कोलकाता। बीसीसीआई को दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बनाने वाले वरिष्ठ खेल प्रशासक जगमोहन डालमिया ने एक दशक पहले निकाल बाहर किए जाने के बाद फिर अध्यक्ष पद पर वापसी की।
डालमिया को 2006 में अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था लेकिन 74 बरस के इस खेल प्रशासक को सोमवार को बीसीसीआई की बहुप्रतीक्षित सालाना आम बैठक में फिर अध्यक्ष चुना गया। इससे पहले शरद पवार पूर्वी क्षेत्र से प्रस्तावक नहीं मिल पाने के कारण दौड़ से बाहर हो गए थे।
‘एशियाई शेर’ कहे जाने वाले डालमिया क्रिकेट प्रशासन में लगभग सभी पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने 1978 में बंगाल क्रिकेट संघ के कोषाध्यक्ष के रूप में शुरुआत की और मार्च 1997 में आईसीसी अध्यक्ष बने। वे 2001 से 2004 तक बीसीसीआई अध्यक्ष रहे और दिसंबर 2006 में उनका दौर खत्म हुआ।
कुछ मामलों में संबद्ध खाते और दस्तावेज देने से इंकार करने और कोषों के दुरुपयोग के आरोप में उन्हें जयपुर में हुई बोर्ड की बैठक के दौरान बोर्ड से बर्खास्त कर दिया गया था।
शुरुआती दिनों में सलामी बल्लेबाज और विकेटकीपर रहे डालमिया ने हार नहीं मानी और इन आरोपों को बंबई उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
उन्हें जुलाई 2007 में राहत मिली, जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ आरोपों को खारिज किया। बीसीसीआई उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के कोई सबूत पेश नहीं कर सकी।
अदालत ने उन्हें बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी।
डालमिया ने वापसी की और बिना किसी चुनौती के पद पर बने रहे। बाद में बोर्ड के साथ उनके समीकरण बदल गए और अब उन्हें श्रीनिवासन के वफादारों में गिना जाता है। जून 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले के बाद उन्हें बोर्ड का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया, जब हितों के टकराव के मामले में श्रीनिवासन को पद से किनारा करना पड़ा था।
डालमिया के पास पूर्वी क्षेत्र के दो अहम वोट थे जिनमें बंगाल क्रिकेट संघ और राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब के वोट शामिल हें। उन्हें सर्वसम्मति से बीसीसीआई का पूर्णकालिक अध्यक्ष चुना गया।
30 मई 1940 को मारवाड़ी परिवार में जन्मे डालमिया ने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से पढ़ाई की। सलामी बल्लेबाज और विकेटकीपर डालमिया जोराबागान क्लब (1957-60), राजस्थान क्लब (1960-62) और नेशनल एथलेटिक क्लब (1963-78) से जुड़े रहे।
उन्होंने 1963 में क्रिकेट प्रशासन में पदार्पण किया और राजस्थान क्लब के सचिव बने। बंगाल क्रिकेट संघ के साथ उनका कार्यकाल 1978 में शुरू हुआ, जब तत्कालीन सचिव बिश्वनाथ दत्त ने उन्हें कोषाध्यक्ष नियुक्त किया। वे बाद में कैब के संयुक्त सचिव बने और 1993 में अध्यक्ष चुने गए।
उसके बाद वे 1993 से लगातार कैब अध्यक्ष रहे हालांकि बीच में 19 महीने के बाद उन्हें बर्खास्तगी झेलनी पड़ी, जब शरद पवार की अगुवाई वाले बीसीसीआई ने उन्हें दिसंबर 2006 में बाहर कर दिया था।
बीसीसीआई में उन्होंने प्रवेश 1983 में एनकेपी साल्वे की अध्यक्षता में कोषाध्यक्ष के रूप में किया। भारत और पाकिस्तान को विश्व कप 1987 की मेजबानी दिलाने वाले डालमिया को टूर्नामेंट का आयोजन सचिव बनाया गया। वह पहला विश्व कप था, जो इंग्लैंड के बाहर हुआ था।
वे 1990 में आईएस बिंद्रा के साथ बीसीसीआई सचिव बने। अगले साल वे एशियाई क्रिकेट परिषद के सचिव चुने गए। उन्हें 1996 विश्व कप की मेजबानी भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका को दिलाने का भी श्रेय जाता है, जो इंग्लैंड में होना लगभग तय था। उन्होंने 13.30 घंटे की बहस के बाद उपमहाद्वीप को कामयाबी दिलाई।
डालमिया जब 90 के दशक में बोर्ड के सचिव बने तब बीसीसीआई के खातों में 81.60 लाख रुपए का घाटा दर्ज था। उसी साल बोर्ड को फायदा हुआ और बाद में वह दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड बन गया।
उनके कार्यकाल में विश्व कप के दौरान रिकॉर्ड 2 करोड़ 60 लाख पाउंड का फायदा हुआ जिससे बीबीसी ने उन्हें दुनिया के शीर्ष 6 खेल कार्यकारियों में चुना गया। वे मार्च 1997 में आईसीसी के अध्यक्ष बने। वे 2001-04 के बीच बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। (भाषा)