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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 24 जून 2015 (16:34 IST)

दुगुनी हुई विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या

दुगुनी हुई विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या - foreign education
नई दिल्ली। देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता तथा सीटों की कमी के कारण विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय  छात्रों की संख्या गत 2 वर्ष में दोगुनी से अधिक हो गई है और ये छात्र हर साल करीब 50 हजार करोड़  रुपए विदेशों में शिक्षा के लिए खर्च कर रहे हैं।
यह तथ्य एसोचैम की 'स्किलिंग इंडिया : इमपावरिंग इंडियन यूथ वर्ल्ड क्लास एजुकेशन' की ताजा रिपोर्ट  से सामने आया है। एसोचैम द्वारा बुधवार को यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश में उच्च  शिक्षा की गुणवत्ता तथा कम सीटों की वजह से दाखिले के लिए मारा-मारी के कारण करीब 6 लाख 80  हजार छात्र विदेशों में पढ़ने गए हैं जबकि 2013 तक उनकी संख्या मात्र 2 लाख 80 हजार थी। ये छात्र  हर साल 50 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं और इस तरह देश के शैक्षिक संस्थानों को इसका नुकसान  हो रहा है।
 
रिपोर्ट के अनुसार अब ये छात्र सिंगापुर, जर्मनी, फ्रांस, इटली, डेनमार्क, स्वीडन, कनाडा, आयरलैंड तथा  चीन और नॉर्वे भी जा रहे है। इस तरह नए देशों की तरफ पढ़ाई के लिए अग्रसर होने वाले छात्रों की  संख्या में 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
 
एसोचैम के महासचिव डॉ. एस. रावत का कहना है कि देश के सभी आईआईटी में मात्र 10-15 हजार  सीटें हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए मारा-मारी है और राम कॉलेज ऑफ कामर्स में 100  प्रतिशत तक कट ऑफ जा रहा है ऐसे में छात्र दाखिले के लिए विदेश जा रहे हैं, क्योंकि देश में शिक्षा की  उतनी गुणवत्ता भी नहीं है। सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही है पर 90 प्रतिशत फंड तनख्वाह में लग  रहा है तथा शोध एवं आविष्कार के लिए पैसे नहीं हैं। रावत ने सेबी और सीबीसी की तरह उच्च शिक्षा में एक राष्ट्रीय शिक्षा आयोग बनाने की मांग की। (वार्ता)