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Last Updated : मंगलवार, 7 जुलाई 2015 (15:23 IST)

ग्रीस संकट : अमेरिका से भारत तक होगा असर!

ग्रीस संकट : अमेरिका से भारत तक होगा असर! - Greece crises
ग्रीस संकट से दुनियाभर में दहशत का माहौल है। दुनिया के बाजार मंदी की आशंका से लगातार गिर रहे हैं। ऐसी आशंका है कि 2008 में आए आर्थिक संकट से अभी-अभी उबरी दुनिया को यूनान का यह संकट ऐसी अंधेरी खाई में डुबा सकता है जिससे बरसों तक उबरना संभव नहीं होगा।
 
अब तक तो व्यक्ति और संस्थाएं ही दिवालिया घोषित होती थीं पर ग्रीस के दिवालिया घोषित होने से राष्ट्रों के लिए भी खुद को दिवालिया घोषित करना आसान हो गया है। ईयू, विश्व बैंक समेत सभी आर्थिक दिग्गजों के लिए पैसा डूबने से ज्यादा बड़ी चिंता साख की है, जिसके भरोसे ही वह दुनियाभर के देशों को अरबों डॉलर का कर्ज दे देता है। ग्रीस ने जिस तरह से पैसा देने से इनकार किया है और फिर बेल आउट पैकेज मांगा है, वह भी चिंता का विषय है। सभी की नजरें अब इस बात पर है कि यूरो किस तरह आगे बढ़ेगा।
 
क्या है ग्रीस संकट : यूनान 2010 से अब तक यूरोपीय संघ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 240 अरब यूरो का बेलआउट ले चुका है। उसे आईएमएफ को 1.6 अरब यूरो का भुगतान करना है, लेकिन वहां के अधिकारियों ने यह भुगतान करने से साफ मना कर दिया। यूनान की नई वामपंथी सरकार का कहना है कि इन बेलआउट पैकेजों से यूनान को कोई फायदा नहीं हुआ है। इससे जर्मनी और फ्रांस के बैंकों को फायदा हुआ है।
 
2009 से अब तक यूनान की अर्थव्यवस्था में 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि वहाँ बेरोजगारी की दर भी बढ़कर 25 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यूनान की सरकार ने इस संकट के लिए जर्मनी को जिम्मेदार बताया है।

यूनान के लोगों ने बहुप्रतीक्षित जनमत संग्रह में अपनी सरकार का साथ देते हुए यूरोपीय ऋणदाताओं की शर्तों को मानने से सोमवार को इंकार कर दिया। इस जनमत संग्रह के कारण यूनान को यूरो क्षेत्र से निकलना पड़ सकता है। 

 
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चपेट में आ सकती है पूरी दुनिया : 350 बिलियन डॉलर दांव पर लगे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर मामले से सही तरीके से नहीं निपटा गया तो ग्रीस संकट पूरे यूरो क्षेत्र को अपनी चपेट में ले सकता है। इटली, स्पेन और पुर्तगाल जैसे देश तो जल्द ही इसके शिकार सकते हैं। इन देशों ने बड़ी मात्रा में कर्ज ले रखा है और इनके पास इसे चुकाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। स्पेन और आयरलैंड के बैंकों का भी पैसा बड़ी मात्रा में डूबने की आशंका जताई जा रही है।
 
अमेरिका और यूरोप को सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार माना जाता है। अगर यूरोप पर इसका असर लंबे अंतराल तक होता है तो इस तरह अमेरिका भी इस संकट से अछूता नहीं रहेगा। हर साल हजारों बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। अमेरिका सितंबर में ब्याज दर में वृद्धि करने जा रहा है पर यहां के शेयर बाजार में अनिश्चित्ता का माहौल बनेगा और फेडरल बैंक को ब्याज दर बढ़ाने में हिचक होगी। हाल ही में मंदी से उबरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ग्रीस संकट की वजह से टैक्स रेवेन्यू का भारी घाटा हो सकता है। इससे भारत और चीन के वायदा बाजार में भी मांग का संकट हो सकता है। वायदा बाजार में गिरावट से ब्राजील, कनाडा, रूस और ऑस्ट्रेलिया तक भी यह संकट पैर पसार सकता है।
 
आईएमएफ के उप प्रबंध निदेशक नाओयुकी शिनोहारा ने कहा कि एशिया की बेहतर आर्थिक स्थिति और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में कम ब्याज दर के कारण खासा पूंजी निवेश हो सकता है लेकिन यदि समय रहते उचित नीतिगत कदम नहीं उठाए जाते तो अर्थव्यवस्था ओवरहीट हो सकती है। इस स्थिति है में अचानक किसी वर्ग के पास खासा पैसा आ जाने से अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ती है और मांग बढ़ने के कारण महंगाई भी बढ़ जाती है।
संकट का भारत पर क्या होगा असर...

भारत पर असर : ग्रीस संकट का फिलहाल भले ही भारत पर सीधा असर नहीं दिख रहा हो पर तेजी से आगे बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था इससे पूरी तरह अछूती रहेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता। पीएम नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान पर इसका असर पड़ सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था पर भी ओवरहिटिंग का खतरा बना रहेगा। महंगाई से पहले से ही परेशान देश के लिए यह एक बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
 
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि ग्रीस संकट का भारत-यूनान द्विपक्षीय व्यापार पर कोई खास असर नहीं होगा। वित्त वर्ष 2014-15 में भारत का ग्रीस को निर्यात 360.84 करोड़ डॉलर का था जबकि आयात केवल 12.77 करोड़ डॉलर का था।
 
यूनान के साथ हमारा व्यापार बहुत कम है। ग्रीस में संकट का व्यापार पर प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन अगर समस्या यूरो क्षेत्र में फैलती है तो भारतीय निर्यात पर असर पड़ सकता है। यहां से बड़ी मात्रा में सामान यूरोप निर्यात किया जाता है।
 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी कहा कि मुझे लगता है कि यूनान का मामला कुछ और दिन तक बना रहने जा रहा है। सरकार ग्रीस की स्थिति पर नजर रखे हुए और वहां के हालात का अंतरराष्ट्रीय मुदा बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्तर पर है। रिजर्व बैंक तथा सरकार वहां की हालात पर पैनी नजर रखे हुए है। 
 
अगले पन्ने पर...वैश्विक मुद्रा बाजार पर क्या होगा असर...

यूनान संकट के कारण मुद्रा बाजार में उथल-पुथल हो सकती है। डॉलर, यूरो, पौंड, युआन, रुपए समेत दुनियाभर की मुद्राओं पर इसका सीधा असर पड़ने की संभावना है।
 
यह यूरो बनाम डॉलर मुकाबला हो गया है। 19 देशों की मुद्रा यूरो ने पिछले कुछ वर्षों में डॉलर को कड़ी चुनौती दी है। लेकिन यूनान संकट के बाद विश्व में डॉलर का दबदबा बढ़ा है और यूरो कमजोर हुआ है। इससे दुनिया में वित्तीय संतुलन भी गड़बड़ा सकता है। 
 
ईयू अब भी वार्ता के लिए तैयार : ईयू अब भी समस्या का हरसंभव हल निकालने का प्रयास कर रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि यूनान के साथ कर्ज समझौते की वापसी का दरवाजा अब भी खुला है लेकिन दोनों ने कहा कि यूनान को गंभीर और स्पष्ट प्रस्ताव लाना चाहिए।
 
ओलांद ने कहा, 'वार्ता के लिए दरवाजा खुला है और अब यह एलेक्सि सिप्रास की सरकार पर है कि गंभीर, विश्वसनीय प्रस्ताव लाएं जिससे यूरोजोन में बने रहने की उनकी इच्छा निर्णायक कार्यकम के तौर पर सामने आए।'
 
मर्केल ने भी ओलांद के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि कर्ज संकट हल करने के लिए आगे बातचीत का दरवाजा खुला है लेकिन कहा कि नए राहत पैकेज के लिए फिर से वार्ता को लेकर शर्तें पूरी नहीं हुई है।