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Last Modified: सोमवार, 27 फ़रवरी 2017 (18:41 IST)

ओपनिंग साझेदारी सुधारना अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी

ओपनिंग साझेदारी सुधारना अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी - Cricket News,  India Australia Test series
नई दिल्ली। भारतीय टीम जब तक विजय रथ पर सवार थी तो ओपनिंग साझेदारी की नाकामी किसी को नजर नहीं आ रही थी लेकिन पुणे में ऑस्ट्रेलिया से पहला टेस्ट 333 रन के बड़े अंतर से ढाई दिन के अंदर हारने के बाद यह नाकामी अब खुलकर सामने आ गई है।        
भारतीय टीम पुणे टेस्ट में पहली पारी में 105 और दूसरी पारी में 107 रन पर सिमट गई। दोनों ही पारियों में ओपनिंग साझेदारी की नाकामी भारतीय हार का सबसे बड़ा कारण रही। भारत को दोनों पारियों में एक बार भी अच्छी शुरूआत नहीं मिल पाई जिसका नतीजा बाद के बल्लेबाजों पर दबाव के रूप में नजर आया।
       
न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और बांग्लादेश के खिलाफ पिछली तीन सीरीज में ओपनिंग में कई खिलाड़ियों को आजमाया गया लेकिन स्थिरता कहीं भी नजर नहीं आई। इन सीरीज में लोकेश राहुल, मुरली विजय, शिखर धवन, गौतम गंभीर और पार्थिव पटेल को आजमाया गया लेकिन जिस अच्छी शुरुआत की जरूरत थी वह अब तक 10 टेस्ट मैचों में सिर्फ एक मैच में ही देखने को मिल पाई।
       
भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में हुए पांचवें और अंतिम टेस्ट में पहले विकेट के लिए 152 रन की साझेदारी की जो पिछले 10 टेस्टों में एकमात्र शतकीय साझेदारी थी। उस मैच में राहुल ने 199 और पार्थिव ने 71 रन बनाए थे। 
 
ऑस्ट्रेलिया  के खिलाफ पुणे की हार को देखा जाए तो मुरली और राहुल की जोड़ी पहली पारी में ओपनिंग साझेदारी में 26 रन और दूसरी पारी में 10 रन ही जोड़ पाई। पहली पारी में मुरली ने 10 और दूसरी पारी में दो रन बनाए जबकि राहुल ने पहली पारी में 64 और दूसरी पारी में 10 रन बनाए।
              
बांग्लादेश के खिलाफ हैदराबाद में खेले गए एकमात्र टेस्ट को देखा जाए तो ओपनिंग साझेदारी में दो रन जुड़े थे। इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज में राजकोट में खेले गए पहले टेस्ट में मुरली और गंभीर ने पहली पारी में 68 और दूसरी पारी में शून्य रन जोड़े। गंभीर इसके बाद भारतीय टीम से बाहर हो गए।
                 
विशाखापत्तनम में खेले गए दूसरे टेस्ट में पहली पारी में छह और दूसरी पारी में 16 रन की ओपनिंग साझेदारी हुई। इस टेस्ट में मुरली ने 20 और तीन तथा राहुल ने शून्य और 10 रन बनाए। मोहाली में खेले गए तीसरे टेस्ट में 39 और सात रन की ओपनिंग साझेदारी हुई। मुरली ने 12 और शून्य तथा पार्थिव ने 42 और 67 रन बनाए।
 
मुंबई में चौथे टेस्ट में राहुल वापिस ओपनिंग में लौटे लेकिन सलामी साझेदारी में 39 रन ही जुड़े। चेन्नई में जरूर 152 रन की ओपनिंग साझेदारी हुई। इस सीरीज में भारत की 4-0 की जीत में ओपनिंग साझेदारी की नाकामी को ढक दिया जिससे इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
       
इंग्लैंड से पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज में भारत ने जरूर 3-0 की क्लीन स्वीप की लेकिन यहां भी ओपनिंग साझेदारी की समस्या बनी रही। कानपुर में पहले टेस्ट में राहुल और विजय ने 42 और 52 रन जोड़े। कोलकाता में दूसरे टेस्ट में शिखर और विजय ने एक और 12 रन जोड़े जबकि इंदौर में तीसरे टेस्ट में विजय और गंभीर ने 26 और 34 रन जोड़े।
        
पुणे में स्थिति इसलिए ज्यादा खराब रही कि ओपनिंग साझेदारी की नाकामी के बाद चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और अजिंक्या रहाणे जैसे दिग्गज बल्लेबाज बेहद सस्ते में आउट हुए, जिसका असर सीधा भारतीय टीम के प्रदर्शन पर पड़ा। भारत को चार मार्च से बेंगलुरु में शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट में यदि वापसी करनी है तो उसके ओपनरों को टीम इंडिया को अच्छी शुरुआत देनी होगी। (वार्ता)
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