गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By WD

जानिए IQ और EQ में फर्क

जानिए IQ और EQ में फर्क -
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इंटेलीजंस क्वोशन्ट (IQ) और इमोशनल क्वोशन्ट(EQ) के अंतर को समझने से पहले हमें समझना होगा कि दोनों आखिर हैं क्या? इंटेलीजंस क्वोशन्ट हमारे जानने-समझने और जानकारी को सही जगह अप्लाई करने की समझ होती है। ये व्यक्ति की दिमागी क्षमता को दर्शाता है।

इमोशनल क्वोशन्ट (EQ) व्यक्ति की खुद की और दूसरों की भावनाओं को मापने की एक क्रिया है। वे कितने भावुक हैं और दूसरों के साथ कैसे बिहेव करते हैं।

EQ और IQ एक व्यक्ति की मानसिक योग्यता को जानने का तरीका है। जबसे हम पैदा होते हैं तभी से हम एक रेस का हिस्सा बन जाते हैं। फिर जब बड़े होते हैं तो वह चीज़ हमारे ले कॉम्पिटिशन बन जाती है जिसका सामना हमें हर क्षेत्र में करना पड़ता है। फिर चाहे प्रोफेशनल लाइफ हो, सोशल लाइफ हो या पर्सनल लाइफ।

पुराने ज़माने से बुद्धिमत्ता मत्ता यानी इंटेलीजेंस को ही सफलता की कसौटी माना है। ऐसा माना जाता है की व्यक्ति का इंटेलीजेंस क्वोशन्ट और उसकी सफलता का आपस में कुछ संबंध है, यानी अगर इंटेलीजेंस क्वोशन्ट अधिक हैं तो आदमी के सफल होने के चांस ज्यादा हैं।

इंटेलीजेंस क्वोशन्ट और इमोशनल क्वोशन्ट का अंतर यहीं से शुरू होता है। इंटेलीजेंस क्वोशन्ट आपको सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक दिलाता है लेकिन इमोशनल क्वोशन्ट आपको जीवन की परीक्षा में सफलता दिलाता है। जिनका इमोशनल क्वोशन्ट ज्यादा होता है वे बदलते पर्यावरण के सात जल्दी एडजस्ट हो जाते हैं और इसलिए उनके जीने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। चार्ल्स डार्विन ने भी सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट का सिद्धांत इसी के आधार पर दिया था।

इमोशनली इंटेलीजेंट लोग सिर्फ फैक्ट्स नहीं देखते बल्कि उसके साथ इमोशंस से भी काम लेते हैं। उन्हें यह पता होता है कि हर कोई अलग है इसलिए उस अंतर को ध्यान में रखते हुए वे सबसे एक सा व्यवहार नहीं करते। वे अपने इमोशंस के साथ-साथ दूसरों की भावनाओं की भी कद्र करते हैं। ऐसे लोग कम्युनिकेशन में अच्छे होते हैं और अच्छे मैनेजर होते हैं।

इंटेलीजेंस क्वोशन्ट और इमोशनल क्वोशन्ट के बारे में सबसे पहले गोलमेन ने बताया था। उनका कहना था कि जीवन में 20 प्रतिशत सफलता इंटेलीजेंस क्वोशन्ट से मिलती है जबकि 80 प्रतिशत सफलता और इमोशनल क्वोशन्ट के कारण मिलती है। जिन व्यक्तियों का इमोशनल क्वोशन्ट कम होता है उनका जीवन अपनी परेशानियों को गिनने में ही कट जाता है। जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण ही आपको सफल बनाता।

जिन बच्चों की इमोशनल स्किल्स विकसित नहीं हो पाती हैं वे जल्द ही बुरी संगत और बुरी गतिविधियों में पड़ जाते हैं। इमोशनल क्वोशन्ट की कमी एकाग्रता भंग करती है और फिर फ्रस्ट्रेशन होता है जिससे उनका मन ना पढ़ाई में लगता है ना कहीं और। एक बच्चे में शुरू से ही इमोशनल स्किल्स विकसित की जा सकती है। इसके लिए पूरे परिवार को एफर्ट लगाने होंगे।

बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिनको आपने स्कूल-कॉलेज में हमेशा बहुत अच्छे अंक प्राप्त करते देखा होगा लेकिन अगर उनके दोस्तों की गिनती कर के देखें तो संख्या बहुत ही कम मिलेगी। वे जीवन में एकेले ही रह जाते हैं और किसी भी रिलेशन को निभा नहीं पाते हैं क्योंकि वे इतना अकेला रह चुके होते हैं कि या तो उन्हे किसी के आने-जाने से फर्क नही पड़ता या फिर किसी के आ जाने से वे बहुत असहज हो जाते हैं।

आज की पीढ़ी के लिए ज़रूरी है कि सभी शैक्षिक संस्थानों में आई.क्यु और इ.क्यु के कुछ बेसिक लेसंस होना चाहिए और इस मॉड्यूल को सिलेबस में शामिल करना चाहिए क्योंकि स्कूल-कॉलेजों का ज़िम्मा केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है, उन्हे समझदार बनाना भी उन्ही का कर्तव्य है। इस मॉड्यूल में ये बातें शामिल करनी होगी-

कॉंफिडेंस डेवलपमेंट- बच्चों को आत्मविश्वास और अहंकार के बीच समझाना जरूरी है। उनके मन से डर और संकोच दूर करना उनके व्यक्तिगत विकास में बहुत मदद करेगा।

क्रिएटिविटी बच्चों के विचारों को आज़ादी से व्यक्त करने की अनुमति हो। इससे एक व्यक्ति के रूप में उनका नेतृत्व करने का गुण डेवलप होगा। उन्हें सिखाने की ऐसी टेक्निक हो जिसे सीखने के साथ मज़ा भी आए।

टीम बिल्डिंग- बच्चों को बचपन से टीम में कम करना सिखाएं। इससे उनमें रिश्तों को लेकर सकारात्मकता आएगी। वे जब प्रोफेश्नली काम करेंगे तो टीम स्पिरिट के साथ करेंगे। इसी के साथ उन्हे सामाजिक मुद्दों के बारे में बताएं और जागरूक बनने के लिए प्रोत्साहित करें। मधुर संबंध एक सुखी जीवन का सार है इसलिए अपने भीतर इंटेलीजेंस क्वोशन्ट की अपेक्षा इमोशनल क्वोशन्ट ज्यादा डेवलप करें।