण कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी कहना पड़ा कि मेहमान टीम को अधिक नुकसान हुआ लेकिन इसके साथ ही उन्होंने साफ कि कि डीआरएस होने से भी उनकी टीम को खास मदद नहीं मिलती।
 
लेकिन सीनियर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का मानना है कि अब समय आ गया है जबकि भारत को डीआरएस को वर्तमान स्वरूप में स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि करीबी टेस्ट मैचों में इससे टीम को ही फायदा होगा।
 
हरभजन ने कहा कि मेरा मानना है कि हमें अब डीआरएस को स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि इससे हमें ही फायदा होगा। यदि आप देखें तो दोनों टेस्ट मैचों में भारत ने अच्छी चुनौती पेश की लेकिन महत्वपूर्ण क्षणों में हमारे खिलाड़ियों के खिलाफ फैसले गए तथा मैं 4 फैसलों के बारे में बता सकता हूं।
 
एडिलेड में पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में शिखर (धवन) को विकेट के पीछे कैच दिया गया। दूसरे टेस्ट मैच की पहली पारी में (चेतेश्वर) पुजारा को विकेट के पीछे कैच आउट दे दिया गया। इसके बाद दूसरी पारी में रोहित (शर्मा) और अश्विन के खिलाफ फैसले गए। यदि डीआरएस होता तो पक्का इन सभी फैसलों को बदल दिया जाता और हो सकता था कि हम दोनों मैचों में जीत की स्थिति में होते।
 
हरभजन के एक समय के साथी और भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक वीवीएस लक्ष्मण अब भी डीआरएस के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि हॉट स्पाट और हाक आई की सटीकता जैसे मसले अब भी नहीं सुलझाए जा सकते। 
 
लक्ष्मण ने कहा कि जो भी फुलप्रूफ प्रणाली सही फैसले देती है उसका स्वागत है। मैं डीआरएस के खिलाफ नहीं हूं लेकिन इस प्रणाली को फुलप्रूफ बनने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है।
 
उन्होंने कहा कि मैं हॉट स्पाट और हाक आई को लेकर आश्वस्त नहीं हूं। हाक आई में पगबाधा के फैसलों में गेंद के रास्ते का निर्धारण होता है। जब निर्णय समीक्षा प्रणाली के इन दो बड़े मसलों को सही कर दिया जाता है तो हम डीआरएस के उपयोग को मंजूरी देने के लिए गंभीरता से विचार कर सकते हैं।
 
लक्ष्मण के पहले टेस्ट मैच में कप्तान रहे मोहम्मद अजहरुद्दीन का कहना है कि यदि आईसीसी ने डीआरएस को मंजूरी दे दी है तो फिर बीसीसीआई का उससे मुंह मोड़ना सही नहीं है। भारत की तरफ से 99 टेस्ट मैच खेलने वाले अजहर ने कहा कि जब क्रिकेट खेलने वाले अन्य देश इसके (डीआरएस) उपयोग के खिलाफ नहीं हैं तो फिर भारत इसको नजरअंदाज क्यों कर रहा है।
 
उन्होंने कहा कि इस टेस्ट मैच (ब्रिस्बेन टेस्ट) में ही कई फैसले भारत के खिलाफ गए जबकि वे भारत के पक्ष में जा सकते थे। मेरे कहने का मतलब है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी नुकसान हो सकता है लेकिन भारत को ज्यादा नुकसान हुआ। मेरा मानना है कि या तो आप प्रौद्योगिकी का पूरा इस्तेमाल करो या उसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दो। (भाषा)