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Last Updated : गुरुवार, 27 नवंबर 2014 (14:44 IST)

फिल ह्यूज : एक नौजवान क्रिकेटर का यूं चले जाना

फिल ह्यूज : एक नौजवान क्रिकेटर का यूं चले जाना - Australian cricketer Phil Hughes
- वेबदुनिया डेस्क
 
ऑस्ट्रेलिया के युवा बल्लेबाज फिल ह्यूज खेल के मैदान से ही केवल 26 साल की उम्र में ही दुनिया छोड़ गए। इस खबर से दुनिया भर के क्रिकेटप्रेमी आहत हैं। इस खब्बू बल्लेबाज़ से सभी ने कुछ अच्छी पारियों की उम्मीद की थी, लेकिन अब ये उम्मीदें अंजाम तक नहीं पहुंचेंगी।


ह्यूज ने जब फरवरी 2009 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना टेस्ट करियर शुरू किया था तो सभी यह देखने को बेताब थे कि ऑस्ट्रेलिया में जस्टिन लैंगर और मैथ्यू हैडन के बाद सलामी बल्लेबाजी का बीड़ा कौन से मजबूत कंधों पर है। ह्यूज ने अपने जीवन की पहली टेस्ट पारी में कोई रन नहीं बनाया, लेकिन दूसरी पारी में 75 रन जड़कर अपने मजबूत इरादे जाहिर किए। ह्यूज ने इसी सीरीज़ दूसरे टेस्ट (डरबन) में अपने प्रदर्शन का लोहा मनवा लिया और दोनों पारियों में शतक जमाया। इसके बाद क्रिकेट पंड़ितों ने ह्यूज की सराहना करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया की सलामी बल्लेबाजी का बोझ जिम्मेदार कंधों पर है।

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद ह्यूज एक साल तक कोई बड़ी पारी नहीं खेल पाए। इस दौरान वे इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज़ में अर्धशतक भी नहीं लगा पाए। हालांकि वे इतने रन तो बना ही रहे थे कि टीम में स्थान बाकी रहे। मार्च 2010 में ह्यूज ने अब तक के अपने टेस्ट करियर की तीसरी सबसे बड़ी पारी वेलिंगटन टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली। केवल 75 गेंदों  में नाबाद 86 रन जड़कर ह्यूज ने ऑस्ट्रेलिया को इस मैच में 10 विकेट से जीत दिलवाने में अहम भूमिका निभाई।

हालांकि ह्यूज ने अपने टेस्ट करियर का तीसरा शतक लगाने में लंबा वक्त लिया और 2011 में श्रीलंका दौरे पर कोलंबो टेस्ट में शतक जड़ा। इसके बाद ह्यूज ने अर्धशतक तो लगाए लेकिन वे लंबी पारी नहीं खेल पाए। ह्यूज ने अपने छोटे करियर में 26 टेस्ट में 32.65 की औसत से 1535 रन बनाए, जिसमें तीन शतक और सात अर्धशतक शामिल रहे। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की तरफ से खेलते हुए ह्यूज लगातार अच्छा प्रदर्शन करके टीम में फिर से अपना स्थान बनाने के करीब थे, लेकिन उनकी यह कोशिश शेफील्ड शील्ड में न्यू साउथवेल्स के खिलाफ एक मैच के दौरान बाउंसर लगने के बाद अधूरी ही रह गई।